WHO ने मोटापे को दीर्घकालिक बीमारी माना, नई वज़न-घटाने वाली दवाओं को दिया समर्थन
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मोटापे को दीर्घकालिक बीमारी मानते हुए GLP-1 आधारित वज़न घटाने वाली दवाओं पर अपने पहले दिशानिर्देश जारी किए हैं। जानिए क्या है पूरी ख़बर;
WHO recognizes obesity as a chronic disease, supports new weight-loss drugs
WHO obesity guidelines 2025 Hindi
- मोटापे के इलाज में GLP-1 दवाओं का उपयोग
- सेमाग्लूटाइड और लिराग्लूटाइड पर WHO की सलाह
- मोटापा एक दीर्घकालिक बीमारी क्यों
- वज़न घटाने वाली दवाएँ WHO approval
- obesity treatment guidelines India Hindi
- GLP-1 therapies long-term safety
- WHO weight loss medication recommendations
- 2030 obesity projections WHO report
- मोटापा नियंत्रित करने के वैश्विक उपाय
WHO recognizes obesity as a chronic disease, supports new weight-loss drugs
नई दिल्ली, 2 दिसंबर 2025. मोटापे को दीर्घकालिक बीमारी मानते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने GLP-1 आधारित वज़न घटाने वाली दवाओं पर अपने पहले दिशानिर्देश जारी किए हैं। संयुक्त राष्ट्र समाचार की इस खबर से जानिए क्या कहता है नया ग्लोबल फ्रेमवर्क।
मोटापा एक दीर्घकालिक बीमारी, वज़न घटाने वाली दवाओं को WHO का समर्थन
1 दिसंबर 2025 स्वास्थ्य
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने, वज़न घटाने वाली नई दवाओं के उपयोग के बारे में, अपने पहले दिशा-निर्देश जारी किए हैं. इन दिशा-निर्देशों को, दुनिया भर में, मोटापे की दर में चिन्ताजनक वृद्धि को देखते हुए, वैश्विक स्वास्थ्य नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव के रूप में देखा जा रहा है.
ये दिशा-निर्देश, GLP-1 therapies नामक उपचार श्रृंखला पर केन्द्रित है, जिसमें लिराग्लूटाइड, सेमाग्लूटाइड और टिरज़ेपाटाइड (liraglutide, semaglutide and tirzepatide) जैसी दवाएँ शामिल हैं.
इनमें, सशर्त सलाह समेत इन दवाओं के लम्बे समय तक सुरक्षित रूप से, प्रयोग के बारे में बताया गया है.
GLP-1 थैरेपीज़, एक प्राकृतिक हार्मोन की नक़ल करके भूख, ब्लड शुगर और पाचन को नियंत्रित करती हैं.
लाखों लोगों की मौत का कारण
दुनिया भर में, एक अरब से अधिक लोग मोटापे से ग्रस्त हैं. वर्ष 2024 में, 37 लाख लोग मोटापे से जुड़ी बीमारियों के कारण, मौत के शिकार हो गए.
WHO ने आगाह किया है कि अगर कड़े क़दम नहीं उठाए गए, तो मोटापे से प्रभावित लोगों की संख्या, 2030 तक दोगुनी हो सकती है.
इससे स्वास्थ्य प्रणालियों पर भारी दबाव पड़ेगा, और वैश्विक आर्थिक हानि अनुमानत: 3 ट्रिलियन डॉलर प्रति वर्ष तक पहुँच सकती है.
एक वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती
विश्व की प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्था के रूप में, WHO के इस क़दम से, राष्ट्रीय नीतियों, बीमा कवरेज और उपचार तरीक़ों पर प्रभाव पड़ने की उम्मीद है. विशेषकर, ऐसे समय में, जब वज़न घटाने के प्रभावी उपचारों की मांग, लगातार बढ़ रही है.
WHO के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा है, “मोटापा, एक प्रमुख वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती है. ”
उन्होंने कहा कि इन नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, मोटापा एक दीर्घकालिक बीमारी है, जिसे व्यापक और आजीवन देखभाल से ठीक किया जा सकता है.
डॉक्टर टैड्रॉस ने कहा, “हालाँकि केवल दवाएँ, इस वैश्विक स्वास्थ्य संकट को हल नहीं कर सकतीं, लेकिन GLP-1 थैरेपीज़, लाखों लोगों को, मोटापे पर क़ाबू पाने और इससे जुड़े ख़तरों को कम करने में मदद कर सकती हैं.”
एक जटिल रोग
WHO ने ज़ोर देकर कहा है कि मोटापा, केवल जीवनशैली का परिणाम नहीं है, बल्कि यह एक जटिल, दीर्घकालिक स्वास्थ्य स्थिति की वजह से भी होता है, जिसमें अनुवंशिक बनावट, माहौल, जैविकी और सामाजिक परिस्थितियाँ शामिल हैं.
मोटापा, दिल से सम्बन्धित बीमारियों, टाइप 2 डायबिटीज़ और कैंसर जैसे रोगों की एक मुख्य वजह भी है.
यह संक्रामक रोगों में और अधिक ख़तरनाक साबित हो सकता है.
बहुत से लोगों के लिए, चिकित्सा सहायता के बिना वज़न घटाना और उसे बनाए रखना बेहद चुनौतीपूर्ण है.
ये दवाएँ मोटापे से ग्रस्त लोगों को, वज़न घटाने और स्वास्थ्य में सुधार लाने में मदद कर सकती हैं.
केवल दवा काफ़ी नहीं...
WHO ने, इन्हें 2025 में, उच्च जोखिम वाले टाइप 2 डायबिटीज़ समूहों, के लिए आवश्यक दवाओं की सूची में शामिल किया था, और नए दिशा-निर्देशों में, अब मोटापे से ग्रस्त वयस्कों के लिए, दीर्घकालिक उपयोग की सशर्त सलाह दी गई है.
WHO ने इस बात पर बल दिया कि केवल इन दवाओं के इस्तेमाल से वज़न नहीं घटेगा, क्योंकि सबसे प्रभावी उपचार में दवा के साथ संतुलित आहार, शारीरिक व्यायाम और स्वास्थ्य पेशेवरों से दीर्घकालिक सलाह शामिल होती है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने यह भी कहा कि मोटापा केवल व्यक्तिगत प्रयास से हल नहीं हो सकता और इसके लिए देशों की सरकारों और उद्योग जगत की ओर से व्यापक क़दम उठाए जाने होंगे.