बिहार SIR 2025 पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती: 65 लाख मतदाताओं की सूची वेबसाइट और पंचायत भवनों में प्रदर्शित होगी
SIR पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश से चुनाव आयोग के गाल पर पड़ा तमाचा;
The Supreme Court's order on SIR is a slap on the face of the Election Commission
चुनाव आयोग को 22 अगस्त तक ज़िलावार सूचियाँ ऑनलाइन और ऑफलाइन सार्वजनिक करने का आदेश, EPIC आधारित खोज सुविधा भी होगी उपलब्ध
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार SIR 2025 मामले में 65 लाख मतदाताओं की सूची वेबसाइट और पंचायत भवनों में प्रदर्शित करने व EPIC आधारित खोज की सुविधा देने का आदेश दिया।
जनता BLO और BLA की मोहताज नहीं, अब चुनाव आयोग को सार्वजानिक करनी पड़ेगी लिस्ट , बताना पड़ेगा नाम काटने का कारण भी - सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली 14 अगस्त 2025। बिहार SIR 2025 विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए चुनाव आयोग को 65 लाख मतदाताओं की वह सूची, जिनके नाम मसौदा सूची से गायब हैं, ज़िलावार वेबसाइटों, पंचायत भवनों और ब्लॉक कार्यालयों में प्रदर्शित करने का आदेश दिया है। सूची में नाम हटाने के कारण का भी उल्लेख होगा। इसके साथ ही EPIC नंबर आधारित खोज सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी और स्थानीय अखबारों, दूरदर्शन व सोशल मीडिया पर व्यापक प्रचार किया जाएगा।
14 अगस्त को दोपहर के भोजन के बाद हुई सुनवाई में, वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने चुनाव आयोग (ईसीआई) की ओर से तर्क दिया कि ईसीआई के पास अनुच्छेद 324, खंड 15 और 21 (1) व (2) के तहत निर्णय लेने की पर्याप्त शक्तियाँ हैं। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि ईसीआई नागरिकता के मामले में विचार नहीं कर सकता, और मतदाता के रूप में पंजीकृत होने के अधिकार पर भी चर्चा हुई।
विवाद का विषय बिहार में मतदाता सूची का संशोधन था, जिसमें 7.89 करोड़ कुल मतदाता थे, जिनमें से 7.24 करोड़ ने फॉर्म जमा किए थे, और 65 लाख छूट गए थे। इन 65 लाख में से 22 लाख की मृत्यु हो चुकी थी, जिस पर विवाद था।
यह भी तर्क दिया गया कि बिहार एक गरीब राज्य है जहाँ डिजिटल सुविधाएँ सीमित हैं।
चुनाव आयोग की तरफ से दलील दी गई कि पुरुषों की साक्षरता दर 80% और महिलाओं की 65% के आसपास है। लगभग 5 करोड़ लोग थे, जिनमें से 1 करोड़ ने दस्तावेज़ जमा किए थे, और 4 करोड़ पहले से ही मतदाता सूची में थे। शेष 2.5 करोड़ की जाँच चल रही थी। ईसीआई ने बूथों की संख्या बढ़ाई, बीएलओ की संख्या वेबसाइट पर दी, और अधिकारी और स्वयंसेवक घर-घर जाकर मृतकों की पहचान कर रहे थे। छूटे हुए लोगों की सूची चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध थी, जहाँ नाम और ईपीआईसी नंबर दर्ज करने पर जानकारी मिलती थी।
न्यायालय ने ईसीआई से माँग की कि वे इस सूची को और अधिक पारदर्शी बनाएँ, ताकि नागरिकों को राजनीतिक दलों पर निर्भर न रहना पड़े।
ईसीआई ने कहा कि वे राज्य सरकार की वेबसाइट का उपयोग नहीं कर सकते, लेकिन जिला स्तर पर सूची जारी करेंगे।
न्यायालय ने ईसीआई को निर्देश दिया कि वे 65 लाख मतदाताओं की सूची, जिनके नाम मसौदा सूची में नहीं थे, जिला स्तर की वेबसाइटों पर प्रदर्शित करें, साथ ही कारण भी बताएँ। इस सूची को स्थानीय भाषा के अखबारों और दूरदर्शन पर भी प्रचारित किया जाना था। सूची ईपीआईसी नंबर से खोज योग्य होनी चाहिए थी, और इसे पंचायत भवनों और अन्य कार्यालयों में भी प्रदर्शित किया जाना था। आधार कार्ड को पहचान के लिए स्वीकार किया जाना था। ईसीआई को सभी बूथ स्तरीय और जिला स्तरीय अधिकारियों से अनुपालन रिपोर्ट प्राप्त करनी थी और 22 अगस्त तक रिपोर्ट दाखिल करनी थी।
न्यायालय ने यह भी कहा कि वे इस मामले की निगरानी करेंगे और अगले शुक्रवार को सुनवाई करेंगे। ईसीआई ने बीएलओ का मोबाइल नंबर भी प्रदर्शित करने का वादा किया। न्यायालय ने यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया कि प्रक्रिया निष्पक्ष हो और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा हो।
अंत में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया। जस्टिस सूर्यकांत ने आदेश लिखाते हुए कहा-
हमने भारत के चुनाव आयोग का पक्ष संक्षेप में सुना है। सुनवाई के दौरान, निम्नलिखित कदमों पर सहमति बनी है: 1. चुनाव आयोग एक अंतरिम उपाय के रूप में निम्नलिखित कदम उठाएगा: 65 लाख मतदाताओं की सूची, जिनके नाम 2025 की सूची में शामिल थे, लेकिन मसौदा सूची में शामिल नहीं हैं, जिला स्तर की वेबसाइटों पर प्रदर्शित की जाएगी।
इसे प्रत्येक जिला निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर प्रदर्शित किया जाएगा... इसमें ड्राफ्ट रोल में नाम न शामिल करने का कारण भी बताया जाएगा। स्थानीय भाषा के उन अखबारों में व्यापक प्रचार किया जाएगा जिनका प्रसार सबसे ज़्यादा है और इसे दूरदर्शन व अन्य चैनलों पर प्रसारित किया जाना चाहिए। यदि जिला निर्वाचन अधिकारी के पास सोशल मीडिया हैंडल है, तो वे वहाँ भी यह सूचना प्रदर्शित करेंगे।
पीड़ित व्यक्ति अपने आधार कार्ड की प्रति के साथ अपने दावे प्रस्तुत कर सकते हैं। इसके अलावा, 65 लाख मतदाताओं की बूथवार सूची सभी पंचायत भवनों और खंड विकास एवं पंचायत कार्यालयों के नोटिस बोर्ड पर भी प्रदर्शित की जाएगी ताकि लोगों को सूची तक मैन्युअल पहुंच मिल सके।
सूची तक ईपीआईसी नंबरों से पहुंचा जा सकता है।
राज्य निर्वाचन अधिकारी ड्राफ्ट रोल में शामिल न किए गए मतदाताओं की ज़िलावार सूची की सॉफ्ट कॉपी भी ले सकते हैं और उसे मुख्य निर्वाचन अधिकारी (बिहार) की वेबसाइट पर प्रदर्शित करेंगे। चुनाव आयोग सभी बूथ स्तरीय और ज़िला स्तरीय अधिकारियों से अनुपालन रिपोर्ट प्राप्त करेगा और अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करेगा। सूची 22 अगस्त को।
बीच में वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायण ने हस्तक्षेप करते हुए कहा: 7.24 करोड़ की सूची सीईओ की वेबसाइट पर पहले से ही मौजूद है, 65 लाख की सूची भी उसी पर डाल दी जाए।
पीठ ने इस सुझाव पर सहमति जताई।
आगे आदेश दिया गया : बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उन मतदाताओं की जिलावार सूचियों की सॉफ्ट कॉपी भी रखेंगे जिन्हें ड्राफ्ट सूची में शामिल नहीं किया गया है, कारण सहित, सीईओ की वेबसाइट पर। चुनाव आयोग, बीएलओ और जिला निर्वाचन अधिकारियों से रिपोर्ट प्राप्त करेगा और एक संकलित स्थिति रिपोर्ट रिकॉर्ड में दर्ज करेगा। वेबसाइट की सूचियाँ ईपीआईसी-आधारित खोज योग्य होंगी।