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डॉ. अनिल पुष्कर के विषय में जानकारी डॉ. अनिल पुष्कर परंपरागत और समकालीन हिंदी पत्रकारिता को एक साहित्यिक तत्व के साथ जोड़ते हैं। उनकी पत्रकारिता में सामाजिक विमर्श, आत्मकथात्मक गहराई और शैक्षणिक शोध की स्पष्ट झलक मिलती है — एक ऐसी पत्रकारिता जो साहित्य, संस्कृति और लोकतंत्र को खोलती है। डॉ. अनिल पुष्कर का जन्म 2 अक्टूबर को इलाहाबाद में हुआ। वे बाराबंकी के आनंद भवन स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद इलाहाबाद के प्रतिष्ठित स्कूलों में रहे। उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हिंदी साहित्य और अनुवाद में एम.ए. व एम.फिल. की डिग्री प्राप्त की, और बाद में पाठकों के बीच अपनी पहचान बनाई। डॉ. पुष्कर ने बचपन से ही कविताएँ लिखना शुरू किया और 12 साल की उम्र में उनकी रचनाएँ पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं। उन्होंने अर्गला (2009) नामक साहित्यिक पत्रिका की स्थापना की, जिसमें उनकी ही स्थितिपरक अनुभवों एवं सांस्कृतिक विमर्शों का संकलन रहा। उन्होंने हरिवंशराय बच्चन के अनुवाद‑दृष्टिकोण पर शोध करते हुए जेएनयू में पीएचडी पूरी की, जिसका विषय ‘Harivansh Rai Bachchan Ki Anuvad Drishti’ शीर्षक से प्रकाशित हुआ। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में Post‑Doctoral Fellowship के तहत हिंदी क्षेत्र में प्रधान पत्रिकाओं की भूमिका पर शोध किया, और इस दौरान उन्होंने कई विश्वविद्यालयों में हिंदी साहित्य पढ़ाया। सदी के नायाब हस्ताक्षर (खंड 1 एवं 2) नामक पुस्तक में देश के प्रमुख साहित्यकारों तथा चिंतकों के साक्षात्कारों का संकलन किया, जो हिंदी साहित्य-सभ्यता की महत्वपूर्ण दस्तावेजी कृति के रूप में मानी जाती है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस द्वारा प्रकाशित Selected Works of Jawaharlal Nehru (खंड 56 एवं 57) में उनके द्वारा किया गया हिंदी अनुवाद भी सम्मिलित है।

