अशक्तों को सशक्त बनाएगा एप्पल, लॉन्च किया वॉइस कंट्रोल सिस्टम
टेक्नोलॉजी कंपनी एप्पल ने अशक्तजनों के सशक्तिकरण की दिशा में कदम बढ़ाया है। कंपनी ने ‘वॉइस कंट्रोल’ जैसी नई एक्सेसिबिलिटी तकनीक पेश की है, जिससे उपयोगकर्ता अपनी आवाज से iPhone, iPad और Mac चला सकते हैं

एप्पल की नई पहल: अशक्तजनों को सशक्त बनाने के लिए वॉइस कंट्रोल और एक्सेसिबिलिटी डिवाइसेस
- अशक्तों को सशक्त बनाने के लिए डिवाइस बनाएगा एप्पल
- एप्पल ने बढ़ाया कदम, अब दिव्यांग भी चला सकेंगे iPhone और Mac
- एप्पल की एक्सेसिबिलिटी टेक्नोलॉजी से दिव्यांगों के लिए खुला नया दौर
टेक्नोलॉजी कंपनी एप्पल (technology company apple) ने अशक्तजनों के सशक्तिकरण (Empowerment of persons with disabilities) की दिशा में कदम बढ़ाया है। कंपनी ने ‘वॉइस कंट्रोल’ जैसी नई एक्सेसिबिलिटी तकनीक पेश की है, जिससे उपयोगकर्ता अपनी आवाज से iPhone, iPad और Mac चला सकते हैं। भारतीय डेवलपर्स भी एप्पल की बिल्ट-इन तकनीक से मानसिक स्वास्थ्य आधारित एप (Mental health-based apps) विकसित कर रहे हैं, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सिरी शॉर्टकट्स का उपयोग करता है...
नई दिल्ली 10 जून। जिस तरह हम प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर उसका आनंद उठाते हैं, उसी तरह अशक्त लोग भी कर सकें, प्रौद्योगिकी कंपनियों के सामने यह बड़ी चुनौती है। इसके लिए प्रौद्योगिकी कंपनियों ने अब कमर कस ली है। इस कोशिश में अग्रणी प्रौद्योगिकी कंपनी (Technology company) एप्पल (Apple) ने अपना कदम बढ़ा दिया है।
एप्पल एक अरब से ज्यादा ऐसे लोगों के लिए, जो किसी न किसी अशक्तता का शिकार बने हैं, ऐसे डिवाइसेस बनाएगी, जिनका इस्तेमाल वे बखूबी कर सकें।
पिछले सप्ताह कंपनी ने एक नया डिवाइस पेश किया, जो 'वॉइस कंट्रोल' (Voice control) है। यह एक नया अनुभव दिलाता है, क्योंकि इसके माध्यम से आईफोन, आईपैड या मैक (IPhone, iPad, Mac) का उपयोग करने वाले अपनी आवाज से ही इनको चला सकते हैं।
आवाज पहचानने वाली नवीनतम प्रौद्योगिकी सिरी का इस्तेमाल करके वाइस कंट्रोल से विषय-वस्तु का प्रतिलेखन व संपादन ज्यादा सही तरीके से किया जाता है। उपयोगकर्ता टैपिंग, स्वाइपिंग और स्क्रॉलिंग करके इसका उपयोग कर सकते हैं।
मैकओएस कैटेलिना के साथ एप्पल ने नई सहयोगी प्रौद्योगिकी पेश की है, जिससे हर उपयोगकर्ता को अपने मैक डेस्कटॉप सिस्टम (mac desktop system information) का सर्वाधिक उपयोग करने में मदद मिलेगी।
कंपनी ने कहा,
"ऐसे उपयोगकर्ता जो परंपरागत इनपुट डिवाइस के जरिये अपने मैक को पूरी तरह से उपयोग नहीं कर पाते हैं, वे अब वाइस कंट्रोल से इसका इस्तेमाल कर पाएंगे। वे अपनी आवाज से डिवाइस सिरी स्पीच रिकॉगनिशन टेक्नोलोजी का उपयोग कर सकते हैं। इसमें व्यक्तिगत डाटा की निजता भी बनी रहती है।"
नया लेबल और ग्रिड उपयोगकर्ता वास्तव में किसी कांप्रिहेंसिव नेविगेशन एप का इस्तेमाल करके डिवाइस पर होने वाले ऑडियो प्रोसेसिंग के जरिए इसके साथ बातचीत कर सकते हैं।
भारतीय डेवलपरों ने एप्पल की सहायक बिल्ट-इन प्रौद्योगिकी के साथ एप बनाने का काम शुरू कर दिया है।
बेंगलुरू स्थित मेंटल हेल्थ वेलनेस एप 'व्यास' आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस आधारित बॉट से लैस है।
जो अग्रवाल और रमाकांत वेम्पति द्वारा स्थापित यह एप भावनात्मक रूप से समझदार चैटबॉट है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करके आपकी भावनाओं पर प्रतिक्रिया की जाती है।
व्यास के संस्थापकों के अनुसार, भारत में 5,000 से अधिक मनोचिकित्सक और 2,000 से ज्यादा नैदानिक मनोवैज्ञानिक हैं, फिर भी मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों का भरपूर उपयोग नहीं हो पाता है।
इससे भारत में मानसिक स्वास्थ के प्रति जागरूकता में कमी का पता चलता है, क्योंकि इसे यहां लांछन समझा जाता है।
व्यास में एप्पल एक्सेसिबिलिटी फीचर, मशीन लर्निग, वाच और सिरी शॉर्टकट जैसी प्रमुख प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल किया गया है, ताकि लोगों को समय पर नकारात्मक भावना के लिए सपोर्ट मिल पाए और नकारात्मक सोच को बदला जा सके और उनके स्वाभाव में सुधार हो।
Apple will make devices for empowering the disabled


