त्वरित टिप्पणी
जनता ने झूठ बोलने वालों को पहचान लिया है। उसे ठुकरा दिया है।
यह भाजपा नेता मोदी और शाह की निजी हार है।
उज्ज्वल भट्टाचार्या

कहा जा रहा है कि भाजपा के मतों में मामुली कमी आई है। यह जीत नितीश-लालू की जीत नहीं है। गणित की जीत है।

फिर तो कहा जा सकता है कि संसद के चुनाव में मोदी की जीत नकली जीत थी। इस बार गणित के हिसाब से नतीजा है ?

मैं ऐसा नहीं मानता।

निर्वाचन क्षेत्र पर आधारित चुनाव में अक्सर या ज़्यादातर अल्पमत वोट के आधार पर सीटों का बहुमत मिलता है। भारत में भी ऐसा हुआ है। ऐसे लोकतंत्र से हमें कोई परेशानी नहीं रही है।

आप अल्पमत वोट के आधार पर जब बहुमत पाते हैं, तो आपकी जीत सिर्फ़ वैधानिक ही नहीं, वैध भी है, नैतिक भी है।

लेकिन आपको राष्ट्रीय सहमति को तोड़ने का मतादेश नहीं मिला हुआ होता है।

भाजपा नेता मोदी अल्पमत के आधार पर मिले जनादेश का इस्तेमाल राष्ट्रीय सहमति को, इस देश के सांस्कृतिक ताने-बाने को ध्वस्त करने के लिये कर रहे हैं।

नागपुरी सांस्कृतिक क्रांति के हथियार के बल पर मनमोहनी आर्थिक नीति का बुलडोजर चलाया जा रहा है।
इसके चलते राष्ट्रीय एकता, संस्कृति व सभ्यता का संकट पैदा हुआ है। समाज के हर वर्ग में बेचैनी फैल गई है। प्रतिरोध उभर रहा है।

आपने हवा की बुवाई की है, आप को तूफ़ान की फ़सल काटनी पड़ेगी।

तैयार हो जाइये। हम तैयार हैं।

2014 के बाद का दौर ख़त्म हुआ। अब 2019 के पहले का दौर शुरू हो चुका है। मैंने कभी सोचा भी न था कि यह दौर इतनी जल्दी शुरू हो जाएगा।

जीत के चक्कर में अपनी और अपने पद की इज़्ज़त गंवा दी। यही इस चुनाव का सबसे बड़ा परिणाम है। जनता ने झूठ बोलनेवालों को पहचान लिया है। उसे ठुकरा दिया है।

यह भाजपा नेता मोदी और शाह की निजी हार है।