जयराम रमेश ने सी.पी. राधाकृष्णन को दी शुभकामनाएँ, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के प्रेरक शब्द किए याद

  • जयराम रमेश का संदेश
  • डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के ऐतिहासिक शब्द

संसदीय लोकतंत्र और विपक्ष की भूमिका

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के भावी सभापति सी.पी. राधाकृष्णन को शुभकामनाएँ देते हुए भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के प्रथम सभापति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के ऐतिहासिक उद्गारों को याद किया। जयराम रमेश ने राधाकृष्णन के उन प्रेरक शब्दों का उल्लेख किया, जिनमें संसदीय लोकतंत्र की सर्वोच्च परंपराओं को बनाए रखने, सभी दलों के प्रति निष्पक्षता बरतने और विपक्ष की स्वतंत्र आलोचना की अहमियत पर बल दिया गया था।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा

"नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति श्री सी. पी. राधाकृष्णन, जो राज्यसभा के सभापति भी होंगे, उन्हें शुभकामनाएँ प्रेषित करते हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के प्रथम सभापति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के प्रेरक शब्दों को स्मरण करती है।

16 मई, 1952 को राज्यसभा के उद्घाटन के अवसर पर प्रख्यात दार्शनिक, शिक्षाविद, लेखक और राजनयिक डॉ. राधाकृष्णन ने कहा था:

"मैं किसी एक दल का नहीं हूँ, और इसका अर्थ यह है कि मैं इस सदन के हर दल का हूँ। मेरा प्रयास संसदीय लोकतंत्र की सर्वोच्च परंपराओं को बनाए रखना होगा और प्रत्येक दल के प्रति पूर्ण निष्पक्षता और समानता के साथ कार्य करना होगा -किसी के प्रति द्वेष नहीं, और सभी के प्रति सद्भावना रखते हुए...यदि कोई लोकतंत्र विपक्षी समूहों को सरकार की नीतियों की निष्पक्ष, स्वतंत्र और स्पष्ट आलोचना करने की अनुमति नहीं देता है, तो वह तानाशाही में बदल सकता है..."

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अपने जीवन में इन बातों को अक्षरशः और भावना, दोनों ही अर्थों में पूरी तरह आत्मसात किया।"