पवन खेड़ा का बीजेपी पर हमला, यासिन मलिक से जुड़े सवाल उठाए

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि "वोट चोरी से ध्यान भटकाने का टूलकिट" उजागर हो चुका है। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में खेड़ा ने दावा किया कि बीजेपी यासिन मलिक के हलफनामे के चुनिंदा अंश लीक कर पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और यूपीए की छवि को धूमिल करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने पलटवार करते हुए पूछा कि जब आरएसएस और बीजेपी सत्ता में भी नहीं थे, तब यासिन मलिक से उनकी मुलाकातें और बातचीत क्यों हुईं।

पवन खेड़ा ने सोशल मीडिया पर लिखा-

"#वोटचोरी से ध्यान भटकाने का टूलकिट उजागर:

सुबह से बीजेपी यासिन मलिक के हलफनामे के कुछ हिस्सों को लीक कर रही है, ताकि डॉ. मनमोहन सिंह और यूपीए की छवि को बदनाम किया जा सके।

किसी प्रधानमंत्री - इस मामले में डॉ. मनमोहन सिंह - द्वारा ऐसे व्यक्ति को शिष्टाचार दिखाना जो शांति की कोशिश करने का दावा करता हो, यह आश्चर्य की बात नहीं है।

सच में चौंकाने वाली बातें यह हैं कि :

1. 2011 में आरएसएस ने यासिन मलिक से क्यों मुलाकात की? उस समय बीजेपी सत्ता में भी नहीं थी।

2. बीजेपी-आरएसएस से जुड़े थिंक-टैंक, विवेकानंद फाउंडेशन के नेतृत्व ने यासिन मलिक से क्यों बातचीत की?

3. क्या यह सच है कि वाजपेयी काल में मलिक को किसी मध्यस्थ के ज़रिए धीरूभाई अंबानी से फोन पर बात करवाई गई थी?

डॉ. सिंह की शिष्टता पर आक्रोश का नाटक करने के बजाय, बीजेपी को इतिहास की समीक्षा करनी चाहिए।

▪️ मई 2007 में, यासिन मलिक अपनी “सफ़र-ए-आज़ादी” (आजादी मार्च) शुरू करने की तैयारी कर रहे थे। 4 मई को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और उन्होंने मार्च करने देने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी। तब अटल बिहारी वाजपेयी ने यूपीए सरकार के साथ हस्तक्षेप किया और सुनिश्चित किया कि मार्च की अनुमति दी जाए।

▪️ वाजपेयी जी से लेकर डॉ. मनमोहन सिंह जी तक, जब राज्य की नीति संवाद और सुलह की थी, दोनों सरकारों ने सभी प्रकार के हितधारकों से मुलाकात की। यदि डॉ. सिंह की शिष्टता पर सवाल उठाना है, तो शायद बीजेपी को वाजपेयी जी की हुर्रियत नेताओं के साथ मुस्कुराती फोटो, या अडवाणी जी की कराची में जिन्ना के मज़ार की यात्रा का स्पष्टीकरण देना चाहिए। अन्यथा, हम सभी उनकी चुप्पी का आनंद लेना चाहेंगे।"