दिल्ली दंगों की कथित साज़िश से जुड़े मामले में उमर खालिद, शरजील इमाम सहित कई आरोपियों की ज़मानत याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवाई के दौरान एएसजी राजू ने अदालत में जोरदार विरोध दर्ज कराया। उन्होंने अदालत को बताया कि दंगों में 53 लोगों की मौत, 513 घायलों और व्यापक हिंसा की पृष्ठभूमि के चलते UAPA की गंभीर धाराएँ लगाई गई हैं, जिनमें धारा 16(1)(a) भी शामिल है, जिसके तहत अधिकतम सज़ा मौत तक हो सकती है।

एएसजी राजू ने दलील दी कि चार्जशीट पर संज्ञान लेने के आदेश को किसी ने चुनौती नहीं दी है और UAPA की धारा 43D(5) के तहत आरोपी ज़मानत के हकदार नहीं हैं। उन्होंने दावा किया कि सबूत—वीडियो, प्रोटेक्टेड गवाहों के बयान और कथित मनी ट्रेल—एक व्यापक साज़िश की ओर इशारा करते हैं, जिसका उद्देश्य हिंसा फैलाना और आवश्यक सेवाओं को बाधित करना था।

राजू ने कहा कि चांदबाग और जामिया इलाक़ों में हुई घटनाओं में योजनाबद्ध तरीके से CCTV कैमरे तोड़े गए, भीड़ जुटाई गई और पुलिस पर घातक हमले किए गए, जिनमें हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल और IB अधिकारी अंकित शर्मा की मौत हुई। उन्होंने आरोप लगाया कि वित्तीय मदद शेल कंपनियों और संगठनों के ज़रिए जुटाई गई, और कई आरोपी इससे सीधे जुड़े रहे।

सुनवाई के दौरान जस्टिस अरविंद कुमार ने कई बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा। बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि वे मेरिट पर नहीं जा रहे और विस्तृत जवाब के लिए अतिरिक्त समय की मांग की। अदालत अब सोमवार को लंच के बाद आगे की सुनवाई करेगी, जबकि कुछ पक्षकारों ने अनुमान जताया कि बहस मंगलवार तक चल सकती है।