स्तंभ - Page 21
सत्य की बहुस्तरीयता ही बाबा नागार्जुन की कविता की धुरी है
बाबा नागार्जुन का जन्मदिन: लोकतंत्र और कविता के रिश्ते पर गहरी पड़ताल। जानें कैसे नागार्जुन ने कविता में बुर्जुआ लोकतंत्र की आलोचना, मानवाधिकार विमर्श...
साहित्य अकादमी में डाइवर्सिटी ! ढूंढते रह जाओगे
साहित्य अकादमी में डाइवर्सिटी ! अपने जन्मकाल से ही साहित्य अकादमी सवर्णों द्वारा परिचालित होती रही है, जिनके स्व-वर्णवादी सोच के चलते इसमें विविधता...













