‘दंगल’ में धाकड़ छोरियां
‘दंगल’ में धाकड़ छोरियां

film review
फिल्म समीक्षा
‘दंगल’ में धाकड़ छोरियां
वीणा भाटिया
‘दंगल’ आमिर खान की ऐसी फिल्म है जो हिंदी सिनेमा में मील के पत्थर के तौर पर याद की जाएगी। नितेश तिवारी के निर्देशन में बनी यह फिल्म रिलीज होते ही सफलता के सभी कीर्तिमानों को तोड़ रही है, तो इसके पीछे वजह है इस फिल्म में यथार्थ का वह चित्रण जो हिंदी सिनेमा में संभवत: अब तक सामने नहीं आया था।
यह एक सच्ची कहानी पर बनी फिल्म है, जिसे डॉक्यु-ड्रामा की श्रेणी का माना रहा है।
इस फिल्म में जिस कहानी को सामने लाया गया है और उसका जैसा ट्रीटमेंट किया गया है, वह इसे आम व्यावसायिक फिल्मों से पूरी तरह अलग कर देती है।
कुश्ती पर बनी ‘दंगल’ कोई पहली फिल्म नहीं है। इसमें कुश्ती की बारीकियां तो दिखाई ही गई हैं, पर इससे ज्यादा यह एक राज्य में जहां लैंगिक भेदभाव सबसे ज्यादा है, वहां स्त्री की शक्ति, उसके संघर्ष और सफलता का बयान करती है।
यह फिल्म यह संदेश देती है कि लड़कियां किसी भी मायने में लड़कों से कम नहीं हैं और उन पर भरोसा किया ही जाना चाहिए।
फिल्म हरियाणा की पृष्ठभूमि पर है। हरियाणा अपने पहलवानों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। फिल्म में दिग्गज पहलवान महावीर फोगाट के जीवन और उसके संघर्षों के दिखाया गया है।
महावीर फोगाट कुश्ती के नेशनल चैम्पियन हैं, लेकिन वह गोल्ड मेडल नहीं जीत पाते हैं। उनका सपना है कि उनका बेटा अंतरराष्ट्रीय स्तर का पहलवान बने और गोल्ड मेडल जीते। पर उन्हें एक के बाद एक चार लड़कियां होती हैं। फिर उन्हें लगने लगता है कि अब उनका सपना पूरा नहीं हो पाएगा। लड़कियां बड़ी होती हैं।
एक दिन फोगाट को पता चलता है कि उनकी लड़कियों ने बदतमीजी करने वाले कुछ लड़कों की जोरदार पिटाई की है।
यह बात चर्चा का विषय बन जाती है और फोगाट के मन में यह बात आती है कि लड़कियां आखिर लड़कों से कम कैसे हैं। फिर इसी से उनकी सोच में बदलाव आ जाता है और वह अपनी लड़कियों को प्रोफेशनल रेसलर बनाने का संकल्प ले लेते हैं। इसमें उन्हें सफलता भी मिलती है।
उनकी बड़ी बेटी गीता फोगाट 2012 में दिल्ली में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली देश की पहली महिला पहलवान बनती है। इस तरह, उनका सपना पूरा होता है।
वह अपनी दूसरी बेटी बबिता को भी पहलवान बनाते हैं। आज दोनों अंतरराष्ट्रीय स्तर की कुश्ती चैम्पियन हैं। लेकिन उस समाज में जहां लड़कियों की कोई पूछ नहीं और जिन्हें गर्भ में ही मार दिया जाता है, महावीर फोगाट के लिए अपनी बेटियों को पहलवानी में उतारना और उन्हें राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर का चैम्पियन बना देना कोई मामूली बात नहीं हो सकती। इसके पीछे महावीर फोगाट का जो संघर्ष रहा है, उसे ‘दंगल’ में दिखाया गया है। यह फिल्म बताती है कि कैसे महावीर ने महिलाओं को घर की चारदीवारी में कैद रखने वाले समाज की सोच के विरुद्ध बेटियों को अंतरराष्ट्रीय पहलवान बनाया, जिन्होंने स्वर्ण पदक जीता।
आमिर की इस फ़िल्म का संदेश साफ़ और सीधा है कि लड़के-लड़कियों में भेदभाव मिट जाए तो लड़कियां हर क्षेत्र में इतिहास बना सकती हैं। पर यहां सवाल है कि ऐसा कैसे हो सकेगा, यह मानसिकता और चेतना में बदलाव का प्रश्न है। महावीर फोगाट को अपनी बेटियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर का पहलवान बनाने में सफलता तभी मिलती है, जब उन्हें लगता है कि उनकी बेटियां बेटों से जरा भी कमतर नहीं। बहरहाल, यह फिल्म बहुत ही मजबूती से यह सच सामने रखने में सफल रही है।
फिल्म में मुख्य किरदार महावीर फोगाट की भूमिका आमिर खान ने निभाई है। इस संबंध में काफी लिखा जा चुका है कि पात्र को जीवंत करने के लिए किस तरह उन्होंने अपना वजन बढ़ाया, हरियाणवी बोलने की ट्रेनिंग ली, प्रोफेशनल रेसलिंग की ट्रेनिंग खुद तो ली ही, बेटियों का किरदार निभाने वाली फातिमा सना शेख (गीता फोगाट) और सानिया मल्होत्रा (बबिता) को भी ट्रेनिंग दिलवाई।
फिल्म में महावीर फोगाट (आमिर खान) की पत्नी की भूमिका साक्षी तंवर ने निभाई है।
पहलवान गीता और बबिता के बचपन का किरदार निभाया है ज़ायरा वसीम और सुहानी भटनागर ने। इन्हें भी हरियाणवी बोलने की ट्रेनिंग के साथ कड़ी फिजिकल ट्रेनिंग दी गई।
आमिर को परफेक्शनिस्ट यूं ही नहीं कहा जाता।
यह इस फिल्म को देखने पर ही पता चल सकता है कि उन्होंने महावीर फोगाट का चरित्र जीवंत करने के लिए कितनी मेहनत की होगी। फिल्म में आमिर जिस तरह हरियाणवी बोलते दिखाई पड़ते हैं, वह उनकी कड़ी ट्रेनिंग का ही परिणाम है।
फिल्म में कोई भी दृश्य थोपा हुआ नहीं लगता। कहानी में सहज प्रवाह है। 'दंगल' कुश्ती की बारीकियों को भी दिखाती है।
फिल्म में खेल की राजनीति की बात की गई है तो साथ ही पहलवानों की कठिन जिंदगी को भी दिखाया गया है।
कुश्ती महिलाओं के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण खेल है। फिर भी महिलाएं इस क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलता के परचम लहरा रही हैं, तो यह उनकी जिजीविषा ही कही जाएगी।
कुल मिलाकर, इस फिल्म के माध्यम से आमिर ने पुरुष वर्चस्ववाद पर कड़ा प्रहार किया है और एक सच्ची कहानी को फिल्मा कर दिखा दिया है कि स्त्री की ताकत को नज़रन्दाज नहीं किया जा सकता।
निर्देशक नितेश तिवारी ने कहीं भी फिल्म पर पकड़ ढीली नहीं होने दी है। वे कहीं भी दृश्यों को बेवजह नहीं खींचते। ‘दंगल’ इस साल के आखिर में आई एक ऐसी फिल्म है जो हिंदी सिनेमा के इतिहास में दर्ज की जाएगी।
निर्माता- सिद्धार्थ रॉय कपूर
निर्देशक – नितेश तिवारी
कलाकार- आमिर खान, साक्षी तंवर, फातिमा सना शेख, सानिया मल्होत्रा
संगीत – प्रीतम
गीत – अभिताभ भट्टाचार्य


