#GKPillaiExposed अपराधियों को बचाने के लिए दूर से निशाना
#GKPillaiExposed अपराधियों को बचाने के लिए दूर से निशाना
हेडली का बयान वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के द्वारा हो रहा है। हेडली सीआईए व आईएसआई का डबल क्रॉस एजेंट है। हेडली अमेरिका की जेल में है और मुंबई आतंकी घटना से सम्बंधित वादा माफ़ गवाह के रूप में वह गवाही दे रहा है। अभी तक यह प्रकाश में नहीं आया है कि किन कारणों की वजह से उसको वादा माफ़ गवाह बनाकर गवाही की जा रही है।
देश के तत्कालीन गृह सचिव जी के पिल्लई इस समय सेवानिवृत्ति के बाद मोदी साहब के पसंदीदा उद्योगपति गौतम अडानी, कंपनी अडानी पोर्ट्स के निदेशक हैं। समझा जा रहा है कि उन्होंने हेडली के बयान के बाद संसद के सत्र के समय जब सरकार जवाहरलाल नेहरु विश्व विद्यालय के मामले में उलझी हुई थी, उससे निजात दिलाने के लिए उनका बयान आता है कि तत्कालीन चिदंबरम ने शपथ पत्र बदलवा दिया था। क्योंकि यह बात पूर्व में कभी नहीं कही गयी थी।
केन्द्रीय गृह सचिव महत्वपूर्ण पद है और उस पद पर बैठे हुए लोग जब प्राइवेट कंपनियों में नौकरी करेंगे तो इस तरह के बयान आना स्वाभाविक है लेकिन वहीँ मौजूदा समय में शिलॉन्ग में NEEPO के चीफ विजिलेंस ऑफिसर पर तैनात आईजी रैंक के अधिकारी सतीश वर्मा ने कहा है कि सुरक्षा और राष्ट्रवाद के नाम पर जो कुछ भी हो रहा है वह इस अपराध में शामिल लोगों को बचाने के लिए हो रहा है। उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय ने मामले में शामिल आईबी अधिकारियों पर मुकदमा चलाने की अनुमति देने से इंकार कर दिया जबकि अदालतें पहले ही ऐसे मामलों में अनुमति की जरूरत नहीं होने की बात कह चुकीं हैं।
आईपीएस अफसर ने इशरत के संबंध में कहा कि वह मारे गए तीन अन्य लोगों में से एक जावेद शेख के संपर्क में कुछ दिन पहले आई थी। वह अपने घर से 10 दिनों के लिए दूर थी और इसी दौरान उन लोगों की मुलाकात हुई थी। गृह मंत्रालय में अंडर सेक्रेटरी रहे आरवीएस मणि के दावों को खारिज करते हुए वर्मा ने कहा कि मणि को इस केस के संबंध में कोई डायरेक्ट जानकारी नहीं है।
वर्मा ने ये भी कहा कि कुछ लोग एक माहौल तैयार करने की तैयारी कर रहे हैं और मणि भी उस योजना का हिस्सा हैं और उसमें अपना योगदान दे रहे हैं।
सतीश वर्मा ने कहा कि हमारी जांच में पता चला कि एनकाउंटर से कुछ दिन पहले आईबी अधिकारियों ने इशरत जहां और उसके तीन साथियों को उठा लिया था। गौरतलब है कि उस वक्त भी आईबी के पास इस बात के सबूत या संकेत नहीं थे कि एक महिला आतंकियों के साथ मिली हुई है। इन लोगों को गैर कानूनी रूप से हिरासत में रखा गया और फिर मार डाला गया। सतीश वर्मा मामले की जांच के लिए गुजरात हाई कोर्ट की ओर से बनाई गई स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम (SIT) के सदस्य भी थे।
बता दें कि महाराष्ट्र के मुंबई की रहने वाली इशरत जहां को उसके तीन अन्य साथियों के साथ अहमदाबाद के बाहरी इलाके में 15 जून 2004 को मार डाला गया था। आरोप लगाया गया था कि ये सभी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य थे।
हेडली की वादा माफ गवाही का कोई मतलब हो या न हो लेकिन बहुत दूर से तीर चलाकर इशरत का नाम लेकर इशरत जहाँ के हत्यारों को बचाने का मामला जरूर प्रकाश में आ रहा है।
इशरत जहाँ के एनकाउंटर में उस समय के सत्तारूढ़ दल के राजनीतज्ञ भी शामिल थे और उन अधिकारियों को बचाने के लिए पिल्लई साहब का दूसरा अवतार हो रहा है और हद तो तब तक हो गयी जब आरवीएस मणि जो उस वक्त होम मिनिस्ट्री के इंटरनल सिक्युरिटी डिपार्टमेंट में अंडर सेक्रेटरी थे, ने अब बताया है कि "मुझे रबर स्टैम्प बनाने की कोशिश की गई। इशरत मामले में सबूतों को गढ़ने को कहा गया। एसआईटी चीफ सतीश वर्मा ने मुझे बहुत टॉर्चर किया। वर्मा ने मुझे सिगरेट से दागा। सीबीआई अफसर मेरा पीछा करते रहते थे।"


