उत्तरी गोलार्द्ध में इन्फ़्लुएंज़ा और श्वसन रोगों का बढ़ता खतरा

नया वैरीएंट AH3N2 और J.2.4.1: तेज़ प्रसार, पर गम्भीरता के संकेत नहीं

वैक्सीन में नियमित बदलाव क्यों ज़रूरी हैं

टीकाकरण से बच्चों और वयस्कों में गम्भीर बीमारी का जोखिम घटा

छुट्टियों के मौसम में संक्रमण बढ़ने की आशंका, तैयारी पर ज़ोर

WHO की वैश्विक निगरानी व्यवस्था और देशों से अपील

नई दिल्ली, 17 दिसंबर 2025. उत्तरी गोलार्द्ध में इन्फ़्लुएंज़ा मामलों में तेज़ बढ़ोतरी को लेकर WHO ने चेतावनी दी है। नए वैरीएंट के बावजूद विशेषज्ञों का साफ कहना है कि मौजूदा वैक्सीन गम्भीर बीमारी और अस्पताल में भर्ती होने के जोखिम को कम करने में प्रभावी है। इस संबंध में पढ़िए संयुक्त राष्ट्र समाचार की यह खबर...

इन्फ़्लुएंज़ा मामलों में चिन्ताजनक उछाल, मगर वैक्सीन एक कारगर बचाव उपाय: WHO

16 दिसंबर 2025 स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने आगाह किया है कि उत्तरी गोलार्द्ध क्षेत्र में इन्फ़्लुएंज़ा और श्वसन तंत्र से जुड़ी अन्य बीमारियों की वजह बनने वाले वायरस का प्रकोप बढ़ रहा है. यूएन विशेषज्ञों के अनुसार, वायरस का एक नया प्रकार (वैरीएंट) तेज़ी से फैल रहा है, और इससे बचाव के लिए टीकाकरण सबसे कारगर उपाय है.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी का अनुमान है कि हर वर्ष, मौसमी इन्फ़्लुएंज़ा के 1 अरब से अधिक मामले दर्ज किए जाते हैं, जिनमें साँस लेने से जुड़ी बीमारियों के 50 लाख मामले हो सकते हैं.

प्रति वर्ष, इन्फ़्लुएंज़ा सम्बन्धी श्वसन तंत्र रोगों से 6.50 लाख लोगों की मौत हो जाती है.

नए वैरीएंट, J.2.4.1 या subclade K का पहली बार ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड में पता चला था और उसके बाद से 30 से अधिक देशों में इसके संक्रमण मामले सामने आ चुके हैं.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी में श्वसन सम्बन्धी रोग से जुड़े जोखिमों पर विशेषज्ञ डॉक्टर वेनकिंग झांग ने मंगलवार को जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि इस वर्ष, एक नया AH3N2 वायरस उभरा है और तेज़ी से फैला है.

डॉक्टर झांग के अनुसार, महामारी विज्ञान सम्बन्धी डेटा के आधार पर इस वैरीएंट से बीमारी की गम्भीरता बढ़ने के संकेत नहीं हैं, लेकिन यह जेनेटिक बदलाव को दर्शाता है.

उन्होंने बताया कि इन्फ़्लुएंज़ा की वजह बनने वाले वायरस में निरन्तर बदलाव आ रहे हैं और इस वजह से उसकी वैक्सीन की बनावट में भी नियमित संशोधन किए जाने की आवश्यकता है.

स्वास्थ्य संगठन द्वारा इन बदलावों पर नज़र रखी जाती है, उससे सार्वजनिक स्वास्थ्य पर होने वाले जोखिम की समीक्षा होती है और एक वर्ष में दो बार वैक्सीन के लिए सिफ़ारिश की जाती है. वैश्विक स्तर पर विशेषज्ञों के सहयोग से संचालित यह एक ऐसी व्यवस्था है जो लम्बे समय से जारी है.

WHO विशेषज्ञ ने बताया कि उत्तरी गोलार्द्ध में इन्फ़्लुएंज़ा के मौसम के लिए तैयार वैक्सीन को फ़िलहाल इस नए वैरीएंट के हिसाब से नहीं बनाया गया है.

मगर फिर भी, आरम्भिक साक्ष्य दर्शाते हैं कि मौजूदा मौसमी बचाव टीकों से भी गम्भीर बीमारियों से रक्षा की जा सकती है और अस्पताल में भर्ती होने के जोखिम को कम किया जा सकता है.

जोखिम घटाने के उपाय

डॉक्टर झांग ने कहा कि टीकाकरण, हमारे लिए सबसे कारगर उपाय है, विशेष रूप से संक्रमण के प्रति सम्वेदनशील आबादी और उनकी देखभाल करने वाले लोगों के लिए. यह वायरस के नए प्रकारों से बचने में भी मदद करती है.

उन्होंने नए वैरीएंट के विरुद्ध वैक्सीन के कारगर होने पर किए जा रहे अध्ययन के नतीजों को साझा किया, जो कुछ ही सप्ताह पहले ब्रिटेन में प्रकाशित हुए हैं.

डॉक्टर झांग ने बताया कि वैक्सीन एक अहम बचाव उपाय है. यह बच्चों में गम्भीर बीमारी और उनके अस्पताल में भर्ती होने में 75 प्रतिशत तक कारगर है, जबकि वयस्कों में यह 35 फ़ीसदी है.

उन्होंने सचेत किया कि आगामी दिनों में छुट्टियों के मौसम में साँस लेने से जुड़ी बीमारियों में उछाल दर्ज किया जा सकता है, और इसकी रोकथाम के लिए समय रहते योजना व तैयारी आवश्यक है. इसके तहत, लोगों को वैक्सीन लेने के लिए प्रोत्साहित करना, स्वास्थ्य प्रणालियों को तैयार रखना बहुत अहम है.

WHO विशेषज्ञ ने देशों से लैब में वायरस का पता लगाने की व्यवस्था को मज़बूती देने और यूएन एजेंसी के निगरानी नैटवर्क में हिस्सा लेने का सुझाव दिया है. इस नैटवर्क के अन्तर्गत 130 देशों में इन्फ़्लुएंज़ा केन्द्र और प्रयोगशालाएँ हैं.