विश्व जल सप्ताह 2025 में WHO-UNICEF की रिपोर्ट

  • हर चौथा व्यक्ति सुरक्षित पेयजल से वंचित
  • सैनिटेशन और हाइजीन सेवाओं की गंभीर कमी
  • ग्रामीण और गरीब समुदायों पर सबसे बड़ा असर
  • महिलाओं और लड़कियों पर अतिरिक्त बोझ
  • सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स 2030 पर सवाल

स्वच्छ पानी, स्वच्छता और स्वास्थ्य: मानव अधिकार की मांग

WHO और UNICEF की नई रिपोर्ट बताती है कि विश्व की हर चौथी आबादी (2.1 अरब लोग) को अब भी सुरक्षित पेयजल नहीं मिल रहा है। 3.4 अरब लोग स्वच्छ सैनिटेशन से वंचित हैं और 1.7 अरब लोगों के पास बुनियादी हाइजीन सेवाएं नहीं हैं। जानिए विश्व जल सप्ताह 2025 की रिपोर्ट के मुख्य तथ्य...

नई दिल्ली, 29 अगस्त 2025. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और यूनिसेफ की एक नई रिपोर्ट, "प्रोग्रेस ऑन हाउसहोल्ड ड्रिंकिंग वॉटर एंड सैनिटेशन 2000-2024: स्पेशल फोकस ऑन इनइक्वैलिटीज," (Progress on household drinking-water, sanitation and hygiene 2000-2024: Special focus on inequalities) से पता चलता है कि 2025 की विश्व जल सप्ताह (World Water Week 2025) के दौरान जारी की गई, कि दुनिया भर में अभी भी अरबों लोग आवश्यक जल, स्वच्छता और स्वच्छता सेवाओं तक पहुँच के बिना रह रहे हैं, जिससे वे बीमारी और गहरे सामाजिक बहिष्कार के जोखिम में हैं।

यह रिपोर्ट WHO और UNICEF के संयुक्त निगरानी कार्यक्रम (JMP) द्वारा प्रकाशित की गई है, जो 2000 से 2024 तक घरेलू जल आपूर्ति, स्वच्छता और स्वच्छता (WASH) सेवाओं की प्रगति पर केंद्रित है। इसका विशेष फोकस असमानताओं पर है।

रिपोर्ट का उद्देश्य

  • - सतत विकास लक्ष्य (SDG) 6.1 और 6.2 के तहत सभी के लिए सुरक्षित पेयजल, स्वच्छता और स्वच्छता सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
  • - असमानताओं को उजागर करना—भौगोलिक, सामाजिक-आर्थिक और व्यक्तिगत स्तर पर।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:

पेयजल सेवाएं

  • - 2015 से 2024 तक 961 मिलियन लोगों को सुरक्षित पेयजल सेवाएं मिलीं।
  • - वैश्विक कवरेज 68% से बढ़कर 74% हुआ, ग्रामीण क्षेत्रों में 50% से 60% और शहरी क्षेत्रों में 83% पर स्थिर।
  • - 2024 में 2.1 अरब लोग अब भी सुरक्षित पेयजल सेवाओं से वंचित हैं।
  • - 89 देशों ने कम से कम बुनियादी पेयजल सेवाओं में सार्वभौमिक पहुंच हासिल की है।

2015 के बाद की प्रगति के बावजूद, दुनिया भर में हर चार में से एक व्यक्ति (2.1 अरब) को सुरक्षित रूप से प्रबंधित पेयजल की कमी है, जिसमें 10.6 करोड़ लोग ऐसे हैं जो सीधे अनुपचारित सतही स्रोतों से पानी पीते हैं।

स्वच्छता : 3.4 अरब लोग अभी भी सुरक्षित रूप से प्रबंधित स्वच्छता की कमी का सामना कर रहे हैं, जिसमें 35.4 करोड़ लोग खुले में शौच करते हैं।

स्वच्छता सेवाएं

  • - 1.2 अरब लोगों को सुरक्षित स्वच्छता सेवाएं मिलीं।
  • - वैश्विक कवरेज 48% से बढ़कर 58% हुआ।
  • - खुले में शौच करने वालों की संख्या 429 मिलियन घटकर 354 मिलियन रह गई।
  • - 64 देशों ने बुनियादी स्वच्छता में सार्वभौमिक पहुंच हासिल की है।

1.7 अरब लोगों के पास घर पर बुनियादी स्वच्छता सेवाओं की कमी है, जिसमें 61.1 करोड़ लोग ऐसी किसी भी सुविधा तक पहुँच के बिना हैं।

स्वच्छता (हाइजीन) सेवाएं

  • - 1.6 अरब लोगों को बुनियादी स्वच्छता सेवाएं मिलीं।
  • - कवरेज 66% से बढ़कर 80% हुआ, ग्रामीण क्षेत्रों में 52% से 71% और शहरी क्षेत्रों में 86% पर स्थिर।
  • - 2024 में 1.7 अरब लोग अब भी बुनियादी स्वच्छता सेवाओं से वंचित हैं।

कम आय वाले देशों, कमजोर संदर्भों, ग्रामीण समुदायों, बच्चों और अल्पसंख्यक जातीय और स्वदेशी समूहों के लोगों को सबसे बड़ी असमानता का सामना करना पड़ता है। कम विकसित देशों में लोगों के लिए बुनियादी पेयजल और स्वच्छता सेवाओं की कमी अन्य देशों के लोगों की तुलना में दोगुने से अधिक है, और बुनियादी स्वच्छता की कमी तीन गुना से अधिक है। कमजोर संदर्भों में, सुरक्षित रूप से प्रबंधित पेयजल कवरेज अन्य देशों की तुलना में 38 प्रतिशत अंक कम है।

ग्रामीण बनाम शहरी : ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए सुधार हुए हैं, लेकिन वे अभी भी पीछे हैं। 2015 और 2024 के बीच सुरक्षित रूप से प्रबंधित पेयजल कवरेज 50 प्रतिशत से बढ़कर 60 प्रतिशत हुआ, और बुनियादी स्वच्छता कवरेज 52 प्रतिशत से बढ़कर 71 प्रतिशत हुआ। इसके विपरीत, शहरी क्षेत्रों में पेयजल और स्वच्छता कवरेज स्थिर रहा है।

मासिक धर्म स्वास्थ्य

  • - 70 देशों में किशोरियों और महिलाओं के मासिक धर्म स्वास्थ्य पर डेटा उपलब्ध है।
  • - कम आय वाले देशों में पुन: उपयोग योग्य मासिक धर्म उत्पादों का अधिक उपयोग देखा गया।
  • - पर्याप्त सामग्री, निजी स्थान और स्वास्थ्य सहायता की कमी प्रमुख समस्याएं हैं।

महिलाएँ और लड़कियाँ : अधिकांश देशों में उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, महिलाएँ और लड़कियाँ मुख्य रूप से जल संग्रहण के लिए ज़िम्मेदार हैं, जिनमें से कई उप-सहारा अफ्रीका और मध्य और दक्षिणी एशिया में प्रतिदिन 30 मिनट से अधिक समय पानी इकट्ठा करने में बिताती हैं। किशोर लड़कियाँ (15-19 वर्ष) वयस्क महिलाओं की तुलना में मासिक धर्म के दौरान स्कूल, काम और सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने की संभावना कम होती हैं।

असमानताएं

  • - निम्न-आय वाले देशों में खुले में शौच की दर वैश्विक औसत से चार गुना अधिक है।
  • - इन देशों को बुनियादी सेवाओं तक पहुंच के लिए 7 से 18 गुना तेजी से प्रगति करनी होगी।
  • - ग्रामीण-शहरी, अमीर-गरीब, जातीय समूहों और विकलांगता के आधार पर गहरी असमानताएं मौजूद हैं।

कम आय वाले देशों, कमजोर संदर्भों, ग्रामीण समुदायों, बच्चों और अल्पसंख्यक जातीय और स्वदेशी समूहों के लोगों को सबसे बड़ी असमानता का सामना करना पड़ता है। कम विकसित देशों में लोगों के लिए बुनियादी पेयजल और स्वच्छता सेवाओं की कमी अन्य देशों के लोगों की तुलना में दोगुने से अधिक है, और बुनियादी स्वच्छता की कमी तीन गुना से अधिक है। कमजोर संदर्भों में, सुरक्षित रूप से प्रबंधित पेयजल कवरेज अन्य देशों की तुलना में 38 प्रतिशत अंक कम है।

डेटा कवरेज और उपलब्धता

  • - 2024 तक WASH संकेतकों के लिए डेटा कवरेज में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
  • - भारत और चीन जैसे बड़े देशों में नए डेटा शामिल किए गए हैं।
  • - अब 50% से अधिक वैश्विक आबादी के लिए विश्वसनीय WASH डेटा उपलब्ध है।

सतत विकास लक्ष्यों की अवधि (Duration of Sustainable Development Goals) के अंतिम पाँच वर्षों के करीब आते हुए, खुले में शौच को समाप्त करने और बुनियादी जल, स्वच्छता और स्वच्छता सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुँच के लिए 2030 के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए तेजी लाने की आवश्यकता होगी, जबकि सुरक्षित रूप से प्रबंधित सेवाओं का सार्वभौमिक कवरेज तेजी से पहुँच से बाहर होता जा रहा है।

संक्षेप में, रिपोर्ट यह दर्शाती है कि हालांकि 2000 और 2024 के बीच अरबों लोगों को WASH सेवाओं तक पहुँच मिली है, लेकिन प्रगति असमान रही है और पहुँच की कमी वाले लोगों की कुल संख्या धीरे-धीरे कम हुई है। सबसे हाशिये पर रहने वाले समुदायों के लिए कार्रवाई में तेजी लाने की आवश्यकता है।

यह रिपोर्ट दर्शाती है कि यद्यपि वैश्विक स्तर पर प्रगति हुई है, लेकिन 2030 तक सार्वभौमिक पहुंच के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रगति की गति को कई गुना बढ़ाना आवश्यक है—विशेषकर निम्न-आय वाले और संकटग्रस्त क्षेत्रों में।

भारत की स्थिति, मासिक धर्म स्वास्थ्य, या ग्रामीण बनाम शहरी असमानताएं।

इस रिपोर्ट में भारत की स्थिति उल्लेखनीय रूप से सामने आई है। WHO और UNICEF की संयुक्त रिपोर्ट में भारत को एक प्रमुख उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया गया है, खासकर डेटा कवरेज और प्रगति के संदर्भ में।

पहली बार भारत के लिए संपूर्ण राष्ट्रीय अनुमान उपलब्ध हुए हैं, खासकर शहरी क्षेत्रों में पेयजल गुणवत्ता के नए डेटा के कारण। इससे भारत वैश्विक WASH निगरानी में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता बन गया है। भारत ने सुरक्षित पेयजल सेवाओं में उल्लेखनीय प्रगति की है, शहरी क्षेत्रों में जल गुणवत्ता पर डेटा शामिल होने से सुरक्षित प्रबंधन के अनुमान संभव हुए हैं। हालाँकि ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी सतत प्रबंधन और गुणवत्ता की चुनौतियाँ बनी हुई हैं।

खुले में शौच की प्रवृत्ति में भारी गिरावट आई है, विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में यह लगभग समाप्त हो चुकी है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी सुधार हुआ है, लेकिन सुरक्षित प्रबंधन (जैसे मलजल का उपचार) अभी भी सीमित है।

भारत में बुनियादी स्वच्छता सेवाओं की पहुंच में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। 2019 में भारत को पहली बार इस संकेतक के लिए शामिल किया गया था, जिससे वैश्विक कवरेज में भारी वृद्धि हुई, फिर भी, ग्रामीण क्षेत्रों और गरीब समुदायों में हाथ धोने की सुविधा की कमी बनी हुई है।

भारत उन 70 देशों में शामिल है जहाँ किशोरियों और महिलाओं के मासिक धर्म स्वास्थ्य पर डेटा उपलब्ध है।

रिपोर्ट में पाया गया कि पुन: उपयोग योग्य उत्पादों का उपयोग अधिक है, पर्याप्त सामग्री और निजी स्थान की कमी आम है, और किशोरियाँ मासिक धर्म के दौरान स्कूल या सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने से कतराती हैं।

भारत में शहरी बनाम ग्रामीण, धनवान बनाम गरीब, और विकलांगता के आधार पर WASH सेवाओं में अंतर स्पष्ट रूप से देखा गया। विशेष रूप से महिलाएँ और लड़कियाँ जल संग्रहण में अधिक समय व्यतीत करती हैं, जिससे शिक्षा और स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। भारत ने WASH सेवाओं में उल्लेखनीय प्रगति की है, विशेष रूप से डेटा संग्रह और निगरानी में। लेकिन सुरक्षित प्रबंधन, समान पहुंच, और स्वास्थ्य-संबंधी व्यवहार परिवर्तन की दिशा में अभी लंबा रास्ता तय करना बाकी है।

आइए विस्तार से देखें :

भारत में WASH सेवाओं की स्थिति (2000–2024)

  • डेटा कवरेज में ऐतिहासिक वृद्धि
  • 2024 में पहली बार भारत के लिए संपूर्ण राष्ट्रीय अनुमान उपलब्ध हुए हैं, खासकर शहरी क्षेत्रों में पेयजल गुणवत्ता के नए डेटा के कारण।
  • इससे भारत वैश्विक WASH निगरानी में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता बन गया है।

पेयजल सेवाएं

  • भारत ने सुरक्षित पेयजल सेवाओं की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है।
  • शहरी क्षेत्रों में जल गुणवत्ता पर डेटा शामिल होने से सुरक्षित प्रबंधन के अनुमान संभव हुए।
  • हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी सतत प्रबंधन और गुणवत्ता की चुनौतियाँ बनी हुई हैं।

स्वच्छता सेवाएं

  • खुले में शौच की प्रवृत्ति में भारी गिरावट आई है, विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में यह लगभग समाप्त हो चुकी है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में भी सुधार हुआ है, लेकिन सुरक्षित प्रबंधन (जैसे मलजल का उपचार) अभी भी सीमित है।

स्वच्छता (हाइजीन)

भारत में बुनियादी स्वच्छता सेवाओं की पहुंच में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

2019 में भारत को पहली बार इस संकेतक के लिए शामिल किया गया था, जिससे वैश्विक कवरेज में भारी वृद्धि हुई, फिर भी, ग्रामीण क्षेत्रों और गरीब समुदायों में हाथ धोने की सुविधा की कमी बनी हुई है।

मासिक धर्म स्वास्थ्य

भारत उन 70 देशों में शामिल है जहाँ किशोरियों और महिलाओं के मासिक धर्म स्वास्थ्य पर डेटा उपलब्ध है।

रिपोर्ट में पाया गया कि :

  • पुन: उपयोग योग्य उत्पादों का उपयोग अधिक है।
  • पर्याप्त सामग्री और निजी स्थान की कमी आम है।
  • किशोरियाँ मासिक धर्म के दौरान स्कूल या सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने से कतराती हैं।

असमानताएं

भारत में शहरी बनाम ग्रामीण, धनवान बनाम गरीब, और विकलांगता के आधार पर WASH सेवाओं में अंतर स्पष्ट रूप से देखा गया।

विशेष रूप से महिलाएँ और लड़कियाँ जल संग्रहण में अधिक समय व्यतीत करती हैं, जिससे शिक्षा और स्वास्थ्य पर असर पड़ता है।

भारत ने WASH सेवाओं में उल्लेखनीय प्रगति की है, विशेष रूप से डेटा संग्रह और निगरानी में। लेकिन सुरक्षित प्रबंधन, समान पहुंच, और स्वास्थ्य-संबंधी व्यवहार परिवर्तन की दिशा में अभी लंबा रास्ता तय करना बाकी है।

भारत में पेयजल सेवाओं की पहुंच और भारत में पेयजल गुणवत्ता की चुनौतियाँ

भारत में पेयजल गुणवत्ता की चुनौतियाँ बहुआयामी हैं और विभिन्न सामाजिक, भौगोलिक और तकनीकी कारकों से जुड़ी हुई हैं। WHO और UNICEF की संयुक्त रिपोर्ट (2025) के अनुसार, भारत में पेयजल सेवाओं की पहुंच में सुधार हुआ है, लेकिन गुणवत्ता के स्तर पर कई गंभीर समस्याएँ बनी हुई हैं।

2024 में पहली बार भारत के लिए संपूर्ण राष्ट्रीय अनुमान उपलब्ध हुए हैं, खासकर शहरी क्षेत्रों में पेयजल गुणवत्ता के नए डेटा के कारण। भारत ने सुरक्षित पेयजल सेवाओं की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है। शहरी क्षेत्रों में जल गुणवत्ता पर डेटा शामिल होने से सुरक्षित प्रबंधन के अनुमान संभव हुए हैं। हालाँकि ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी सतत प्रबंधन और गुणवत्ता की चुनौतियाँ बनी हुई हैं।

भारत में पेयजल गुणवत्ता की प्रमुख चुनौतियाँ हैं :

जल स्रोतों का प्रदूषण (फैक्ट्री और औद्योगिक अपशिष्ट, कीटनाशकों और रसायनों का अत्यधिक उपयोग कृषि क्षेत्रों में, असुरक्षित मलजल निपटान), फ्लोराइड और आर्सेनिक की समस्या (बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और राजस्थान जैसे कई राज्यों में), जल गुणवत्ता की निगरानी का अभाव (ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में), पुरानी और क्षतिग्रस्त पाइपलाइनें (जल को दूषित करती हैं), असमान पहुँच और सामाजिक असमानताएँ (गरीब और हाशिए पर रहने वाले समुदायों को कम गुणवत्ता वाला पानी), और जल की उपलब्धता और समयबद्धता (कई क्षेत्रों में पानी सीमित समय के लिए उपलब्ध)।

आइए इन चुनौतियों को विस्तार से समझें :

भारत में पेयजल गुणवत्ता की प्रमुख चुनौतियाँ

1. जल स्रोतों का प्रदूषण

फैक्ट्री और औद्योगिक अपशिष्ट नदियों और भूजल को प्रदूषित करता है।

कीटनाशकों और रसायनों का अत्यधिक उपयोग कृषि क्षेत्रों में जल स्रोतों को दूषित करता है।

असुरक्षित मलजल निपटान से जल स्रोतों में बैक्टीरिया और वायरस की उपस्थिति बढ़ जाती है।

2. फ्लोराइड और आर्सेनिक की समस्या

कई राज्यों जैसे बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में फ्लोराइड और आर्सेनिक की मात्रा सुरक्षित सीमा से अधिक पाई गई है।

इससे हड्डियों की बीमारी, त्वचा रोग, और कैंसर जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।

3. जल गुणवत्ता की निगरानी का अभाव

ग्रामीण क्षेत्रों में जल परीक्षण की नियमित व्यवस्था नहीं है।

शहरी क्षेत्रों में भी पाइपलाइन से आने वाले पानी की गुणवत्ता की निगरानी सीमित है।

4. पुरानी और क्षतिग्रस्त पाइपलाइनें

कई शहरों में लीक होती पाइपलाइनें जल को दूषित करती हैं, जिससे फेकल पदार्थ और अन्य प्रदूषक पानी में मिल जाते हैं।

5. असमान पहुंच और सामाजिक असमानताएँ

गरीब और हाशिए पर रहने वाले समुदायों को अक्सर कम गुणवत्ता वाला पानी मिलता है।

महिलाएँ और लड़कियाँ अधिक समय जल संग्रहण में लगाती हैं, जिससे शिक्षा और स्वास्थ्य पर असर पड़ता है।

6. जल की उपलब्धता और समयबद्धता

कई क्षेत्रों में पानी सीमित समय के लिए उपलब्ध होता है, जिससे लोग भंडारण करते हैं और यह भंडारण अक्सर असुरक्षित होता है।

रिपोर्ट के अनुसार भारत की स्थिति

2024 में पहली बार भारत के लिए संपूर्ण राष्ट्रीय अनुमान उपलब्ध हुए हैं, खासकर शहरी क्षेत्रों में जल गुणवत्ता के नए डेटा के कारण।

हालांकि सुरक्षित प्रबंधन (जैसे कि जल स्रोत की सुरक्षा, उपचार, और वितरण प्रणाली) अभी भी अपूर्ण है।

भारत को SDG लक्ष्य 6.1 (सभी के लिए सुरक्षित पेयजल) प्राप्त करने के लिए तेजी से प्रगति करनी होगी।

समाधान की दिशा में प्रयास

जल जीवन मिशन जैसी योजनाएँ ग्रामीण क्षेत्रों में पाइप से जल आपूर्ति पर ध्यान दे रही हैं।

जल गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाओं की संख्या बढ़ाई जा रही है।

सामुदायिक जागरूकता और स्थानीय निगरानी समितियाँ जल गुणवत्ता सुधार में सहायक हो सकती हैं।

जल जीवन मिशन का उद्देश्य, प्रमुख घटक, वर्तमान स्थिति और सामाजिक प्रभाव और चुनौतियाँ

बिलकुल, जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) भारत सरकार की एक ऐतिहासिक पहल है, जिसका उद्देश्य हर ग्रामीण घर तक नल से जल पहुंचाना है। यह मिशन 15 अगस्त 2019 को शुरू किया गया था और इसे 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। जल जीवन मिशन का उद्देश्य सभी ग्रामीण परिवारों को व्यक्तिगत नल कनेक्शन के माध्यम से सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराना है। इसके प्रमुख घटक हैं: नल कनेक्शन, जल गुणवत्ता निगरानी, सूचना, शिक्षा और संचार (IEC), और क्षमता निर्माण। अगस्त 2025 तक, भारत में कुल ग्रामीण घरों की संख्या 19.36 करोड़ है, जिनमें से 15.68 करोड़ (लगभग 81% कवरेज) को नल जल कनेक्शन प्राप्त हो चुके हैं। कई राज्यों ने 100% कवरेज प्राप्त कर लिया है। इस मिशन के सामाजिक प्रभावों में महिलाओं और लड़कियों को जल संग्रहण में लगने वाले समय में कमी, जिससे शिक्षा और रोजगार के अवसर बढ़े हैं, और सुरक्षित जल से जलजनित बीमारियों में कमी आई है। हालांकि, कुछ राज्यों में कवरेज अभी भी 50-60% के बीच है, और जल स्रोतों की गुणवत्ता और सतत प्रबंधन की आवश्यकता बनी हुई है। वित्तीय और तकनीकी संसाधनों की कमी भी प्रगति को धीमा कर रही है।

आइए विस्तार से समझते हैं:

जल जीवन मिशन का उद्देश्य

हर घर जल : सभी ग्रामीण परिवारों को व्यक्तिगत नल कनेक्शन के माध्यम से सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराना।

स्रोत स्थायित्व : जल स्रोतों की दीर्घकालिक सुरक्षा के लिए वर्षा जल संचयन, भूजल पुनर्भरण और ग्रे वाटर प्रबंधन को बढ़ावा देना।

सामुदायिक भागीदारी : जल प्रबंधन में ग्राम पंचायतों और स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना।

प्रमुख घटक

नल कनेक्शन : प्रत्येक ग्रामीण घर में नल से जल की सुविधा।

जल गुणवत्ता निगरानी : जल की गुणवत्ता की नियमित जांच और निगरानी।

सूचना, शिक्षा और संचार (IEC) : जल संरक्षण और स्वच्छता के प्रति जागरूकता फैलाना।

क्षमता निर्माण : स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षित मानव संसाधन तैयार करना।

वर्तमान स्थिति (अगस्त 2025 तक)

भारत में कुल ग्रामीण घर : 19.36 करोड़

नल जल कनेक्शन प्राप्त घर : 15.68 करोड़ (लगभग 81% कवरेज)

कई राज्य जैसे गोवा, हरियाणा, तेलंगाना, गुजरात, पंजाब, हिमाचल प्रदेश आदि ने 100% कवरेज प्राप्त कर लिया है।

सामाजिक प्रभाव

महिलाओं और लड़कियों को राहत : जल संग्रहण में लगने वाला समय घटा, जिससे शिक्षा और रोजगार के अवसर बढ़े।

स्वास्थ्य में सुधार : सुरक्षित जल से जलजनित बीमारियों में कमी आई।

सामुदायिक सशक्तिकरण : ग्राम जल समितियाँ और स्थानीय निगरानी तंत्र सक्रिय हुए।

चुनौतियाँ

कुछ राज्यों जैसे झारखंड, पश्चिम बंगाल, राजस्थान में कवरेज अभी भी 50–60% के बीच है।

जल स्रोतों की गुणवत्ता और सतत प्रबंधन की आवश्यकता बनी हुई है।

वित्तीय और तकनीकी संसाधनों की कमी कुछ क्षेत्रों में प्रगति को धीमा कर रही है।