यमन-अमेरिका युद्धविराम: हूथी लड़ाकों के साथ शांति प्रक्रिया को फिर से शुरू करने का ऐतिहासिक अवसर
यमन में युद्धविराम का महत्व और इसकी पृष्ठभूमि यमन में अमेरिका और हूथी विद्रोहियों के बीच युद्धविराम पर सहमति शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण क़दम है। संयुक्त राष्ट्र समाचार की इस खबर से जानिए इस समझौते के प्रभाव, यूएन की भूमिका और मानवीय संकट की ताजा स्थिति। यमन: अमेरिका-हूथी लड़ाकों के बीच युद्धविराम, शान्ति...

importance of ceasefire in yemen and its background
यमन में युद्धविराम का महत्व और इसकी पृष्ठभूमि
- यमन में युद्धविराम में संयुक्त राष्ट्र और ओमान की भूमिका
- हूथी लड़ाकों की गतिविधियाँ और क्षेत्रीय तनाव
यमन में अमेरिका और हूथी विद्रोहियों के बीच युद्धविराम पर सहमति शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण क़दम है। संयुक्त राष्ट्र समाचार की इस खबर से जानिए इस समझौते के प्रभाव, यूएन की भूमिका और मानवीय संकट की ताजा स्थिति।
यमन: अमेरिका-हूथी लड़ाकों के बीच युद्धविराम, शान्ति प्रयासों को आगे बढ़ाने का अवसर
14 मई 2025 शान्ति और सुरक्षा
संयुक्त राज्य अमेरिका और यमन में हूथी विद्रोहियों के बीच युद्धविराम पर हुई सहमति, पिछले कई वर्षों से युद्ध का दंश झेल रहे देश में शान्ति प्रक्रिया को फिर जीवित करने का एक अहम अवसर है. यमन के लिए यूएन के विशेष दूत हैंस ग्रुंडबर्ग ने सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों को सम्बोधित करते हुए यह बात कही है.
विशेष दूत ने 6 मई से लागू हुए इस समझौते के लिए ओमान द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि लड़ाई पर विराम लगने से लाल सागर क्षेत्र में व्याप्त तनाव में कमी आएगी.
यमन में हूथी लड़ाकों के नियंत्रण वाले इलाक़ों में अमेरिका द्वारा किए गए घातक हवाई हमलों के फिर शुरू होने के बाद यह सहमति बनी.
हालांकि, हाल के दिनों में घटनाक्रम से स्पष्ट है कि यमन अब भी वृहद क्षेत्र में पसरे तनाव की चपेट में है.
विशेष दूत ग्रैंडबुर्ग ने ध्यान दिलाया कि इसराइल में बेन गुरियन हवाई अड्डे पर हूथी लड़ाकों द्वारा हमले किए जाने के बाद, इसराइल ने हुदायदाह बन्दरगाह, सना हवाई अड्डे समेत अन्य स्थानों को निशाना बनाया.
“इसके बावजूद, 6 मई को हुई यह घोषणा एक स्वागतयोग्य अवसर है, जिस पर हमें सामूहिक रूप से यमन में हिंसक टकराव के निपटारे और यमनी स्वामित्व में शान्ति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए फिर से ध्यान केन्द्रित करना होगा.”
हूथी लड़ाकों (अंसार अल्लाह गुट) और सऊदी अरब के नेतृत्व वाले गठबंधन द्वारा समर्थित यमनी सरकारी बलों के बीच पिछले एक दशक से अधिक समय से लड़ाई जारी है.
सम्पर्क व बातचीत पर बल
विशेष दूत ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र, सभी पक्षों को वार्ता की मेज़ पर लाने के लिए अपने प्रयास जारी रखेगा, ताकि उन सभी समाधानों की शिनाख़्त हो व सहमति बने, जो सभी को स्वीकार्य हों.
“यमनी आगे बढ़ना चाहते हैं, यथास्थितिवाद जारी नहीं रह सकता है. और यूँ तो लड़ाई के अग्रिम मोर्चे फ़िलहाल अपेक्षाकृत स्थिर नज़र आते हैं, यमन में अभी शान्ति नहीं है.”
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा सम्पर्क व बातचीत जारी रखे जाने की आवश्यकता है, ताकि यमनी नागरिक अपने लिए एक स्थिर, समृद्ध व सुरक्षित देश को साकार कर सकें.
हैंस ग्रुंडबर्ग ने संयुक्त राष्ट्र, अन्तरराष्ट्रीय व स्थानीय ग़ैर-सरकारी संगठनों, नागरिक समाज व राजनयिक मिशन के उन कर्मचारियों की व्यथा पर भी क्षोभ व्यक्त किया, जिन्हें हूथी लड़ाकों ने मनमाने ढंग से हिरासत में लिया हुआ है.
उनके अनुसार, उन्हें हिरासत में रखा जाना न केवल अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन है, बल्कि इससे अन्तरराष्ट्रीय समुदाय में भी सुन्न कर देने वाला सन्देश गया है. इससे यमन के लिए समर्थन में कमी आई है, और सर्वाधिक ज़रूरतमन्द इससे पीड़ित हैं.
सहायता के लिए बीता जा रहा है समय
आपात राहत मामलों के लिए यूएन अवर महासचिव टॉम फ़्लैचर ने सुरक्षा परिषद को बताया कि यमन में लड़ाई पर विराम लग जाने के बावजूद, अभी देश पूरी तरह से चुनौतियों से बाहर नहीं निकला है.
मानवीय हालात बद से बदतर हो रहे हैं और बच्चे इससे सबसे अधिक प्रभावित हैं. “यमन के आधे बच्चे, 23 लाख, कुपोषित हैं. इनमें से छह लाख बहुत गम्भीरता से.”
उन्होंने कहा कि कुपोषण केवल भूख के बारे में नहीं है. इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता पर असर होता है और बच्चों के न्यूमोनिया व दस्त जैसे संक्रमणों का शिकार होने का जोखिम बढ़ जाता है. यमन में बाल मृत्यु की ये बड़ी वजह हैं.
यमन में प्रतिरक्षण की दर दुनिया में बदतरीन है और एक वर्ष से कम आयु के केवल 69 प्रतिशत बच्चों को ही टीकों की पूरी ख़ुराक मिल पाई है. 20 प्रतिशत बच्चों का बिलकुल भी टीकाकरण नहीं हो पाया है, और इस वजह से हैज़ा व ख़सरे के मामलों में उछाल आ रहा है.
सुरक्षा परिषद से अपील
अवर महासचिव ने सदस्य देशों को आगाह किया कि मानवीय सहायताकर्मियों के पास समय व संसाधन ख़त्म होते जा रहे हैं. 2025 के लिए मानवीय सहायता योजना में से केवल 9 प्रतिशत धनराशि ही जुटाई जा सकी है.
टॉम फ़्लैचर के अनुसार, समर्थन में कमी का वास्तविक असर होगा. देश में क़रीब 400 स्वास्थ्य केन्द्रों में कामकाज ठप हो जाएगा, जिनमें 64 अस्पताल हैं. इसका असर 70 लाख लोगों पर होगा.
इसके मद्देनज़र, उन्होंने सुरक्षा परिषद से तीन अपील की हैं. पहला, अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी क़ानून के लिए सम्मान सुनिश्चित करने के इरादे से क़दम उठाए जाने होंगे. आम नागरिकों की रक्षा व ज़रूरतमन्दों तक सहायता पहुँचाने के लिए मार्ग की उपलब्धता अहम है.
साथ ही, अति-महत्वपूर्ण सहायता अभियान को पूरा करने के लिए बढ़े हुए स्तर पर धनराशि मुहैया कराई जानी ज़रूरी है. तीसरा, स्थाई शान्ति की दिशा में ले जाने वाले प्रयासों को समर्थन देना होगा.
Web title: Yemen-US ceasefire: Historic opportunity to restart peace process with Houthi fighters