वीरेन्द्र जैन के बारे में जानकारी जन्म: 12 जून 1949 को जन्मे वीरेंद्र जैन ने विज्ञान में स्नातक और अर्थशास्त्र में एम.ए. की उपाधि ग्रहण की। वे करीब 29 वर्षों तक पंजाब नैशनल बैंक में अधिकारी पद पर कार्यरत रहे और 2000 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली। लेखन एवं साहित्यिक सक्रियता: 1969 से हिंदी की राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में उनका लेखन शुरू हुआ। व्यंग्य, कविता, गीत, ग़ज़ल और सामाजिक टिप्पणी सहित लगभग 700 लेख प्रकाशित हुए। उन्होंने व्यंग्य की चार पुस्तकें भी लिखीं, उदाहरणार्थ एक लुहार की, दखन में छोटे लगें, हम्माम के बाहर भी एवं अस्पताल का उद्घाटन। वीरेंद्र जैन जनवादी लेखक संघ, भोपाल इकाई के अध्यक्ष रह चुके हैं और इस संगठन के सक्रिय सामाजिक साहित्यिक कार्यकर्ता माने जाते हैं। वह साहित्य के माध्यम से सामाजिक न्याय, समानता एवं संवेदनशीलता के संदेश को ही प्राथमिकता देते हैं। उन्होंने भारत ज्ञान विज्ञान समिति समेत अन्य गैर-सरकारी संगठनों के साहित्यिक व साक्षरता अभियानों में सहयोग दिया। उनकी लेखनी व्यंग्यप्रधान, कटाक्षयुक्त और समाज की विसंगतियों को उजागर करने वाली होती है। कविता, गीत, ग़ज़ल, नवगीत, हास्य-व्यंग्य सभी विधाओं में उनकी नागरिक चेतना स्पष्ट है। वे रणेलोकपाल जैसे सामाजिक आंदोलनों पर लिखते रहे, शिक्षा, साक्षरता, दलित‑आदिवासी मुद्दों पर उनकी लेखन शैली प्रगतिशील और जनवादी रहती है।