उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में चार मुस्लिम मीट कारोबारियों को गोहत्या के झूठे आरोप में बेरहमी से पीटा गया। जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने सुप्रीम कोर्ट से स्वत: संज्ञान लेने की अपील की है, ताकि पीड़ितों को न्याय मिल सके और कानून व्यवस्था बहाल हो।

अलीगढ़ में चार मुस्लिम युवकों की निर्मम पिटाई : न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट से स्वत: संज्ञान लेने की अपील

नई दिल्ली, 25 मई 2025 (हस्तक्षेप डेस्क)— सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में चार मुस्लिम मीट व्यापारियों की कथित तौर पर झूठे गोहत्या के आरोप में बर्बर पिटाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट से स्वत: संज्ञान लेने की मांग की है।

काटजू ने सुप्रीम कोर्ट के माननीय न्यायाधीशों को संबोधित करते हुए सोशल मीडिया का एक संदेश साझा किया, जिसमें एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा भेजी गई घटना की जानकारी है।

इस संदेश के अनुसार, अलीगढ़ में चार मुस्लिम युवकों को झूठे आरोप में इतना पीटा गया कि वे लहूलुहान और लगभग अधमरे हो गए।

संदेश में पूछा गया है कि क्या कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस नहीं है और क्या न्याय देने के लिए न्यायपालिका नहीं है? क्या अब उन्मादी भीड़ ही सड़कों पर झूठे आरोप लगाकर निर्दोष नागरिकों को बर्बरता से पीटेगी?

इस हिंसा को अंजाम देने वाले तत्वों को "अराजक" और "हिंसक संगठन" बताया गया है, जो समाज में नफरत का ज़हर घोल रहे हैं और देश की आंतरिक सुरक्षा, अखंडता और एकता के लिए गंभीर खतरा बने हुए हैं। ऐसे तत्वों द्वारा खुलेआम कानून को चुनौती देना पूरे प्रशासन और पुलिस व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है।

संदेश में प्रशासन से मांग की गई है कि इन दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही की जाए ताकि घायल युवकों को न्याय मिल सके और इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों।

जस्टिस काटजू ने इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट से स्वत: संज्ञान लेने की अपील की है। सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जजों को लिखे एक ईमेल में उन्होंने कहा कि संविधान के संरक्षक और नागरिकों के मौलिक अधिकारों के रक्षक होने के नाते, सुप्रीम कोर्ट को ऐसे मामलों में हस्तक्षेप करना चाहिए।

उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के कुछ ऐतिहासिक फैसलों का हवाला देते हुए बताया कि अदालत ने हमेशा मौलिक अधिकारों की रक्षा में अग्रणी भूमिका निभाई है। उन्होंने स्टेट ऑफ मद्रास बनाम वी. जी. राव (1952), आई. आर. कोएलो बनाम तमिलनाडु राज्य (2007), नवतेज सिंह जोहर बनाम भारत संघ (2018), शक्ति वाहिनी बनाम भारत संघ (2018) जैसे कई मामलों का उल्लेख किया जिनमें सुप्रीम कोर्ट ने “Sentinel on the qui vive” यानी सजग प्रहरी की भूमिका निभाई।

इस घटना ने चिंता की लहर दौड़ा दी है और एक बार फिर भीड़तंत्र, धार्मिक उन्माद और कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

Web Title: Justice Katju demanded suo motu cognizance from the Supreme Court on the beating of Muslim meat traders in Aligarh