ईमेल द्वारा की गई शिकायत पर भी दर्ज होगी ज़ीरो एफआईआर: केरल हाईकोर्ट का अहम फैसला

  • केरल हाईकोर्ट का स्पष्ट निर्देश: विदेश से भी दर्ज होगी ज़ीरो एफआईआर
  • ईमेल द्वारा भेजी गई बिना हस्ताक्षर शिकायत की वैधता
  • क्या है ज़ीरो एफआईआर और इसका उद्देश्य

Can the police refuse to register an FIR on a complaint made through email? Know here

नई दिल्ली, 01 जुलाई 2025। क्या विदेश से ईमेल द्वारा की गई शिकायत पर पुलिस एफआईआर दर्ज करने से इंकार कर सकती है? जी नहीं। केरल उच्च न्यायालय ने इस पर अपना फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने साफ किया है कि बीएनएसएस की धारा 173 के मुताबिक, विदेश से ईमेल द्वारा आई शिकायत पर भी ज़ीरो एफआईआर दर्ज की जा सकती है। पुलिस इसे हस्ताक्षर न होने या क्षेत्राधिकार के अभाव में खारिज नहीं कर सकती।

बार एंड बेंच की एक खबर के मुताबिक केरल उच्च न्यायालय ने हाल ही में कहा कि पुलिस केवल इसलिए प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार नहीं कर सकती क्योंकि शिकायत विदेश से ईमेल के जरिए बिना हस्ताक्षर के भेजी गई थी।

रिपोर्ट के मुताबिक न्यायमूर्ति कौसर एडप्पागथ ने स्पष्ट किया है कि 2023 की भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 173 के आने से ज़ीरो एफआईआर को कानूनी मान्यता मिल गई है। इसलिए, पुलिस को किसी भी शिकायत पर, जिसमें संज्ञेय अपराध का पता चले, एफआईआर दर्ज करना ही होगा, चाहे वह शिकायत उनके क्षेत्र से बाहर से आई हो या फिर इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से।

अदालत ने साफ कहा कि मुख्य मकसद यह सुनिश्चित करना है कि पीड़ित, क्षेत्राधिकार की परवाह किए बिना, शिकायत दर्ज करा सकें, इसीलिए जीरो एफआईआर लागू किया गया है। इसलिए, अगर शिकायत में कोई संज्ञेय अपराध है, तो पुलिस एफआईआर दर्ज करने से मना नहीं कर सकती, चाहे वह शिकायत किसी विदेशी देश से ही क्यों न आई हो।

अदालत ने यह भी कहा कि इन हालात में, याचिकाकर्ता की अनुलग्नक ए7 शिकायत को बिना दस्तखत और ऑस्ट्रेलिया से ईमेल द्वारा भेजे जाने के आधार पर खारिज करना उचित नहीं है।

मामला कैसे शुरू हुआ

इस मामले की शुरुआत तब हुई जब ऑस्ट्रेलिया में रह रही याचिकाकर्ता ने 2020 में अपने पति के खिलाफ केरल के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को ईमेल द्वारा शिकायत की थी। डीजीपी ने इसे मुत्तम थाने को भेजा, लेकिन पुलिस ने ईमेल में हस्ताक्षर न होने और याचिकाकर्ता के मौजूद न होने के कारण शिकायत दर्ज करने से मना कर दिया।

याचिकाकर्ता ने इस अस्वीकृति को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में अपनी शिकायत पर पुलिस द्वारा कार्रवाई करने के निर्देश मांगे।

न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यदि शिकायत में संज्ञेय अपराध का उल्लेख है, तो पुलिस को एफआईआर दर्ज करना ही होगा, चाहे शिकायतकर्ता विदेश में रहे या शिकायत पर हस्ताक्षर न हों।

न्यायालय ने यह भी कहा कि केवल औपचारिक कमियों के आधार पर एफआईआर दर्ज करने से इनकार करना नए बीएनएसएस के कानूनी आदेश का उल्लंघन है।