बिहार मतदाता सूची पुनरीक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, 65 लाख नामों को लेकर उठे सवाल, घिर गया चुनाव आयोग
Hearing in Supreme Court on Bihar voter list revision, questions raised on 65 lakh names, Election Commission cornered

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बिहार में विशेष गहन मतदाता सूची पुनरीक्षण पर विवाद
चुनाव आयोग के अनुसार 65 लाख नाम हटाने की प्रक्रिया
याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती
SC: बड़े पैमाने पर नाम हटे तो हम हस्तक्षेप करेंगे
आयोग: आपत्ति दर्ज करने के लिए 30 दिन का समय
अगली सुनवाई 12-13 अगस्त को
बिहार चुनाव से पहले 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाने की आशंका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई। चुनाव आयोग की प्रक्रिया पर सवाल, कोर्ट ने कहा—अगर नाम गलत तरीके से हटे, तो होगा हस्तक्षेप...
नई दिल्ली, 29 जुलाई 2025। बिहार विधानसभा चुनाव से पूर्व राज्य में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Summary Revision) को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं ने चुनाव आयोग की ओर से सूची से संभावित रूप से 65 लाख नामों को हटाए जाने को लेकर गंभीर आपत्ति जताई और इसे "असंवैधानिक और मनमाना" बताया।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाला बागची की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अगर यह साबित होता है कि बड़ी संख्या में वैध मतदाताओं के नाम बिना कारण हटाए गए हैं, तो न्यायालय हस्तक्षेप करेगा।
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, गोपाल शंकरनारायणन और प्रशांत भूषण याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए।
याचिकाकर्ताओं का दावा था कि लगभग 65 लाख लोगों के नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं, जिनमें से अधिकांश की या तो मृत्यु हो गई है या वे स्थानांतरित हो गए हैं। सिब्बल ने तर्क दिया कि इन लोगों को आपत्ति करने का अधिकार नहीं है, लेकिन न्यायालय ने कहा कि उन्हें आपत्ति करने का अधिकार है।
चुनाव आयोग ने कहा कि मसौदा सूची का विज्ञापन दिया गया है और राजनीतिक दलों को भी सूचित किया गया है। आयोग ने यह भी कहा कि वेबसाइट से सूची प्राप्त की जा सकती है।
शीर्ष अदालत ने साफ कहा कि वह एक संवैधानिक संस्था के रूप में चुनाव आयोग की कार्रवाई को कानून के अनुसार मान लेगा और मामले की सुनवाई करेगा।
वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने चिंता व्यक्त की कि जिन लोगों के नाम ड्राफ्ट सूची में नहीं हैं, वे खुद को कैसे शामिल करवाएँगे। न्यायमूर्ति बागची ने कहा कि अगर जनवरी 2025 की सूची नहीं थी, तो शुरुआत इसी से होगी और ड्राफ्ट सूची चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित की जाएगी।
सर्वोच्च न्यायालय ने साफ कहा कि अगर बड़े पैमाने पर नाम बाहर किए गए हैं, तो वह तुरंत हस्तक्षेप करेगा।
चुनाव आयोग ने कहा कि लोगों को आपत्ति करने के लिए 30 दिन का समय दिया गया है और राजनीतिक दलों को गैर सरकारी संगठनों की तरह काम करना चाहिए।
न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं को एक दिन और चुनाव आयोग को एक दिन का समय दिया। पश्चिम बंगाल राज्य ने भी हस्तक्षेप आवेदन दिया है।
चुनाव आयोग के वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि आपत्तियों पर विचार करने के बाद ही असली तस्वीर सामने आएगी। न्यायालय ने मामले को 12-13 अगस्त को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया। सुश्री नेहा राठी को याचिकाकर्ताओं की ओर से नोडल वकील नियुक्त किया गया है और 8 अगस्त 2025 तक दलीलों और लिखित प्रस्तुतियों को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। मुख्य मामले में दाखिल प्रति शपथपत्र को सभी संबंधित मामलों में दलीलों के भाग के रूप में पढ़ा जाएगा।
क्या है मामला?
चुनाव आयोग ने बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण की प्रक्रिया आरंभ की है। इस प्रक्रिया के तहत आयोग का दावा है कि लगभग 65 लाख नाम ऐसे हैं, जिनके बारे में जानकारी मिली है कि वे या तो मृत हैं या राज्य से स्थायी रूप से पलायन कर चुके हैं। यह जानकारी सार्वजनिक होने के बाद कुछ याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और आरोप लगाया कि यह प्रक्रिया पारदर्शिता और न्यायसंगतता के मानकों पर खरी नहीं उतरती।
Web Title: Hearing in Supreme Court on Bihar voter list revision, questions raised on 65 lakh names, Election Commission cornered


