कुलदीप सिंह सेंगर मामले पर बहस: जस्टिस मार्कंडेय काटजू का योगिता भायना को खुला पत्र, संयुक्त डिबेट की चुनौती
कुलदीप सिंह सेंगर मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने योगिता भायना को पत्र लिखकर आरोपों का जवाब दिया और सार्वजनिक बहस की मांग की।

Kuldeep Singh Sengar case debate: Justice Markandey Katju's open letter to Yogita Bhayna, challenging a joint debate
दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर विवाद: जस्टिस काटजू ने योगिता भयाना से सार्वजनिक बहस की मांग की
- सेंगर मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर जारी बहस
- जस्टिस काटजू का योगिता भयाना को खुला पत्र
- ‘तर्क पर बात हो, उपहास पर नहीं’: काटजू की आपत्ति
- ‘असभ्य’ और ‘अपराधियों का रक्षक’ कहे जाने पर तीखी प्रतिक्रिया
- संयुक्त सार्वजनिक डिबेट का प्रस्ताव
अब तक जवाब नहीं: जस्टिस काटजू का दूसरा अनुरोध
नई दिल्ली, 29 दिसंबर 2025.पूर्व बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को ज़मानत मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश को लेकर जारी विवाद के बीच, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने सामाजिक कार्यकर्ता योगिता भायना को एक खुला पत्र लिखा है।
पत्र में जस्टिस काटजू ने योगिता के बयानों पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि उनकी कानूनी दलीलों का खंडन किए बिना उन्हें “असभ्य” और “अपराधियों का रक्षक” कहा गया, जो सार्वजनिक विमर्श के स्तर पर सवाल खड़े करता है।
जस्टिस काटजू ने एक बार फिर योगिता भयाना को खुली सार्वजनिक बहस के लिए आमंत्रित किया है, ताकि दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश की सही–गलत पर तर्क के आधार पर चर्चा हो सके।
जस्टिस काटजू का कहना है कि उन्होंने अपने लेखों और इंटरव्यू में पहले ही यह स्पष्ट कर दिया है कि सेंगर मामले में दिल्ली हाई कोर्ट का आदेश कानूनन सही है। इसके बावजूद, योगिता भायना ने एक यूट्यूब वीडियो में उनके बयानों की आलोचना की, लेकिन उनकी कानूनी दलीलों का खंडन नहीं किया।
जस्टिस काटजू ने अपने पत्र में लिखा है कि योगिता भायना ने उन्हें “असभ्य” और “अपराधियों का रक्षक” कहकर संबोधित किया, जो न सिर्फ़ तथ्यहीन है बल्कि सार्वजनिक विमर्श की मर्यादा के खिलाफ़ भी है।
उन्होंने यह सवाल भी उठाया है कि बिना तर्क दिए केवल उपहास करना क्या लोकतांत्रिक बहस का तरीका हो सकता है।
जस्टिस काटजू ने यह भी बताया कि उन्होंने इससे पहले योगिता भायना को एक ईमेल भेजकर संयुक्त बहस का प्रस्ताव रखा था, लेकिन अब तक उन्हें कोई जवाब नहीं मिला है।
अब उन्होंने दोबारा आग्रह किया है कि सेंगर मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश की सही–गलत पर किसी भी टीवी चैनल या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर, किसी भी समय खुली बहस की जाए।
जस्टिस काटजू ने पत्र में साफ कहा है कि कानून पर बहस तर्क से होनी चाहिए, व्यक्तिगत टिप्पणियों से नहीं।
इस पूरे मामले ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या संवेदनशील मामलों में असहमति को तर्क के बजाय भावनात्मक आरोपों से दबाया जा रहा है?
जस्टिस काटजू के पत्र का मजमून निम्न है-
""Yogitaji
I have given my reasons in articles and interviews that the Delhi High Court order in Sengar's case is correct
https://www.hastakshepnews.com/2025/12/delhi-high-courts-interim-order-in.हटम्ल
https://www.youtube.com/watch?v=lPuOll-W3UE&pp=ygUaa2F0anUgYmFya2hhIHRyZWhhbiBzZW5nYXI%3D
Yesterday I saw on youtube that you criticised my statements
https://www.youtube.com/shorts/x-mYv2aWt-Y
You have not said how my reasoning is incorrect. All you said in your rant was that you are laughing at my views :
You said :
मैंने उनका वह कमेंट पढ़ा है और मुझे हँसी आ रही है कि यह हमारे देश के सर्वोच्च न्यायलय में रहे हैं, उन्होंने बस ऐसे ही बोल दिया
You also said :
इतना बड़ा आदमी अगर ऐसी असभ्य बातें करेंगे तो मुझे हंसी आती है कि अभी भी जुडिशरी में ऐसे आदमी बैठे हैं जो प्रोटेक्ट करते हैं क्रिमिनल्स को
You have thus called me uncivilised ( asabhya ), and a protector of criminals. Are you not ashamed for using such abusive language, calling an 80-year-old man, perhaps as old as your grandfather, uncivilised, and a protector of criminals?
I had earlier sent you this email, asking you to join me on a debate on the issue
'' Dear Yogitaji,
I have heard your views on the Sengar case on youtube
With respect, I am of the opinion that the order of the Delhi High Court is correct, and your view is wrong. Please see this link and video in which I have expressed my view.
https://legalmaestros.com/uncategorized/the-delhi-high-court-order-in-the-sengar-case/
https://youtu.be/H5qRe7R5fJI
If you agree, we can have an online debate on any channel you wish whenever you like on this issue
Regards
Justice Katju
Delhi
27.12.2025 ''
As yet you have not replied. I again request you to have a joint debate with me on the correctness of the Delhi High Court order in Sengar's case in whichever TV channel or social media you choose, and whenever you choose
Justice Katju
Delhi
29.12.2025"
"
हम इस मुद्दे पर योगिता भायना का पक्ष जानने की कोशिश कर रहे हैं। जैसे ही उनकी प्रतिक्रिया मिलती है, आपको जरूर बताएंगे।


