न्यायमूर्ति सूर्यकांत का DSNLU दीक्षांत समारोह में संबोधन

  • घर की खुशी से ही बाहर की खुशी आकार लेती है
  • जीवन को ग्रांड प्रिक्स रेस से जोड़ा, बताई रिश्तों की अहमियत
  • अनिश्चितताओं को अपनाने और दिशा बदलने की दी सलाह

सफलता का पैमाना सिर्फ बुद्धि नहीं, बल्कि करुणा और दया भी

सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस सूर्यकांत ने कहा है कि कानून में असली सफलता रिश्तों, करुणा और समुदाय से मिलती है, न कि अकेलेपन से...

नई दिल्ली, 5 सितंबर 2025. सुप्रीम कोर्ट के जज न्यायमूर्ति सूर्यकांत (Supreme Court Judge Justice Surya Kant) ने कहा है कि कानूनी पेशे में सच्ची तृप्ति केवल पेशेवर उपलब्धियों से नहीं, बल्कि रिश्तों, समुदाय और करुणा में निहित होती है। उन्होंने कहा कि घर की खुशियाँ ही बाहर की खुशियों को आकार देती हैं और व्यक्तिगत संबंध, पेशेवर प्रशंसा से कहीं अधिक लंबे समय तक टिकते हैं।

Bar and Bench की रिपोर्ट के मुताबिक विशाखापट्टनम स्थित दमोदरम संजीवय्या राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (DSNLU) के संयुक्त दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि वकालत का पेशा कई बार टकरावपूर्ण और एकाकीपन देने वाला हो सकता है, लेकिन वकीलों को निजी रिश्तों को दरकिनार करने के प्रलोभन से बचना चाहिए।

उन्होंने कहा, “इस पेशे में संतुष्टि अलगाव में नहीं, बल्कि रिश्तों और समुदाय की मजबूती में मिलती है।”

ग्रैंड प्रिक्स रेस से की जीवन की तुलना

जस्टिस सूर्यकांत ने जीवन की तुलना ग्रैंड प्रिक्स रेस से करते हुए कहा कि परिवार और मित्र एक “पिट क्रू” की तरह हैं, जो कठिन समय में सहारा और शक्ति प्रदान करते हैं।

उन्होंने कहा, “अदालत में एक कठिन दिन के बाद घर पर आपका इंतजार करती हंसी, सुकून और प्यार ही आपको आगे आने वाली चुनौतियों का सामना करने की ताकत देता है। उस पिट स्टॉप के महत्व को कभी कम मत आंकिए।”

ग्रैंड प्रिक्स रेस क्या है?

ग्रैंड प्रिक्स (Grand Prix) का फ्रेंच भाषा में अर्थ "बड़ा इनाम" या "बड़ा पुरस्कार" होता है, जो आमतौर पर एक ऑटोमोबाइल रेसिंग प्रतियोगिता के संदर्भ में होता है। फ़ॉर्मूला 1 (F1) के संदर्भ में, ग्रैंड प्रिक्स एक एकल-सीटर फॉर्मूला रेसिंग कारों के लिए आयोजित की जाने वाली एक अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता है, जो एक सप्ताहांत में होती है, जिसमें मुख्य रेस रविवार को होती है। यह विभिन्न देशों में बनाए गए ट्रैक्स पर आयोजित की जाती है और दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित मोटर रेसिंग प्रतियोगिताओं में से एक है।

अनिश्चितताओं को अपनाने की सलाह

जस्टिस सूर्यकांत ने छात्रों से अनिश्चितताओं को गले लगाने और नए अनुभवों के साथ खुद को ढालने की अपील की। उन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों को याद करते हुए कहा कि एक बार उन्होंने एक हाई कोर्ट जज की सलाह पर न्यायिक सेवा की इंटरव्यू से खुद को पीछे खींच लिया था और बाद में न्यायाधीश रहते हुए ही मास्टर्स डिग्री की पढ़ाई की।

“यही अनिश्चित पल मेरे लिए सीढ़ी साबित हुए। अगर मैंने उन बदलावों को स्वीकार नहीं किया होता, तो आज आपके सामने खड़ा नहीं होता।”

उद्देश्य और सफलता पर विचार

सुप्रीम कोर्ट जज ने कहा कि जीवन और कानून दोनों में उद्देश्य स्थायी नहीं होते, वे बदलते रहते हैं। इसलिए दिशा बदलने से डरना नहीं चाहिए।

उन्होंने कहा “अपने आप को विकसित होने और ढलने की अनुमति दीजिए, क्योंकि विकास कभी सीधी रेखा में नहीं होता।”

कानून और जीवन में सफलता कैसे मिलती है ?

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि कानून और जीवन में सफलता केवल बौद्धिक क्षमता से नहीं, बल्कि करुणा, दया और रिश्तों को निभाने की क्षमता से मापी जाती है।

उन्होंने कहा, “अलग होने का साहस रखिए। दयालु होने का साहस रखिए। अपने पेशेवर जीवन के भीतर और बाहर, दोनों जगह खुशी तलाशने का साहस रखिए।”

जस्टिस सूर्यकांत का यह संदेश छात्रों के लिए सिर्फ़ एक पेशेवर मार्गदर्शन ही नहीं, बल्कि जीवन के हर पहलू में संतुलन और रिश्तों की अहमियत को समझने की प्रेरणा भी देता है।