सहयोग पोर्टल के पक्ष में कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले पर एक्स कॉर्प की प्रतिक्रिया

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Freedom of Expression and the Role of Judiciary

नई दिल्ली, 29 सितंबर 2025. एक्स कॉर्प (पूर्व में ट्विटर) कर्नाटक हाई कोर्ट के एक हालिया फैसले के खिलाफ अपील करने जा रहा है। इस फैसले में केंद्र सरकार के सहयोग पोर्टल की कानूनी वैधता को बरकरार रखा गया था। यह एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जिसका इस्तेमाल एक्स जैसे ऑनलाइन इंटरमीडियरी को कंटेंट हटाने के आदेश जारी करने के लिए किया जाता है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की ग्लोबल गवर्नमेंट अफेयर्स टीम ने सोशल मीडिया एक्स पर कहा कि कंपनी जस्टिस एम नागप्रसन्ना के फैसले से बेहद चिंतित है, क्योंकि इससे "लाखों पुलिस अधिकारियों को इस 'गुप्त ऑनलाइन पोर्टल' के ज़रिए मनमाने ढंग से कंटेंट हटाने के आदेश जारी करने की इजाज़त मिल जाएगी"।

एक्स ने कहा कि यह नया सिस्टम कानून में कहीं नहीं है, यह सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के सेक्शन 69A का उल्लंघन करता है, सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का उल्लंघन करता है और भारतीय नागरिकों के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकारों का हनन करता है।

इस पोस्ट में आगे कहा गया, "सहयोग पोर्टल अधिकारियों को बिना किसी न्यायिक समीक्षा या उचित प्रक्रिया के, केवल 'गैरकानूनी' होने के आरोप के आधार पर कंटेंट हटाने का आदेश देने की सुविधा देता है और नियमों का पालन न करने पर प्लेटफॉर्म को आपराधिक दायित्व का सामना करना पड़ता है।"

एक्स ने यह भी कहा कि हालांकि वह भारतीय कानून का सम्मान करता है और उसका पालन करता है, लेकिन हाई कोर्ट का आदेश मुख्य संवैधानिक मुद्दों पर ध्यान नहीं देता और बॉम्बे हाई कोर्ट के हालिया फैसले के विपरीत है, जिसमें कहा गया था कि ऐसा सिस्टम असंवैधानिक है।

कंपनी ने कहा, "हम इस बात से सहमत नहीं हैं कि हम विदेश में रजिस्टर्ड होने के कारण इन चिंताओं को नहीं उठा सकते। एक्स भारत में सार्वजनिक चर्चा में महत्वपूर्ण योगदान देता है और हमारे उपयोगकर्ताओं की आवाज़ हमारे प्लेटफॉर्म का मूल है। हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए इस आदेश के खिलाफ अपील करेंगे।"