पूंजीपतियों के अच्छे दिन- विवादास्पद भूमि अधिग्रहण विधेयक पर दोनों सदनों का संयुक्त सत्र बुलाएगी सरकार
पूंजीपतियों के अच्छे दिन- विवादास्पद भूमि अधिग्रहण विधेयक पर दोनों सदनों का संयुक्त सत्र बुलाएगी सरकार

पलाश विश्वास
पलाश विश्वास एक लेखक, वरिष्ठ पत्रकार, रंगकर्मी, आंदोलनकारी व स्तंभकार हैं. उन्होंने कई रचनाएं लिखी हैं.
भूमि अधिग्रहण विधेयक: संयुक्त सत्र की संभावना
- अरुण जेटली का बयान: “ग्रामीणों के हित में कानून”
- विपक्ष का आरोप: कॉरपोरेट समर्थक है सरकार
- अरुण शौरी का हमला: खोखले वादे और निवेशकों की दूरी
- आर्थिक सुधारों का नया एजेंडा: ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस
एक दिन में कंपनी रजिस्ट्रेशन: INC-29 फॉर्म
मोदी सरकार भूमि अधिग्रहण विधेयक, जीएसटी और काले धन कानून पर आक्रामक, विपक्ष और विशेषज्ञों के सवालों के बीच सुधारों का दावा। अरुण शौरी ने नीतियों को खोखला बताया. वरिष्ठ पत्रकार पलाश विश्वास का विश्लेषण...
मोदी सरकार ने संकेत दिया है कि यदि विवादास्पद भूमि अधिग्रहण विधेयक बजट सत्र में यदि राज्यसभा में पारित नहीं होता है तो संयुक्त सत्र बुलाया जा सकता है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली (Finance Minister Arun Jaitley) ने कहा कि राज्यसभा में पारित नहीं होने पर इस विधेयक को संयुक्त सत्र में रखना संवैधानिक जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के लिए नए भूमि अधिग्रहण कानून (new land acquisition law) की दरकार है।
एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में जेटली ने कहा कि उनकी सरकार इस विधेयक को राज्यसभा में पारित कराने का पूरा प्रयास करेगी क्योंकि यह ग्रामीणों के हित में है।
बता दें कि राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है। जेटली ने कहा कि राज्यसभा में सभी अच्छे सुझावों को स्वीकार करने की कोशिश की जायेगी। पूछे जाने पर कि क्या ऊपरी सदन में गतिरोध बनने और विधेयक के पारित नहीं होने पर संसद् के दोनों सदनों का संयुक्त सत्र बुलाया जाएगा, जेटली ने कहा कि यह वरीयता का सवाल नहीं है बल्कि संवैधानिक जरूरतों से जुडा मुद्दा है।
विधेयक के पारित करने की समयावधि के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि राजनीति के कैलेंडर में अंतिम दिन नहीं होता है। विपक्षी सदस्यों को अंतिम समय तक साथ देने की अपील की जाएगी।
इस विधेयक से मोदी सरकार पर अमीर और कॉर्पोरेट समर्थक होने का ठप्पा लगने और किसानों की आत्महत्या के बारे में पूछे जाने पर जेटली ने कहा कि आत्महत्याएं नए कानून की वजह से नहीं हो रही हैं। यह विधेयक संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2013 में ही पारित हुआ था। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार इस कानून में बदलाव करना चाहती है और किसान परिवार के लोगों के रोजगार देना चाहती है, इसलिए नया विधेयक लाया गया है।
इससे पहले कि वाजपेयी सरकार में विनिवेश, संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालयों का प्रभार संभाल चुके शौरी ने कहा था, 'इस तरह के दावे खबरों में बने रहने के लिए हैं, लेकिन इनमें दम नहीं है।' उन्होंने कहा था, सरकार आर्थिक विषयों पर बड़ी-बड़ी बातें कर रही हैं, लेकिन जमीन पर कुछ नहीं हो रहा। कार्य निष्पादन नदारद है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली का स्पष्ट संदर्भ देते हुए शौरी ने कहा था कि सरकार के पास निवेशकों से निपटने में सुदृढ़ रुख की कमी है और ऐसे में वकीलों वाली दलीलें उन्हें नहीं मना सकतीं। उन्होंने कर संबंधी मुद्दों को संभालने के तरीके की भी आलोचना की थी जिसकी वजह से विदेशी निवेशक दूरी बना रहे हैं।
यह अरुण शौरी, वही अरुण शौरी हैं जिन्होंने बाबासाहेब के खिलाफ छह सौ पेज की किताब लिखकर संघ परिवार में दाखिला लिया और वे विश्व बैंक से पहले भारतीय मीडिया में अवतरित होकर सुपर आइकन बने इतना भयानक कि जब इंडियन एक्सप्रेस ने उन्हें हटा दिया तो एक ही दिन में दस हजार से ज्यादा सर्कुलेशन गिरा और वे इसके बाद अंबेडकर के खिलाफ मोर्चा जमाते हुए संघ परिवार में दाखिल होकर संपूर्ण निजीकरण का अश्वमेध अभियान शुरु किया और उन्हीं के ब्लू प्रिंट के तहत ही भारत के मेहनतकश तबके का रोजी रोटी छीनी जा रही है।
यह किसी संघ परिवार के कार्यकर्ता या आम भाजपा नेता का बयान नहीं है। इसलिए नीतिगत विकलांगता के महाभियोग के तहत 1991 तक 2014 तक भारत में आर्थिक विध्वंस के देवसेनापति इंद्र स्थानीय डॉ.मनमोहन सिंह को खारिज करके कल्कि अवतार की ताजपोशी की अमेरिकी पहल की रोशनी में देखें और विकास दर, वित्तीय घाटा, उत्पादन आंकड़े वगैरह-वगैरह बुनियादी आर्थिक प्रतिमानों के बजाय सेनसेक्स में बुलरन और सुधार जनसंहारी अभियान के तहत भारतीय अर्थव्यवस्था की रेटिंग देखें, विदेशी पूंजी की बहार देखें और भारतीय पूंजी की वैश्विक उड़ान देखें तो उनका यह बयान किसी सुनामी की ही चेतावनी है।
इसी बीच मोदी सरकार ने नए कारोबारियों की राह और आसान कर दी है। मोदी सरकार ने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की दिशा में एक और कदम उठाया है।
अब नया कारोबार शुरू करने के लिए आठ की बजाय सिर्फ एक फॉर्म भरना होगा। ये नया फॉर्म अब आई-एन-सी-29 के नाम से कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री की वेबसाइट पर मौजूद है। दावा है कि मोदी सरकार नई कंपनी के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को आसान बनाना चाहती है ताकि एक दिन में प्रक्रिया पूरी हो सके।
टैक्स नियमों में सफाई लाने के मकसद से बनी हाई लेवल कमिटी इस मुद्दे पर सुझावों के लिए उद्योग जगत के प्रतिनिधियों से मिलेगी। वित्त मंत्री ने पिछले साल 26 नवंबर को अशोक लाहिड़ी की अगुवाई में टैक्स नियमों में सुधार के लिए इस कमिटी का गठन किया था।
माना जा रहा है कि हाई लेवल कमिटी ट्रेड और इंडस्ट्री के नुमाइंदों से मिलकर टैक्स कानूनों में सफाई के लिए उद्योग जगत के सुझाव लेगी। अशोक लाहिड़ी की अगुवाई में बनी कमिटी ने व्यापार और उद्योग जगत के नुमाइंदों को बातचीत का न्यौता दिया है। इस हाई लेवल कमिटी में जीएएआर, मैट और रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स जैसे मुद्दों पर चर्चा हो सकती है।
वर्ल्ड बैंक के सालाना ईज ऑफ डूइंग बिजनेस सर्वे (World Bank's annual Ease of Doing Business Survey) में 189 देशों में भारत का 142 नंबर था और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 50वें नंबर तक पहुंचने का लक्ष्य रखा है।
सरकार को उम्मीद है कि अगले हफ्ते लोकसभा में जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक (GST Constitution Amendment Bill) पास हो जाएगा। इस विधेयक के पास होने के बाद अप्रैल 2016 से पूरे देश में जीएसटी लागू होने का रास्ता भी साफ हो जाएगा। जीएसटी बिल दिसंबर में ही लोकसभा में पेश किया गया था, अब उम्मीद है कि मंगलवार को इस पर चर्चा होगी और इसे सदन से पारित करा लिया जाएगा।
सरकार ने जीएसटी को लेकर राज्यों की चिंताएं दूर करने की हरसंभव कोशिश की है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भरोसा दिलाते हुए कहा है कि जीएसटी लागू होने के बावजूद राज्यों को राजस्व का नुकसान नहीं होने दिया जाएगा। अगर जीएसटी लागू होता है तो ये देश में 1947 के बाद से सबसे बड़ा टैक्स रिफॉर्म होगा। पूरे देश में इनडायरेक्ट टैक्स के तौर पर सिर्फ जीएसटी रहेगा, बाकी सेंट्रल एक्साइज, वैट, ऑक्ट्रॉय या दूसरे टैक्स खत्म हो जाएंगे।
खबर है कि अगले हफ्ते ही संसद में काले धन से जुड़ा बिल भी पेश किया जा सकता है। इस बात के संकेत वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एंफोर्समेंट डायरेक्टोरेट के एक समारोह में दिए हैं। वित्त मंत्री ने इसके साथ ही लोगों को चेतावनी भी दी कि गलत तरीके से जमा की गई जायदाद को छिपा पाना अब मुमकिन नहीं होगा।
सरकार ने मार्च में विदेशों से काला धन लाने के लिए कानून बनाने की बात कही थी, जिसमें विदेशों में काला धन छिपाने पर भारी जुर्माना और 10 साल तक की सजा हो सकती है। हालांकि इस कानून में इस बात का प्रावधान भी होगा कि जो लोग स्वेच्छा से अपने काले धन की जानकारी देंगे, उन्हें सिर्फ टैक्स और जुर्माना देना होगा, सजा से उन्हें बख्श दिया जाएगा।
पलाश विश्वास


