राहुल गांधी का चुनाव आयोग पर हमला – "मैच फिक्स है, लोकतंत्र के लिए ज़हर"

कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने चुनाव आयोग के एक नए फैसले पर तीखा सवाल उठाया है। चुनाव आयोग ने चुनावों के सीसीटीवी फुटेज और फोटो रिकॉर्डिंग को सिर्फ 45 दिन तक ही स्टोर करने का नियम बनाया है। राहुल गांधी ने इसे 'मैच फिक्सिंग' करार देते हुए लोकतंत्र के लिए घातक बताया है। जानिए क्या है पूरा मामला, क्या है चुनाव आयोग का पक्ष और क्या हैं राजनीतिक प्रतिक्रियाएं...

नई दिल्ली, 21 जून 2025 : कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने चुनाव आयोग के हालिया फैसले को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने एक समाचार पत्र में प्रकाशित रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट साझा करते हुए तीखा ट्वीट किया है। राहुल गांधी ने लिखा:

"वोटर लिस्ट?

Machine-readable फ़ॉर्मेट नहीं देंगे।

CCTV फुटेज?

कानून बदलकर छिपा दी।

चुनाव की फोटो-वीडियो?

अब 1 साल नहीं, 45 दिनों में ही मिटा देंगे।

जिससे जवाब चाहिए था - वही सबूत मिटा रहा है।

साफ़ दिख रहा है - मैच फिक्स है। और फिक्स किया गया चुनाव, लोकतंत्र के लिए ज़हर है।"

राहुल गांधी की यह प्रतिक्रिया जनसत्ता की उस रिपोर्ट पर आई है, जिसमें बताया गया है कि चुनाव आयोग (Election Commission) ने अब चुनावों से जुड़े वीडियो फुटेज और तस्वीरों को स्टोर करने की समय-सीमा को घटाकर महज 45 दिन कर दिया है।

क्या है चुनाव आयोग का नया नियम?

रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव आयोग ने सीसीटीवी कैमरों और अन्य माध्यमों से ली गई वीडियो व फोटो रिकॉर्डिंग को सुरक्षित रखने के नियमों में संशोधन किया है। पहले इन रिकॉर्डिंग्स को तीन महीने से लेकर एक साल तक संरक्षित रखा जाता था, लेकिन अब इन्हें सिर्फ 45 दिन तक ही स्टोर किया जाएगा।

खबर के मुताबिक, अगर 45 दिनों के भीतर कोई शिकायत, याचिका या चुनावी विवाद आयोग के समक्ष नहीं आता, तो यह डेटा नष्ट किया जा सकता है।

चुनाव आयोग ने सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को इस बदलाव की जानकारी दे दी है।

चुनाव आयोग का क्या है तर्क

चुनाव आयोग का कहना है कि वीडियो और फोटो रिकॉर्डिंग कानूनी रूप से अनिवार्य नहीं है, बल्कि इसे 'इंटरनल मैनेजमेंट टूल' के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। आयोग का यह भी कहना है कि हाल के दिनों में इन रिकॉर्डिंग्स का दुरुपयोग हुआ है, जिससे यह बदलाव जरूरी हो गया।

विपक्ष के सवाल

राहुल गांधी के बयान से यह स्पष्ट है कि कांग्रेस इस फैसले को लोकतंत्र की पारदर्शिता के खिलाफ मान रही है। उन्होंने चुनाव आयोग पर प्रक्रियाओं से जुड़े सबूत छिपाने का आरोप लगाया है और कहा है कि चुनाव की निष्पक्षता ही खतरे में पड़ गई है।

इस मुद्दे पर आगे क्या राजनीतिक और कानूनी कार्रवाई होगी, यह देखना बाकी है, लेकिन चुनाव आयोग के इस बदलाव ने विपक्ष को सरकार और संस्थानों पर नए सिरे से हमला करने का अवसर ज़रूर दे दिया है।