नेपाल से बेआबरु होकर लौटे बजरंगी मीडिया की विफलता

  • सुनामी, पर्यावरण संकट और परमाणु संयंत्रों का खतरा
  • जाति उन्मूलन और महादेश की एकता का सपना
  • संघ परिवार की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं और मीडिया नैरेटिव
  • गौतम बुद्ध, अंबेडकर और विरासत को हथियाने की कोशिश
  • किसानों की आत्महत्या, इरोम शर्मिला और अनसुनी आवाजें
  • विदेश यात्राएं, मीडिया का जश्न और आम जनता की उपेक्षा

वैकल्पिक मीडिया खड़ा करने की आवश्यकता

वरिष्ठ पत्रकार पलाश विश्वास अपने लेख में नेपाल से बेआबरु होकर लौटे बजरंगी मीडिया, सुनामी और परमाणु संयंत्रों के खतरे, जाति उन्मूलन की आवश्यकता और संघ परिवार की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं पर तीखी टिप्पणी करते हैं। वे वैकल्पिक मीडिया खड़ा करने का आह्वान करते हैं...

बड़े बेआबरु होकर नेपाली कूचे से निकली भारतीय बजरंगी ब्रिगेड

फिर आने लगी सुनामी

प्रशांत महासागर से बहुत दूर भी नहीं है हिंद महासागर

यह कायनात तुम्हारे हवाले साथियों

कि हर हाथ के मोबाइल को अब राष्ट्रीय झंडे में तब्दील करना है

जाति उन्मूलन के जरिये देश महादेश जोड़ना है

बड़े बेआबरु होकर नेपाल से लौटे कारपोरेट केसरिया बजरंगी मीडिया के मुकाबले सारे देशभक्तों को मिलकर वैकल्पिक मीडिया खड़ा करना है

कल्कि अवतार को चीन का चेयरमैन बनाने की संघ परिवार की तैयारी

बाबासाहेब के बाद अब गौतम बुद्ध को आजमाने की बारी

नए सर्वेक्षण में खुलासा, हर चौथा भारतीय नागरिक होता है छुआछूत का शिकार

भारत में जातिवाद की जड़ें काफी गहरी हैं।

बड़ी बेआबरु होकर नेपाली कूचे से निकली भारतीय बजरंगी ब्रिगेड।

जिस देश में छुआछूत अब भी जारी है और जिस मनुस्मृति के तहत यह जाति व्यवस्था है, उसी को संविधान बनाये हुए भारत ही नहीं, नेपाल ही नहीं, समूची कायनात को हिंदू साम्राज्य में तब्दील करने के लिए, सोने की चिड़िया प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध भारत को बेचने का अबाध कारोबार चलाने के लिए वही संघ परिवार अंबेडकरी विरासत हजम करने की नाकाम कोशिश करने के बाद अब भारत को 2021 तक गैरनस्ली आबादी और विधर्मियों के सफाये के एजेंडे के तहत गौतम बुद्ध के संदेशों को पंचशील बेशर्मी से खत्म करने के बाद हिंदुत्व में समाहित करने लगा है।

नेपाल महाभूकंप के बाद भी अपने हिस्से के हिमालय और हिमालयी जनता की सेहत की कोई परवाह नहीं है इस केसरिया कारपोरेट वर्णवर्चस्वी सत्ता, जरखरीद गुलाम मिलियनर बिलियनर राजनीति और उसके फेंके टुकड़ों पर विदेशी पूंजी और विदेशी हितों की दलाली करने वाले कारपोरेट मीडिया, जनविरोधी अर्थशास्त्रियों और प्रकृति और पर्यावरण से कटे हुए भूगर्भ शास्त्रियों को।

किसी को टिहरी बांध, भागीरथी बाढ़, गढ़वाल भूकंप या हाल की सुनामी की याद नहीं आयी। भविष्यदृष्टा अंध धृतराष्ट्र की तरह महाभारत के महाविनाश का आंखों देखा हाल चाहते हैं।

जन भावनाओं की कद्र इतनी, जनसुनवाई का आलम यह कि जल सत्याग्रह करने वालों को मृत्युगान सुनाना पड़े, कि इरोम शर्मिला को चौदह साल तक आमरण अनशन के बाद भी देश को फर्क न पड़े।

कि रोज-रोज किसानों की थोक आत्महत्याओं के बावजूद मंकी बातों की बहार हो कि सत्ता से निकलते ही सुधार देवता को अफसपा असभ्य लगे और सत्ता से बाहर हो जाने का दर्द ऐसा कि विनिवेश ईश्वर, अंबेडकर विरोधी अरुण शौरी को संघ परिवार का हिंदुत्व एजेंडा से अर्थव्यवस्था खतरे में नजर आये।

और मीडिया को फोकस फिर वहीं विश्वास संकट भूंकप की तस्वीरें जो उतर चुकी है परदे से। अब सुनामी कार्निवाल की तैयारी है।

कृपया इस सुनामी पर नजर रखिये और गौर कीजिये कि अपने बवासीर का रेडियोएक्टिव इलाज कराने के लिए भारतीय समुद्र तटों और महानगरों के इर्द-गिर्द सीमेंट के जमगलमध्ये परमाणु रिएक्टरों की जो भारतमाला सजायी जा रही है, उसके नतीजे कितने भयंकर हो सकते हैं।

प्रकृति और पर्यावरण की खैर इस बलात्कारी पाशविक सत्ता को कोई परवाह है नहीं, लेकिन राजधानी नई दिल्ली के पास नरौरा के बाद मुंबई महानगर के पास जैतापुर एटमिक क्लस्टर, कोलकाता के पास हरिपुर और तमिलनाडु की घनी आबादी के मध्य कुड़नकुलम और कलपक्कम परमाणु संयंत्र सजाने के बाद परमाणु ऊर्जा का विकल्प बनाने वाली सत्ता के पास सुनामी का कोई जवाब भी नहीं है।

आतंकवादी हमलों को रोकने में वह नाकाम है और परमाणु सुरक्षा का आलम यह कि सुनंदा पुष्कर के शव में पोलोनियम 230 पाया गया, जो साल भर में किसी परमाणु बिजलीघर में सिर्फ दस ग्राम उपजता है।

अब संघ परिवार, मोदी को चीन का चेयरमैन भी बना सकता है और चीनी जनता के दिलों पर कैसे उनके जनविध्वंसी कारपोरेट केसरिया राजाकाज का जलवा है, मीडिया इसका बखान करने लगा है। जबकि आम जनता की बुनियादी मुद्दों पर कोई स्पेस होता नहीं है। किस्सों और पर्दाफाश के जलजले में जनसुनवाई होती नहीं है और जनमत आर्थिक सुधारों के पक्ष में बनाने के विशेषज्ञों का दरबार लगा रहता है चौबीसों घंटे। संघ परिवार बंगाल में दीदी के सहयोग से केसरियाकरण संपूर्ण करके भारत के संपूर्ण हिंदुत्व और संपूर्ण निजीकरण और संपूर्ण गुजरात एजंडे का विस्तार चीन तक करने का कोई अभियान चलायें तो अचरज नहीं होगा। मीडिया घनघोर, मूसलाधार हवा बांधने लगा है जिससे इस महादेश में कसरिया सुनामी बहा ले जाये सब कुछ।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14-19 मई तक चीन, मंगोलिया और दक्षिण कोरिया की यात्रा पर रहेंगे। मंगलवार को विदेश मंत्रालय ने इसकी घोषणा कर दी। पिछले साल 26 मई को प्रधानमंत्री बनने के बाद से मोदी 15 देशों के दौरे कर चुके हैं। इस दौरान वे करीब 40 दिन विदेश में रहे। मोदी का पिछला दौरा फ्रांस, जर्मनी और कनाडा का था। देश में मोदी के 50 से ज्यादा दौरे हुए हैं। वे 12 बार महाराष्ट्र और आठ बार जम्मू-कश्मीर गए हैं। मोदी जिस रफ्तार से विदेश यात्रा कर रहे हैं, उससे लगता है कि वह मनमोहन सिंह को पीछे छोड़ते सबसे ज्‍यादा विदेश दौरा करने वाले प्रधानमंत्री बन जाएंगे।

मीडिया में उनके पूरब विजय का माहौल ऐसे बनाया जा रहा है। गौर करें, मीडिया रिपोर्ट के अनुसार

अलकायदा की भारतीय उपमहाद्वीप शाखा द्वारा पोस्ट हुए ताजा वीडियो में पहली बार भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी का नाम लेते हुए उन्हें खतरे के तौर पर हाईलाइट किया गया है। यह वीडियो अलकायदा की मीडिया विंग अस-शबाब द्वारा ने पोस्ट किया है। फ्रॉम फ्रांस टू बांग्लादेश: द डस्ट विल नेवर सेटल डाउन टाइटल वाले इस वीडियो में अलकायदा के भारतीय उपमहाद्वीप प्रमुख आसिम उमर की आवाज है। आसिम ने पीएम नरेंद्र मोदी के नाम का जिक्र करते हुए कहा कि दुनियाभर में मुस्लिमों के खिलाफ युद्ध लड़ा जा रहा है और निर्णायक भूमिका निभाने का वक्त आ गया है।

फिर आने लगी सुनामी

प्रशांत महासागरसे बहुत दूर भी नहीं है हिंद महासागर

यह कायनात तुम्हारे हवाले साथियों

कि हर हाथ के मोबाइल को अब राष्ट्रीय झंडे में तब्दील करना है

जाति उन्मूलन के जरिये देश महादेश जोड़ना है

बड़े बेआबरु होकर नेपाल से लौटे कारपोरेट केसरिया बजरंगी मीडिया के मुकाबले सारे देशभक्तों को मिलकर वैकल्पिक मीडिया खड़ा करना है

कल्कि अवतार को चीन का चेयरमैन बनाने की संघ परिवार की तैयारी

बाबासाहेब के बाद अब गौतम बुद्ध को आजमाने की बारी

पलाश विश्वास