देश दुनिया की लाइव खबरें 23 दिसंबर 2025 | Aaj Tak Live
दिन भर की खबरें 23 दिसंबर 2025 की देश दुनिया की आज तक लाइव खबरें यहां पढ़ें। यहां भारत की राजनीति, अर्थव्यवस्था, खेल, विज्ञान-तकनीक, मौसम अपडेट और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं से जुड़ी हर ताज़ा व बड़ी खबर तुरंत पाएँ। इस पेज पर दिन भर की खबरें अपडेट होंगीं...
Live news of the country and the world 23 December 2025 | Aaj Tak Live
Aaj Tak Breaking News 23 December 2025
दिन भर की खबरें 23 दिसंबर 2025 की देश दुनिया की आज तक लाइव खबरें यहां पढ़ें। यहां भारत की राजनीति, अर्थव्यवस्था, खेल, विज्ञान-तकनीक, मौसम अपडेट और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं से जुड़ी हर ताज़ा व बड़ी खबर तुरंत पाएँ। इस पेज पर दिन भर की खबरें अपडेट होंगीं...
22 दिसंबर की देश दुनिया की आज तक लाइव खबरें यहां पढ़ें
मनरेगा पर बुलडोज़र, लोकतंत्र को भी रौंदा गया: ‘द हिंदू’ में सोनिया गांधी का लेख
कांग्रेस संसदीय दल (CPP) की चेयरपर्सन श्रीमती सोनिया गांधी ने प्रतिष्ठित अख़बार द हिंदू में प्रकाशित अपने लेख में मोदी सरकार पर मनरेगा और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को खत्म करने का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने लिखा है कि न जनसंवाद हुआ, न संसद में सार्थक चर्चा हुई और न ही राज्यों की सहमति ली गई, इसके बावजूद मनरेगा जैसे अहम कानून को बदल दिया गया।
सोनिया गांधी ने सरकार के इस कदम को विकास नहीं बल्कि विनाश करार देते हुए कहा है कि इसकी कीमत करोड़ों मेहनतकश भारतीयों को अपनी रोज़ी-रोटी गंवाकर चुकानी पड़ेगी। उनके मुताबिक यह फैसला ग्रामीण भारत की सामाजिक सुरक्षा की रीढ़ तोड़ने वाला है।
अपने लेख में सोनिया गांधी लिखती हैं कि मनरेगा ने महात्मा गांधी के ‘सर्वोदय’ (सबके कल्याण) के विज़न को साकार किया और काम के संवैधानिक अधिकार को ज़मीन पर उतारा। उन्होंने इसे खत्म किए जाने को देश की सामूहिक नैतिक विफलता बताया, जिसके आर्थिक और मानवीय दुष्परिणाम आने वाले वर्षों तक करोड़ों कामकाजी भारतीयों को झेलने पड़ेंगे।
सोनिया गांधी ने चेतावनी दी कि भारत के गांवों में करोड़ों मजदूरों के लिए मनरेगा जैसा शक्तिशाली सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम खत्म होने के परिणाम विनाशकारी होंगे। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि आज पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरी है कि देश एकजुट होकर उन अधिकारों की रक्षा करे, जो सभी नागरिकों की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करते हैं।
सोनिया गांधी का यह लेख ऐसे समय में आया है, जब मनरेगा के भविष्य और ग्रामीण रोजगार को लेकर देशभर में राजनीतिक और सामाजिक बहस तेज़ होती जा रही है।
"MGNREGA realised the Mahatma's vision of Sarvodaya ('welfare of all') and enacted the constitutional right to work. Its death is our collective moral failure - one that will have financial and human consequences for crores of India's working people for years to come. It is… pic.twitter.com/0FTKZ6n35S
— Congress (@INCIndia) December 22, 2025
नेशनल हेराल्ड मामला : ईडी की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सोनिया और राहुल गांधी से मांगा जवाब
दिल्ली हाईकोर्ट ने नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य आरोपियों को नोटिस जारी कर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की याचिका पर जवाब मांगा है। जैसा कि आप जानते हैं कि ईडी ने ट्रायल कोर्ट द्वारा उसकी मनी लॉन्ड्रिंग शिकायत खारिज किए जाने के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है।
सोमवार, 22 दिसंबर 2025 को दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति रविंदर दुडेजा ने ईडी की मुख्य रिवीजन याचिका के साथ-साथ ट्रायल कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने संबंधी आवेदन पर भी नोटिस जारी किया। इस मामले की अगली सुनवाई अब 12 मार्च 2026 को तय की गई है।
ट्रायल कोर्ट का फैसला
इससे पहले, 16 दिसंबर 2025 को राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने ईडी की मनी लॉन्ड्रिंग शिकायत को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि यह “सुनवाई योग्य नहीं” है। अदालत का कहना था कि ईडी की कार्रवाई एक निजी आपराधिक शिकायत पर आधारित है, जबकि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अनुसूचित अपराध में एफआईआर का होना आवश्यक है।
ईडी की दलील
ईडी की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हाईकोर्ट में दलील दी कि ट्रायल कोर्ट की व्याख्या गलत है और इससे पीएमएलए कानून की मूल भावना कमजोर होगी। ईडी का तर्क है कि न्यायिक रूप से मान्य निजी शिकायत की कानूनी हैसियत एफआईआर से कम नहीं, बल्कि कई मामलों में उससे अधिक होती है।
मामले की पृष्ठभूमि
जैसा कि आप जानते हैं कि नेशनल हेराल्ड मामला एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के अधिग्रहण से जुड़ा है, जो नेशनल हेराल्ड अखबार का प्रकाशन करता है। ईडी का आरोप है कि यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के जरिए कथित आपराधिक साजिश और वित्तीय धोखाधड़ी कर एजेएल की दो हजार करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों पर मात्र पचास लाख रुपये में नियंत्रण हासिल किया गया।
इस मामले में हाईकोर्ट की अगली सुनवाई पर सभी की नजरें टिकी हैं, क्योंकि इसका असर न केवल इस केस पर बल्कि मनी लॉन्ड्रिंग कानून की व्याख्या पर भी पड़ सकता है।
स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन में ‘सिस्टमिक खामियां’: ममता बनर्जी का BJP और चुनाव आयोग पर तीखा हमला
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की प्रक्रिया को लेकर गंभीर सवाल खड़े करते हुए इसे अव्यवस्थित, असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक करार दिया है।
ममता बनर्जी ने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया में ऐसी सिस्टमिक खामियां हैं, जिनका खामियाजा आम और गरीब मतदाताओं को भुगतना पड़ रहा है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि भाषाई भेदभाव के कारण लाखों गरीब लोग दंडित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग अंग्रेज़ी नहीं जानते, वे स्वाभाविक रूप से अपना नाम बंगाली में लिखते हैं। बंगाली और अंग्रेज़ी वर्तनी में अंतर सामान्य है, लेकिन इन्हीं अंतर को “गलती” बताकर मतदाताओं को चिन्हित किया जा रहा है और परेशान किया जा रहा है।
ममता बनर्जी ने एसआईआर ऐप को भी बुनियादी तौर पर दोषपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि इस ऐप के लिए कोई स्पष्ट स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) नहीं है। खराब डिज़ाइन और तालमेल की कमी के चलते मैपिंग प्रक्रिया बार-बार फेल हो रही है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि “लॉजिकल डिस्क्रेपेंसी” जैसी श्रेणियां मनमाने ढंग से जोड़ी गई हैं, जिससे पूरी प्रक्रिया ठप हो गई है। हर बार ऐप में बदलाव से चल रहा काम रुक जाता है और नई उलझनें खड़ी हो जाती हैं।
मुख्यमंत्री के मुताबिक, निर्देश 22 से 24 बार बदले जा चुके हैं। लगभग रोज़ होने वाले बदलावों ने नियमों का पालन करना नामुमकिन बना दिया है। इसके अलावा 2002 के मतदाता डेटा तक पहुंच में जानबूझकर बाधा डाली जा रही है। न तो कोई कार्यशील सिस्टम है और न ही ऐसा ऐप, जिससे 2002 को आधार वर्ष मानकर सत्यापन किया जा सके।
ममता बनर्जी ने कहा कि EPIC नंबर तक भरोसेमंद तरीके से ट्रैक नहीं हो पा रहे हैं। हाल तक EPIC आधारित खोज की कोई व्यवस्था ही नहीं थी और कई मामलों में 2002 के EPIC नंबर वर्तमान रिकॉर्ड से मेल नहीं खाते।
उन्होंने डिलिमिटेशन की अव्यवस्था का मुद्दा भी उठाया। समय के साथ विधानसभा क्षेत्र, ज़िले, वार्ड और बूथ बदले गए, जिससे मतदाता सीमाओं के पार शिफ्ट होते रहे। इन बदलावों के दौरान हुई गलत मैपिंग को अब मतदाताओं के खिलाफ हथियार बनाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि प्रशासनिक गलतियों को मतदाताओं की गलती बताकर उनके नाम काटे जा रहे हैं, जिससे बड़े पैमाने पर मतदाता सूची से नाम हटाए जा रहे हैं।
ममता बनर्जी ने इस पूरी प्रक्रिया को “अनियोजित, आधी-अधूरी, असंवैधानिक और तानाशाही” बताते हुए कहा कि BJP ने चुनाव आयोग को अपने “B-टीम” की तरह इस्तेमाल कर बंगाल पर यह प्रक्रिया थोपी है। उन्होंने आरोप लगाया कि SIR का मकसद मतदाताओं को डराना, ज़मीन तैयार करना और ऐसे नतीजे गढ़ना है, जो BJP बैलेट से हासिल नहीं कर पाई।
मुख्यमंत्री ने दो टूक कहा, “बंगाल पर यह हमला बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस राज्य के लोगों ने पहले भी BJP की साज़िशों को नाकाम किया है और आगे भी करेंगे। बंगाल को डराया नहीं जा सकता, बंगालियों की प्रोफाइलिंग नहीं होने दी जाएगी और कोई बाहरी ताकत हमारी लोकतंत्र को छू भी नहीं पाएगी।”
उन्होंने दावा किया कि आने वाले विधानसभा चुनावों में BJP की साज़िशें नाकाम होंगी और वही जनादेश आगे चलकर दिल्ली की सत्ता से BJP को उखाड़ फेंकने का रास्ता बनेगा।
बांग्लादेश में हिंदू की लिंचिंग पर जस्टिस मार्कंडेय काटजू की तीखी टिप्पणी
भारत के सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने बांग्लादेश में एक हिंदू व्यक्ति की नृशंस लिंचिंग की कड़े शब्दों में निंदा की है। उन्होंने इसे न केवल बांग्लादेश बल्कि पूरे उपमहाद्वीप के लिए शर्मनाक करार दिया है।
जस्टिस काटजू ने कहा, “मैं बांग्लादेश में एक हिंदू की बर्बर लिंचिंग की निंदा करता हूं, ठीक उसी तरह जैसे मैं दुनिया में कहीं भी अल्पसंख्यकों पर होने वाले अत्याचारों की निंदा करता हूं।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी सभ्य समाज की पहचान यही होती है कि वहां अल्पसंख्यक गरिमा और सम्मान के साथ जीवन जी सकें।
कड़ी टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि इस कसौटी पर न तो भारत, न पाकिस्तान और न ही बांग्लादेश को सभ्य कहा जा सकता है।
जस्टिस काटजू के अनुसार, उपमहाद्वीप के देशों में अल्पसंख्यकों के साथ व्यवहार लगातार सवालों के घेरे में रहा है और यह लोकतंत्र व मानवाधिकारों के लिए गंभीर चिंता का विषय है।
जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने यह भी रेखांकित किया कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा किसी भी समाज को पीछे की ओर धकेलती है और उसे सभ्यता के बजाय भीड़तंत्र की ओर ले जाती है।
यूपी विधानसभा में तकरार: योगी का राहुल-अखिलेश पर तंज, सपा प्रमुख का पलटवार
सोमवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा में कोडीन युक्त कफ सिरप मामले को लेकर हंगामा तेज हो गया। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए बिना नाम लिए राहुल गांधी और अखिलेश यादव पर तंज कसा।
सदन को कफ सिरप मामले में की गई कार्रवाई की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में इस मामले से किसी की मौत नहीं हुई है और दोषियों के खिलाफ समय आने पर “बुलडोज़र एक्शन” किया जाएगा। इसके बाद उन्होंने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा,
“देश के अंदर दो नमूने हैं, एक दिल्ली में और एक लखनऊ में बैठे हैं। जब देश में कोई गंभीर चर्चा होती है तो देश छोड़कर चले जाते हैं। यही आपके बबुआ के साथ भी हुआ होगा।”
मुख्यमंत्री यहीं नहीं रुके। उन्होंने सपा नेताओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि उनका नेता जल्द ही “इंग्लैंड” चला जाएगा और वे लोग यहां अकेले चिल्लाते रह जाएंगे।
योगी आदित्यनाथ के इस बयान पर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर पलटवार किया। अखिलेश ने लिखा,
“आत्म-स्वीकृति!
किसी को उम्मीद नहीं थी कि दिल्ली-लखनऊ की लड़ाई यहाँ तक पहुँच जाएगी। संवैधानिक पदों पर बैठे लोग आपस में कुछ तो लोक-लाज रखें और मर्यादा की सीमा न लाँघें। भाजपाई अपनी पार्टी के अंदर की खींचातानी को चौराहे पर न लाएं। कहीं कोई बुरा मान गया तो वापस जाना पड़ेगा।”
योगी और अखिलेश के बीच इस जुबानी जंग से विधानसभा की कार्यवाही के साथ-साथ प्रदेश की सियासत भी गरमा गई है।
उत्तर प्रदेश विधान सभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का संबोधन। https://t.co/au97nRMkgi
— CM Office, GoUP (@CMOfficeUP) December 22, 2025
जेपी नड्डा के बयान पर कांग्रेस का हमला, एनआईए से पूछताछ की मांग
रमन सिंह का नार्को टेस्ट हो, झीरम का पूरा सच सामने आए: कांग्रेस
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा के झीरम घाटी कांड को लेकर दिए गए बयान पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस ने नड्डा के बयान को आपत्तिजनक, स्तरहीन और शहीदों का अपमान बताते हुए एनआईए से उनसे पूछताछ की मांग की है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने रायपुर में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि जेपी नड्डा यह कहकर कि झीरम हमले के लिए कांग्रेसियों ने नक्सलियों से संपर्क किया था, झीरम के शहीदों और उनके परिजनों के घावों पर नमक छिड़क रहे हैं। उन्होंने कहा कि नड्डा बताएं कि इस बयान का आधार क्या है और उनके पास इसके क्या सबूत हैं। कांग्रेस ने नड्डा से सार्वजनिक माफी की मांग करते हुए भाजपा से उनके खिलाफ कार्रवाई करने की भी मांग की।
सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि झीरम हमले में कांग्रेस ने अपने नेताओं की पूरी एक पीढ़ी खो दी, और उस समय छत्तीसगढ़ में भाजपा की रमन सिंह सरकार थी। भाजपा पिछले बारह वर्षों से केंद्र में सत्ता में है, फिर भी आज तक झीरम हमले के दोषियों तक क्यों नहीं पहुंचा जा सका। उन्होंने मांग की कि पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह का नार्को टेस्ट कराया जाए, ताकि झीरम घाटी कांड का पूरा सच सामने आ सके।
उन्होंने कहा कि झीरम घाटी कांड स्वतंत्र भारत की सबसे हृदयविदारक घटनाओं में से एक है, जिसमें एक साथ विपक्ष के 32 नेताओं की हत्या हुई। यह घटना भाजपा शासनकाल में हुई और दोषियों को बचाने के लिए लगातार साजिशें रची गईं। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि भाजपा झीरम का सच सामने आने से डरती है, क्योंकि ऐसा हुआ तो उसकी भूमिका बेनकाब हो जाएगी।
कांग्रेस ने यह भी सवाल उठाया कि झीरम हमले के बाद एनआईए ने तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह से पूछताछ क्यों नहीं की। साथ ही यह आरोप लगाया कि भाजपा के तत्कालीन नेताओं ने जांच रोकने के लिए न्यायालयों का सहारा लिया और एसआईटी को फाइलें न मिलने देने के लिए केंद्र सरकार ने बाधाएं खड़ी कीं।
सुशील आनंद शुक्ला ने बताया कि कांग्रेस सरकार बनने के बाद झीरम हमले की जांच के लिए एसआईटी गठित की गई थी, लेकिन केंद्र की भाजपा सरकार ने एनआईए को फाइलें देने से रोके रखा। सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2023 में एनआईए की अपील खारिज कर एसआईटी को जांच का अधिकार दिया, लेकिन तब तक राज्य की सरकार बदल चुकी थी। कांग्रेस ने मांग की कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा गठित एसआईटी के माध्यम से झीरम हमले के षड्यंत्र की जांच फिर से शुरू की जाए।
उन्होंने कहा कि आज भी छत्तीसगढ़ की जनता यह जानना चाहती है कि कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा की सुरक्षा घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में क्यों हटाई गई। झीरम कांग्रेस के लिए ऐसा घाव है जो कभी नहीं भर सकता और यह घटना देश के लोकतंत्र के माथे पर लगा ऐसा कलंक है जो कभी नहीं मिटेगा।
कांग्रेस ने स्पष्ट किया कि झीरम घाटी कांड के षड्यंत्र को उजागर करने के लिए वह हर स्तर पर संघर्ष करेगी और केंद्र में कांग्रेस सरकार बनने पर इस मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों को सजा दिलाई जाएगी।
पत्रकार वार्ता में महेंद्र छाबड़ा, सुरेंद्र वर्मा, अजय साहू, नितिन भंसाली, वंदना राजपूत और सत्यप्रकाश सिंह भी उपस्थित रहे।
Live Updates
- 23 Dec 2025 10:24 AM IST
बीजेपी में मिलने लगी मोदी को चुनौती
बीजेपी में मिलने लगी मोदी को चुनौती | hastakshep | din bhar ki khabren |


