एक पार्टी की तरह काम कर रहा चुनाव आयोग : दिग्विजय सिंह
पटना में दिग्विजय सिंह का प्रेस ब्रीफिंग: "चुनाव आयोग एक पार्टी की तरह काम कर रहा, बिहार की शिक्षा व्यवस्था बदहाली की कगार पर"

Election Commission is working like a party: Digvijay Singh
पटना में दिग्विजय सिंह का प्रेस ब्रीफिंग: "चुनाव आयोग एक पार्टी की तरह काम कर रहा, बिहार की शिक्षा व्यवस्था बदहाली की कगार पर"
According to Digvijay Singh, the Election Commission is behaving in a partisan manner.
पटना, 29 जून 2025। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह (Senior Congress leader and Rajya Sabha MP Digvijay Singh) ने रविवार को पटना में एक प्रेस वार्ता के दौरान केंद्र सरकार, चुनाव आयोग और बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर तीखे सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत का चुनाव आयोग अब एक पार्टी के पक्ष में निर्णय ले रहा है, जो लोकतंत्र के लिए बेहद चिंताजनक है।
चुनाव आयोग पर सवाल
दिग्विजय सिंह ने कहा,
“जब भी चुनाव आयोग कोई निर्णय लेता है, आमतौर पर सर्वदलीय बैठक बुलाई जाती है ताकि एक सर्वसम्मत समाधान निकल सके। लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है। यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया की अनदेखी है।”
उन्होंने बिहार में Special Intensive Revision 2024 की प्रक्रिया को भी अव्यवहारिक बताया और कहा कि आखिरी बार ऐसा गहन सर्वे 2003 में हुआ था, जिसे पूरा करने में दो साल लगे थे। लेकिन इस बार केवल एक महीने का समय दिया गया है, वो भी बरसात के मौसम में, जब ग्रामीण क्षेत्रों में जाना मुश्किल है।
बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल
बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर बोलते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि राज्य जहां एक समय नालंदा और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालयों का केंद्र था, आज शिक्षा के मामले में सबसे पिछड़े राज्यों में शामिल हो गया है।
उन्होंने UDISE+ (मोदी सरकार का शिक्षा डेटा) का हवाला देते हुए निम्नलिखित आंकड़े रखे :
- GER (Gross Enrollment Ratio) के मामले में बिहार सबसे पीछे।
- प्राइमरी स्तर (कक्षा 1-5): 100 में से सिर्फ 30 बच्चे स्कूल जाते हैं।
- अपर प्राइमरी स्तर (कक्षा 6-8): 100 में से 68 बच्चे, जबकि राष्ट्रीय औसत 89.9%।
- सेकंडरी स्तर (कक्षा 9): 100 में से 45 बच्चे ही भर्ती होते हैं, जबकि राष्ट्रीय औसत 77.4%।
- हायर सेकंडरी स्तर (कक्षा 11): केवल 30% छात्र पहुंचते हैं, राष्ट्रीय औसत 56%।
- ड्रॉपआउट रेट: कक्षा 1-5 में 9% बच्चे स्कूल छोड़ देते हैं, 5वीं के बाद लगभग 25%।
डिजिटल शिक्षा का अभाव
दिग्विजय सिंह ने बताया कि:
- 16,500 स्कूलों में बिजली नहीं है, जिससे कंप्यूटर शिक्षा असंभव है।
- 78,000 सरकारी स्कूलों में से सिर्फ 5,000 में ही कंप्यूटर हैं।
- बिहार में 117 स्कूल ऐसे हैं जहां एक भी छात्र नामांकित नहीं है, लेकिन 544 शिक्षक वहां पदस्थ हैं और वेतन पा रहे हैं।
शिक्षा बजट और कॉलेजों की स्थिति
कांग्रेस नेता ने सवाल उठाया कि ₹61,000 करोड़ के शिक्षा बजट का उपयोग कहां हो रहा है, इसका कोई पारदर्शी विवरण नहीं है। उन्होंने बताया कि :
- हायर सेकेंडरी पास करने वाले केवल 17% छात्र ही कॉलेज जाते हैं।
- बिहार में 1 लाख की आबादी पर सिर्फ 7 कॉलेज हैं, जबकि यह संख्या और ज्यादा होनी चाहिए।
पेपर लीक और भर्ती घोटाले
बिहार में शिक्षा व्यवस्था में घोटालों और भ्रष्टाचार को लेकर भी उन्होंने गंभीर आरोप लगाए।
दिग्विजय सिंह ने कहा :
“बिहार में जितने पेपर लीक होते हैं, उतने किसी अन्य राज्य में नहीं होते। यह अब एक व्यवसाय बन चुका है। बीजेपी-जेडीयू की सरकार में भर्तियों के नाम पर गोरखधंधा चल रहा है। पिछले 7 वर्षों में 10 से अधिक पेपर लीक के मामले सामने आए हैं।”
प्रेस ब्रीफिंग में दिग्विजय सिंह ने बिहार सरकार और केंद्र पर गंभीर प्रशासनिक लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य की शिक्षा, रोजगार और लोकतंत्र की संस्थाओं को योजनाबद्ध तरीके से कमजोर किया जा रहा है।