1960 में ब्रा बर्निंग

लॉन्जरी को लेकर भारत की महिलाओं में आज भी एक स्टीरियोटाइप बना हुआ है। दुनिया भर मेंब्रा को लेकर कई तर्क दिए जाते हैं।

ब्रा के बारे में बात करते हुए दिमाग में सबसे पहला सवाल ये आता है कि आखिर ब्रा पहनी क्यों जाती है ? तो इसका जवाब ये है कि "इसका कोई सटीक जवाब नहीं" ब्रा पहनने के किसी वैज्ञानिक फायदे की बात आज तक स्पष्ट नहीं हुई। जो महिलाएं ब्रा का इस्तेमाल करती हैं उनके लिए भी ये एक तरह से ऐसा बंधन होता है जिससे वह समय मिलते ही मुक्त होना चाहती हैं।

ब्रा क्यों पहनी जाती है ?

ब्रा पहनने की जो वजह आम है वो है स्तनों का सुडौल दिखना और उन्हें सपोर्ट देना।

यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल ऑफ बेसनकॉन में स्पोर्ट्स मेडिसिन के विशेषज्ञ प्रोफेसर जीन-डेनिस रॉइलन द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन ने ब्रा न पहनने का सुझाव दिया था। फ्रांसीसी डॉक्टर के अनुसार ब्रा पहनने से पेक्टोरल मांसपेशियों में आलस्य बढ़ता है। यह मांसपेशियों को कमजोर करता है।

ब्रा का इतिहास क्या है ?

ब्रा का इतिहास लगभग 500 साल पुराना हैI हालांकि इतने लंबे सफर में ब्रा ने अपने कई रूप और नाम बदले हैं। आज महिलाएं इसके सबसे मॉडर्न रूप का इस्तेमाल करती हैं। बताया जाता है कि मिस्र की महिलाएं सदियों से ब्रा का इस्तेमाल करती आ रही हैं। प्राचीन काल में मिस्र की स्त्रियां चमड़े की ब्रा पहनती थीं। हालांकि इसे पहनना बहुत मुश्किल होता था। लेकिन स्तन ढंकने के लिए महिलाओं को इसे पहनना पड़ता था I ग्रीक और यूनानी सभ्यता में साधारण ब्रेस्ट बैंड पहने जाने का जिक्र मिलता है।

मशहूर फ़ैशन मैगज़ीन "वोग" ने साल 1907 के करीब़ "brassiere" शब्द को लोकप्रिय बनाने में बड़ी भूमिका निभाई।

ब्रा फ़्रेंच शब्द "brassiere" का छोटा रूप है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है शरीर का ऊपरी हिस्सा।

साल 1911 में ब्रा शब्द को ऑक्सफ़ोर्ड डिक्शनरी में जोड़ा गया I

इसके बाद 1913 में अमरीका की जानी-मानी सोशलाइट मैरी फ़ेल्प्स नेरेशम के रुमालों और रिबन से अपने लिए ब्रा बनाए और अगले साल इसका पेटेंट भी कराया।

मैरी की बनाई ब्रा को आधुनिक ब्रा का शुरुआती रूप माना जा सकता है, मगर इसमें कई ख़ामियां थीं। ये स्तनों को सपोर्ट करने के बजाय उन्हें फ़्लैट कर देती थी और सिर्फ एक ही साइज़ में मौज़ूद थी।

इसके बाद 1921 में अमरीकी डिज़ाइन आइडा रोजेंथल को अलग-अलग "कप साइज़" का आइडिया आया और हर तरह के शरीर के लिए ब्रा बनने लगीं।

ब्रा पहनने का विरोध क्यों हुआ ?

दिलचस्प बात ये है कि इसके साथ ही ब्रा का विरोध होना भी शुरू हो गया था।

ये वही वक़्त था जब महिलावादी संगठनों ने ब्रा पहनने के ख़तरों के प्रति औरतों को आगाह किया था। और उन्हें ऐसे कपड़े पहनने की सलाह दी थी जो उन्हें हर तरह के सामाजिक और राजनीतिक बंधनों से आज़ाद करें।

1960 के दशक में "ब्रा बर्निंग" औरतों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ था। हालांकि सचमुच में कुछ ही औरतों ने ब्रा जलाए थे।

ये एक सांकेतिक विरोध था। कई महिलाओं ने ब्रा जलाई नहीं मगर विरोध जताने के लिए बिना ब्रा पहने बाहर निकलीं।

साल 1968 में तक़रीबन 400 औरतें मिस अमरीका ब्यूटी पीजेंट का विरोध करने के लिए इकट्ठा हुईं। और उन्होंने ब्रा, मेकअप के सामान और हाई हील्स समेत कई दूसरी चीजें एक कूड़ेदान में फेंक दीं।

जिस कूड़ेदान में ये चीजें फेंकी गईं उसे "फ़्रीडम ट्रैश कै न" कहा गया।

इस विरोध की वजह थी औरतों पर ख़ूबसूरती के पैमानों को थोपा जाना.

सोशल मीडिया पर ब्रा-विरोधी अभियान

2016 में एक बार फिर ब्रा-विरोधी अभियान ने सोशल मीडिया पर ज़ोर पकड़ा। ये तब हुआ जब 17 साल की कैटलीन जुविक बिना ब्रा के टॉप पहनकर स्कूल चली गईं और उनकी वाइस प्रिसिंपल ने उन्हें

बुलाकर ब्रा न पहनने की वजह पूछी।

कैटलीन ने इस घटना का ज़िक्र स्नैपचैट पर किया और उन्हें जबरजदस्त समर्थन मिला। इस तरह " नो ब्रा नो प्रॉब्लम" मुहिम ('NO BRA NO PROBLEM') की शुरुआत हुई।

बात अगर भारत में ब्रा के चलन की करें तो भारत में ब्रा का इतिहास (History of Bra in India) खासा पुराना नहीं है। यहां महिलाएं बहुत पहले से साड़ी पहनती हैं। इसीलिए पहले महिलाएं अपने स्तनों को ढंकने के लिए साड़ी का ही इस्तेमाल किया करती थीं। इसके बाद ब्रा का इस्तेमाल शुरू हुआ।

वीणा भाटिया

(लेखिका स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)