Hastakshep.com-Opinion-Character of ram-character-of-ram-राम का चरित्र-raam-kaa-critr-सीता की अग्निपरिक्षा-siitaa-kii-agniprikssaa

शक्ति, शौर्य आदि से स्त्री आकर्षित नहीं होती Women are not attracted by strength, bravery etc.

How is a woman attracted ? स्त्री सर्वप्रथम विनम्र व्यवहार से मुग्ध होती है A woman is first to be fascinated by polite behavior

स्त्रियां पुरुष में फ्रेंडली एटीट्यूड चाहती हैं Women want friendly attitude in men

क्या कारण है कि स्त्रियों में मिथकीय नायकों में राम की अपेक्षा कृष्ण ज़्यादा पॉप्यूलर हैं ? कृष्ण को लेकर स्त्रियों में जितनी फैंटेसी, प्रेम और उत्सुकता दिखाई देती है उतनी उत्सुकता राम को लेकर नहीं। कृष्ण को लेकर सुंदर कल्पनाएं करने, कथाएं रचने और चर्चा करने में स्त्रियां जितनी

रुचि लेती हैं उतनी राम-कथा में नहीं। वजह यह है कि स्त्रियां लिबरल चरित्र को ज़्यादा पसंद करती हैं और उसे अपने निजी जीवन में अहमियत भी देती हैं। कृष्ण चरित्र में स्त्रियों को स्त्री-मुक्ति की भावना दिखाई देती है, इस चरित्र में उन्हें स्त्री-अस्मिता का बोध होता है। कृष्ण का चरित्र मुक्त विचार, मुक्त सोच, मुक्त क्रिया और मुक्त जीवन को प्रधानता देता है। यही कारण है कि कृष्ण और कृष्ण-कथा स्त्रियों को ज़्यादा अपील करता है।

आज स्त्रियां जीवन और समाज में अपनी आइडेंटिटी को लेकर काफ़ी सचेत हैं। साथ ही वे समाज से स्व-मर्यादा और स्व-सम्मान भी चाहती हैं और यह सम्मान का बोध उन्हें समाज रुपी कृष्ण-चरित्र में महसूस होता है।

कृष्ण के चरित्र की विशेषताएं. Characteristics of Krishna.

कृष्ण के चरित्र की ख़ासियत यह है कि वह स्त्री-मुक्ति का पक्षधर है। वह स्त्रियों के अस्तित्व को चलताऊ ढंग से नहीं देखता बल्कि उसे विशेष मर्यादा देता है, हर

एक स्त्री की व्यक्तिगत इच्छाओं और मनोदशाओं को खास सम्मान करता है। यह चरित्र संपर्क में रहने वाली हर स्त्री की प्राय हर एक इच्छा को पूर्ण करता है। हर छोटी बात को अनुभूति के धरातल पर समझता है। स्त्रियां इस उदार चरित्र से स्वभावत: आकर्षित होती हैं और कृष्ण में अपने आदर्श पुरुष को देख पाती हैं। यही वजह है कि कृष्ण-राधा की कथाओं की विभिन्न कल्पनाओं में स्त्रियों को जितना आनंद मिलता है उतना राम-सीता की कहानियों में नहीं। फैंटेसिकल चिंतन में भी कृष्ण एक उदार चरित्र के रुप में स्त्री-हृदय में व्याप्त है।

कृष्ण के चरित्र की दूसरी विशेषता उसका हंसमुख स्वभाव है। चाहे सीरियल हो चाहे फिल्म हर जगह कृष्ण का चरित्र एक सुंदर हंसी के साथ सामने आता है। स्त्रियों को इस हंसमुख स्वभाव से बेहद प्यार है। सदियों से अपने हक के लिए लड़ रही स्त्रियां पुरुषों से केवल अच्छा व्यवहार और एक स्वस्थ हंसी ही चाहती हैं और वह भी उन्हें नहीं मिलता। कृष्ण का मनमोहक रूप और उससे झर-झर निसृत सुंदर हंसी कहीं न कहीं स्त्री-हृदय को मुग्ध करता है।

देखा जाए तो राम का चरित्र (Character of ram) भी स्त्री को पर्याप्त सम्मान करता है और वह एकपत्नी-व्रत चरित्र भी है फिर भी क्या वजह है कि स्त्री-हृदय में राम की अपेक्षा कृष्ण-चरित्र ही ज़्यादा छाया हुआ है।

हो सकता है सीता की अग्निपरिक्षा जैसी मार्मिक घटनाओं से स्त्रियां कहीं न कहीं आहत होती हैं और राम के चरित्र को नापसंद करती हैं या राम के चरित्र से उन्हें घोर शिकायत है।

ध्यान तलब है कि स्त्रियां उस चरित्र को ज़्यादा पसंद करती हैं जो समाज की परवाह न करें, जो केवल अपने हृदय की बात मानें, स्त्री-हृदय को पढ़ें, उसे सम्मान करें और ये सारे गुण प्रकटत: कृष्ण-चरित्र में है।

कृष्ण के चरित्र की तीसरी विशेषता है उसका सखा-भाव या कहें उसका फ्रेंडली एटीट्यूड।

स्त्रियां आम तौर पर अपने संपर्क के हर एक पुरुष में फ्रेंडली एटीट्यूड को चाहती हैं, पुंसवादी रवैया और दमनात्मक व्यवहार बिल्कुल नहीं चाहती। कृष्ण–चरित्र में मेल शोवेनिस्टिक एटीट्यूड एक सिरे से गायब है। वहां स्त्री-पुरुष में मित्रता का संपर्क है चाहे उम्र में कितना भी फर्क हो। कृष्ण-कथा में कृष्ण जिन स्त्रियों के संपर्क में रहते हैं, बात करते हैं सबसे उनका फ्रेंडली रिलेशन दिखाई देता है। स्त्रियां भी अपनी व्यक्तिगत पीड़ाएं और आंतरिक अभिलाषाएं कृष्ण से शेयर करती हैं।

वैसे देखा जाए तो स्त्रियों की व्यक्तिगत बातों और पीड़ाओं को राम के चरित्र ने भी सुना और समझा है लेकिन राम के चरित्र में फ्रेंडली एटीट्यूड का अभाव दिखाई देता है। यही वो जगह है जहां कृष्ण स्त्री-मनोविज्ञान के परिप्रेक्ष्य में पॉज़िटिव रूप में सामने आते हैं।

राम और कृष्ण दोनों ही चरित्रों में दुष्ट-दलन की शक्ति, शत्रु-निधन-क्षमता इत्यादि गुण देखे जाते हैं। लेकिन दिलचस्प है कि स्त्रियों को इन गुणों से कोई लगाव नहीं है। कारण यह है कि शक्ति, शौर्य आदि से स्त्री आकर्षित नहीं होती।

स्त्री सर्वप्रथम विनम्र व्यवहार से मुग्ध होती है जो कृष्ण और राम दोनों चरित्रों में मौजूद है। साथ ही स्त्री सम्मान व मर्यादा की आकांक्षी होती है। वह पुंसवादी रवैया तो बिलकुल नापसंद करती है। पुंस-व्यवहार में वह हमेशा अपने लिए रेस्पेक्ट को खोजती है। सबसे अहम है वह अपने लिए स्पेस चाहती है और कृष्ण के चरित्र की यह खासियत है कि वह स्त्रियों को पर्याप्त स्पेस देता है। स्त्री-अनुभूति को महत्व देता है। फलतः स्त्रियों के लिए कृष्ण का चरित्र जितना आत्मीय है उतना राम का नहीं है।

कृष्ण के चरित्र से स्त्रियों की जितनी रागात्मकता है उतनी राम के चरित्र से नहीं। इसलिए स्त्रियों में कृष्ण जितने पॉप्यूलर हैं उतने राम नहीं।

सारदा बनर्जी

Ram is not as popular as Krishna in women

 

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