वरिष्ठ पत्रकार पलाश विश्वास (Palash Biswas) उत्तराखंड व झारखंड क्षेत्र से जुड़े एक सक्रिय पर्यावरणवादी एवं सामाजिक पत्रकार हैं, जिनकी लेखनी हिमालयी जनजीवन, दलित-सामाजिक मुद्दों और दूरदराज़ के किसानों तक पहुँचती रही है। कलकत्ता (कोलकाता) में आधारित पत्रकारिता करियर की शुरुआत पदोन्नति से नहीं, बल्कि हिमालयी क्षेत्र में पर्यावरण और सामाजिक आंदोलनों से हुई थी। चिपको आंदोलन से प्रभावित होकर उन्हें पत्रकार बनना पड़ा, और 1980 में एक दैनिक समाचारपत्र से पत्रकारिता की शुरुआत की। उन्होंने उत्तराखंड‑झारखंड के सामाजिक संघर्षों, किसान एवं आदिवासियों की स्थिति पर रिपोर्टिंग की और इंडियन एक्सप्रेस (जनसत्ता) जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में वरिष्ठ भूमिका निभाई। पलाश विश्वास को उत्तराखंड, झारखंड और हिमालयी क्षेत्रों में “पलाश दा” नाम से श्रद्धा के साथ जाना जाता है। उनकी पत्रकारिता इन क्षेत्रों की आवाज़ को राष्ट्रीय मंच तक पहुँचाती रही है। उनकी लेखनी में समाजवाद, दलित अधिकार, पर्यावरण संरक्षण एवं अभिव्यक्ति स्वतंत्रता की प्रतिबद्धता स्पष्ट रूप से दिखती है। उन्होंने खुले तौर पर अम्बेडकरवादी विचारों का समर्थन किया है लेकिन मुख्यधारा की जातीय राजनीति पर सवाल भी उठाए हैं। मुख्य योगदान एवं विषय 1. पर्यावरण व हिमालयी संघर्ष चिपको आंदोलन, नैनीताल समाचार, संघर्ष वाहिनी जैसे माध्यमों से हिमालयी जनजीवन की कहानी को प्रमुखता से प्रस्तुत किया। 2. दलित-अम्बेडकरवादी चिंतन धर्मनिरपेक्ष सामाजिक न्याय की दृष्टि से दलित आंदोलनों, बसपा, रिपब्लिकन पैंथर्स और गैर-चुनावी संगठन आदि पर विश्लेषण करते रहे, हालांकि उन्होंने राजनैतिक दलों से दूरी बनाए रखी है। 3. सामाजिक असमानताओं पर विमर्श कालेज और पत्रकारिता दृश्य दोनों में, सामाजिक बदलाव और गरीब वर्गों के प्रश्नों को उजागर किया। वह प्रकाशनों, ब्लॉग और हस्तक्षेप जैसे मंचों पर खुलकर लिखते रहे हैं।