People with disabilities or disabled are also required to behave like normal people.

Justice Kurian on Disability Rights: A New Perspective
🌍 International Consultation on Disability Rights: Key Takeaways
📜 RPWD Act 2016: Implementation Challenges & Future Prospects
👨‍⚖️ Advocate S.K. Rungta on Legal Rights of Disabled Persons
🔍 Social Model for Disability: A Paradigm Shift in Thinking
🏥 Health & Disability: Addressing Inequalities & Challenges
💡 Education & Disability: Need for Inclusive Curriculum
🏢 Indian Social Institute’s Role in Disability Rights Advocacy

International Consultation on Human Rights of Persons with Disabilities" में न्यायमूर्ति कुरियन और अन्य विशेषज्ञों ने विकलांगता अधिकारों पर अपने विचार साझा किए। RPWD Act 2016, सामाजिक समावेशन, और शिक्षा में विकलांगता पाठ्यक्रम को लेकर अहम चर्चाएं हुईं। पढ़ें पूरी रिपोर्ट

भारतीय सामाजिक संस्थान में आयोजित तीन दिवसीय अंतराष्ट्रीय संगोष्ठी की रिपोर्ट

INTERNATIONAL CONSULTATION ON HUMAN RIGHTS OF PERSONS WITH DISABILITIES

नई दिल्ली, 20 जनवरी 2020. ‘हमें सभी को अपना साथी बनाने के लिए अपनी भीतरी आँखों को खोलने की ज़रूरत है न कि बाहरी आँखों की, जो किसी को एक वस्तु के तौर पर पेश करती हैं. हम भौतिक आँखों से परे यदि नैसर्गिक दृष्टि से देखने लगें तो हमें हर कोई अपना नज़र आने लगेगा.’

Justice Kurian on INTERNATIONAL CONSULTATION ON HUMAN RIGHTS OF PERSONS WITH DISABILITIES

यह बात नई दिल्ली के भारतीय सामाजिक संस्थान के खचाखच भरे हॉल में जस्टिस कुरियन (Justice Kurian) ने इंटरनेशनल कंसल्टेशन ऑन ह्यूमन राइट्स ऑफ़ पर्सन्स विथ डिसैबिलिटीज विषय पर आयोजित तीन दिवसीय सेमिनार में कहीं. सेमिनार 17 से 19 जनवरी 2020 को इंडियन सोशल इंस्टीट्यूट द्वारा आयोजित किया गया था.

इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ताओ में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश महामहिम जस्टिस दीपक गुप्ता, नेपाल के सर्वोच्च न्यायालय न्यायाधीश महामहिम जस्टिस आनंद भट्ट्राई, लीड्स युनिवर्सिटी की प्रो. एन्ना लासन, आम्बेडकर युनिवर्सिटी की डा. अनिता घई, आईएलएस पूना के डा. संजय जैन, नागपुर विश्वविद्यालय के डा. एस एल देशपांडे, दिल्ली हाई कोर्ट के एड. एस के रुंग्टा, नल्सर की प्रो. अमिता धंदा, नागपुर विश्वविद्यालय के डा. राजेश आसुदनी, नेशनल थेलिसीमिया वेल्फेयर सोसायटी के डा जेएस अरोरा आदि थे.

अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त प्रो एन्ना लासन (Professor Anna Lawson) ने अपने उद्बोधन में कहा कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विकलांगजनों के लिये बहुत से कानून बने हैं जो बहुत से देशो मे लागू भी हैं लेकिन इनके क्रियान्वयन में होने वाली देरी की वजह से लोगों का विश्वास टूट जाता है.

अपनी बात आगे बढ़ाते हुए प्रोफेसर अन्ना लॉसन, लीड्स विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लॉ में कानून के प्रोफेसर (Professor Anna Lawson, Professor of Law at School of Law of University of Leeds) ने आगे कहा कि दरअसल कोई विकलांग नहीं होता बल्कि हरेक की अपनी खूबी होती है, लेकिन जो सामान्य मापदंड के दायरे में नहीं आते उन्हें लोग अक्सर कम आंकने लगते हैं जबकि हमें अपनी सोच और अपनी कार्यशैली में बदलाव लाना चाहिये ताकि तमाम खूबियों और विभिन्नताओं वाले लोग एक साथ शामिल हो सकें. उन्होंने एक डिसेबिलिटी के लिये सोशल मॉडल, Social Model for Disability का सुझाव दिया.

डॉ. एस एल देशपांडे ने कहा कि समानता तब तक एक खोखला विचार है जब तक कि समाज इसे मूल ज़रूरत नहीं मानने लगे. कानून द्वारा प्रदत्त समावेशी सिद्धान्त को वास्तविक जीवन में लागू करने के लिये लोगों को अपने व्यवहार में बदलाव लाने की ज़रूरत है. समावेश का मूल सिद्धांत प्रभावित लोगों के जीवन में अर्थपूर्ण और गुणवत्तापूर्ण सुधार है.

एड्वोकेट एके रूंग्टा ने अपने द्वारा लड़े गए मुकदमों का ज़िक्र करते हुए बताया कि जिन्हें कमज़ोर कहा जाता है, उनके लिये आरक्षण का मतलब गुणवत्ता में कमी लाना नहीं बल्कि गुणवत्ता से कोई समझौता किये बगैर वंचित तबके को मुख्यधारा में स्थान देना है. इस अवसर पर एक मूट कोर्ट का संचालन (moot court) किया गया था. जिसमे जजो की एक पीठ के सामने एडवोकेट ऐ के रूंगटा ने डिसएबल्ड के अधिकारों की पैरवी की.

डा. अनिता घई ने RPWD एक्ट 2016 और डिसेबिलिटी राइट्स स्टडीज, (Disability Rights Studies) पर चर्चा करते हुए कहा कि डिसेबल सम्बधी पाठ्यक्रम को स्कूल और युनिवर्सिटी में शामिल किया जाना चाहिये.

डा. जे एस अरोरा ने थेलासिमिया, हीमोफीलिया और सिकल सेल पर चर्चा करते हुए कहा कि कमज़ोर तबके के लोगों के लिये और ज़्यादा तकलीफ और ज्यादा होती है.

श्रेया श्रीवास्तव ने कहा कि कुष्ठ रोगियो को आज भी भेदभाव का शिकार होना पड्ता है. देश भर में 105 किस्म के भेदभावकारी एक्ट प्रचलित है.

इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन सिस्टर ट्रीसा पॉल के निर्देशन और डॉ डेन्ज़िल फर्नांडेस अधिशासी निदेशक भारतीय सामाजिक संस्थान, नई दिल्ली तथा फा. जॉय कार्यामपुरम के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया.

इस संगोष्ठी में यह आशा व्यक्त की कि RPWD एक्ट 2016 को बेह्तर तरीके से कार्यांवित किया जा सकेगा और समाज में संवेदनशीलता बढ़ेगी.