प्रधानजी जन्‍म से गंगा नहीं हैं। दिल्‍ली आकर हुए हैं। उसके पहले घांची थे- मिलावटी, संकर

अभिषेक श्रीवास्तव

'अशुद्ध' का भय और 'शुद्ध' का आग्रह; 'अपवित्र' से घृणा और 'पवित्र' होने का दंभ; 'गंदगी' पर नाक ढांपकर 'स्‍वच्‍छता' पर भाषण; ये सब हिटलरी विचारधारा के ही लक्षण हैं कानूनगो बाबू।

आप बिलकुल ठीक कह रहे हैं।

प्रधानजी पवित्र हैं। एकदम वर्जिन। विशुद्ध चौबीस कैरेट। सौ टंच। इसीलिए वे जातीय शुद्धता, धार्मिक शुद्धता, कलात्‍मक शुद्धता, राष्‍ट्रीय शुद्धता, यौन शुद्धता, नस्‍ली शुद्धता, सांस्‍कृतिक शुद्धता आदि की विचारधारा के अगुवा हैं। वे शुद्ध हैं, बाकी सब अशुद्ध या कम शुद्ध।

आपके लेखे समाज में शुद्धता के स्‍तर हैं। मसलन, सबसे ऊपर सबसे शुद्ध। सबसे नीचे सबसे अशुद्ध। बीच में संकर।

इसका मतलब कि जो सबसे शुद्ध है, वो तय करेगा कि अशुद्धों को शुद्ध बनाया जाए या उन्‍हें हटा दिया जाए। या तो सारे नाले-परनाले गंगा में मिल जाएं, या फिर वे सूख जाएं, मर जाएं। अपनी बला से।
दिक्‍कत बस एक है। प्रधानजी जन्‍म से गंगा नहीं हैं। दिल्‍ली आकर हुए हैं। उसके पहले घांची थे- मिलावटी, संकर। चितपावनों को यह बात कहीं चुभ ना जाए।

Web Title: Pradhanji is not Ganga by birth. He came to Delhi. Before that he was a Ganchi - adulterated, hybrid