मुझे मंज़ूर गर तर्क-ए-तअल्लुक है रज़ा तेरी/ मगर टूटेगा रिश्ता दर्द का आहिस्ता आहिस्ता
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मुझे मंज़ूर गर तर्क-ए-तअल्लुक है रज़ा तेरी/ मगर टूटेगा रिश्ता दर्द का आहिस्ता आहिस्ता

मुझे मंज़ूर गर तर्क-ए-तअल्लुक है रज़ा तेरी/ मगर टूटेगा रिश्ता दर्द का आहिस्ता आहिस्ता

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