अफ़्रीका में पहली बार जी-20—वैश्विक बदलाव का संदेश

  • गुटेरेस की चेतावनी—“अफ़्रीका अब भी उपेक्षित”
  • जलवायु अनुकूलन और टिकाऊ वित्तपोषण की चुनौती
  • स्वच्छ ऊर्जा क्रांति में अफ़्रीका की केंद्रीय भूमिका
  • वैश्विक संघर्षों पर विराम की अपील

नई दिल्ली, 22 नवंबर 2025. अफ़्रीकी महाद्वीप में इतिहास रचते हुए इस बार जी-20 सम्मेलन जोहनसबर्ग में आयोजित हो रहा है। यह आयोजन न केवल प्रतीकात्मक है, बल्कि वैश्विक संरचनाओं में समानता और सुधार की बढ़ती माँग को भी रेखांकित करता है। यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने स्पष्ट कहा है कि उपनिवेशवाद समाप्त हुए दशकों हो चुके हैं, फिर भी अफ़्रीका अब भी वैश्विक संस्थाओं में उपेक्षित और कम प्रतिनिधित्व वाला क्षेत्र बना हुआ है।

जोहान्सबर्ग में आयोजित जी-20 सम्मेलन का मुख्य फोकस (The main focus of the G20 summit held in Johannesburg) जलवायु अनुकूलन, टिकाऊ वित्तपोषण और “एकजुटता, समानता और स्थिरता” की थीम पर आधारित है। जबकि नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश (Investing in renewable energy) तेज़ी पकड़ रहा है, अफ़्रीका तक उसका नगण्य हिस्सा पहुँच रहा है—यही दर्द गुटेरेस की चेतावनी में साफ़ झलकता है।

उन्होंने बहुपक्षीय बैंकों की ऋण क्षमता बढ़ाने, विकासशील देशों के क़र्ज़ बोझ को कम करने और अफ़्रीकी देशों को वैश्विक नीति-निर्माण में वास्तविक आवाज़ देने की पुरज़ोर मांग उठाई।

दुनिया भर में जारी युद्धों का हवाला देते हुए उन्होंने G-20 देशों से शान्ति की दिशा में ठोस कदम उठाने की अपील भी की। यह शिखर सम्मेलन वैश्विक न्याय, जलवायु जिम्मेदारी और अफ़्रीका के अधिकारों को केंद्र में लाने की उम्मीद के साथ आगे बढ़ रहा है। पढिए संयुक्त राष्ट्र समाचार की यह खबर...

जी-20 : अफ़्रीका में पहली बार आयोजन, समानता और वैश्विक सुधारों की पुकार

21 नवंबर 2025 जलवायु और पर्यावरण

अफ़्रीकी महाद्वीप पर पहली बार जी-20 शिखर सम्मेलन आयोजित हो रहा है, जो वैश्विक व्यवस्था में बदलाव की ज़रूरत को दर्शाता है. यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इस सम्मेलन को सम्बोधित करते कहा है कि अफ़्रीका अब भी उपेक्षित है, और वैश्विक व्यवस्था में न्यायपूर्ण सुधार की घड़ी आ गई है.

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने शुक्रवार को, जोहनसबर्ग में पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “अब नेतृत्व और दूरदृष्टि की ज़रूरत का समय है.”

जी-20 समूह दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का मंच है, हालाँकि इस बार संयुक्त राज्य अमेरिका ने औपचारिक रूप से भाग नहीं लेने की घोषणा की है.

इस वर्ष की बैठक का मुख्य केन्द्र जलवायु अनुकूलन और टिकाऊ वित्तपोषण (sustainable financing) पर है. इस वर्ष की थीम “एकजुटता, समानता और स्थिरता” है.

इस शिखर सम्मेलन का आधिकारिक चिह्न (logo), दक्षिण अफ़्रीका के राष्ट्रीय ध्वज के रंगों से बने ‘किंग प्रोटिया’ पुष्प को चुना गया है. इसे आशा और पुनर्निर्माण का प्रतीक माना जाता है.

“अफ़्रीका अब भी उपेक्षित”

महासचिव ने कहा कि विकासशील देश, विशेष रूप से अफ़्रीका में, सिकुड़ते राजकोषीय संसाधनों, बढ़ते क़र्ज़ और एक ऐसी वैश्विक वित्तीय व्यवस्था से जूझ रहे हैं जो उनकी ज़रूरतों को पूरा करने में विफल रही है.

उन्होंने अफ़सोस जताया कि उपनिवेशवाद ख़त्म होने के दशकों बाद भी, महाद्वीप का आज भी वैश्विक संस्थाओं में “बेहद कम प्रतिनिधित्व” है.

उन्होंने कहा, “जी-20 इस ऐतिहासिक अन्याय को दूर कर सकता है और ऐसे सुधारों को आगे बढ़ा सकता है, जिनसे विकासशील देशों और ख़ासकर अफ़्रीका को, वैश्विक नीतियों के निर्माण में वास्तविक आवाज़ मिले.”

महासचिव गुटेरेस ने जी-20 देशों से आग्रह किया कि वे इस वर्ष जून में, सेविया में आयोजित हुए, विकास के लिए वित्त सम्मेलन में किए गए वादों पर अमल करें, जहाँ देशों ने टिकाऊ विकास को आगे बढ़ाने के लिए अधिक वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने का संकल्प लिया था.

उन्होंने कहा कि इसके लिए बहुपक्षीय विकास बैंकों की ऋण क्षमता को तीन गुना करना, विकासशील देशों के लिए उधार की लागत कम करना और उन्हें घरेलू संसाधन जुटाने में सक्षम बनाना आवश्यक है.

जलवायु संकट पर चेतावनी

यूएन प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि देश, तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने में असफल रहे हैं.

उन्होंने इस वर्ष अनुकूलन वित्त को, कम से कम 40 अरब डॉलर तक दोगुना करने की आवश्यकता दोहराई.

वैश्विक स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश, वैसे तो 2 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँच गया है और नई बिजली क्षमता का 90 प्रतिशत हिस्सा नवीकरणीय स्रोतों से आ रहा है, लेकिन इन निवेशों का बहुत ही छोटा हिस्सा अफ़्रीका तक पहुँचा है.

उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा, “अफ़्रीका को इस स्वच्छ ऊर्जा क्रान्ति के केन्द्र में रखा जाना चाहिए.”

शान्ति की अपील

एंटोनियो गुटेरेस ने, दुनिया भर के विनाशकारी युद्धों का ज़िक्र करते हुए, जी-20 देशों से आग्रह किया कि वे अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके, युद्धों को समाप्त करने की दिशा में काम करें.

उन्होंने कहा, “हेती से लेकर यमन, म्याँमार और उससे आगे तक, हमें हर जगह अन्तरराष्ट्रीय क़ानून पर आधारित शान्ति को चुनना होगा.”