जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल होना चाहिए: उमर अब्दुल्ला
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग दोहराते हुए विधायक मेराज मलिक की जन सुरक्षा अधिनियम (PSA) के तहत गिरफ्तारी को सत्ता का दुरुपयोग बताया है और कहा कि निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ ऐसा व्यवहार अनुचित है।
उमर अब्दुल्ला ने राज्य के दर्जे की बहाली पर दिया बयान
- जम्मू-कश्मीर विधानसभा में प्रस्ताव पारित होने का जिक्र
- केंद्र सरकार से किए गए वादे की याद दिलाई
- विधायक मेराज मलिक की गिरफ्तारी पर आपत्ति
उमर अब्दुल्ला ने लगाया कठोर कानून के दुरुपयोग का आरोप
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग दोहराते हुए विधायक मेराज मलिक की जन सुरक्षा अधिनियम (PSA) के तहत गिरफ्तारी को सत्ता का दुरुपयोग बताया है और कहा कि निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ ऐसा व्यवहार अनुचित है।
नई दिल्ली, 14 सितंबर 2025. जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने राज्य के विशेष दर्जे की बहाली का मुद्दा एक बार फिर उठाया है। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने संसद और सुप्रीम कोर्ट में वादा किया था कि जम्मू-कश्मीर को फिर से पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाएगा। साथ ही उन्होंने विधायक मेराज मलिक की PSA के तहत गिरफ्तारी को कठोर और असंवैधानिक करार दिया। उमर ने साफ कहा कि यह सत्ता का दुरुपयोग है और शिकायतों का निपटारा लोकतांत्रिक तरीकों से होना चाहिए।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि इस सरकार के चुनाव के दिन से ही हमने इस बात पर दृढ़ता से खड़ा रहा है कि राज्य का दर्जा बहाल किया जाना चाहिए और हमने ही विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित कर जम्मू और कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को बहाल करने का आग्रह किया था। हम आखिरी लोग हैं जो जनता द्वारा दिए गए जनादेश से समझौता करेंगे। कानून और व्यवस्था, पुलिसिंग ये निर्वाचित सरकारों की जिम्मेदारियों का हिस्सा नहीं हैं। और मुझे लगता है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि जम्मू और कश्मीर को प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और भारत सरकार के प्रतिनिधियों द्वारा पूर्ण राज्य का दर्जा देने का वादा किया गया था, जब यह मामला उच्चतम न्यायालय के समक्ष तर्क दिया जा रहा था। इसलिए कोई कारण नहीं है कि यह वादा क्यों नहीं निभाया जाना चाहिए। यह कुछ ऐसा है जो पहले ही हो जाना चाहिए था। मुझे समझ नहीं आता कि ऐसा क्यों नहीं हुआ है, लेकिन हम लगातार दबाव बना रहे हैं। हम मानते हैं कि यह वादा निभाया जाना चाहिए और निर्वाचित सरकार को सशक्त बनाया जाना चाहिए जिस तरह से लोग चाहते थे। इससे जुड़ा हुआ है एक सम्मानित विधायक को गिरफ्तार करने का निर्णय।
विधायक के आचरण के बारे में जो भी शिकायत हो सकती है। जिस कानून का इस्तेमाल आपने उसे हिरासत में लेने के लिए किया है, वह बिल्कुल वैसा ही है जैसा मैंने कहा, उस कानून का दुरुपयोग और एक निर्वाचित प्रतिनिधि के खिलाफ बल का अत्यधिक प्रयोग। उसे इस कानून के तहत कभी गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए था और जितनी जल्दी हो सके उसे रिहा कर दिया जाना चाहिए। अगर आपको उसके आचरण के बारे में कोई शिकायत है, तो उसे विधानसभा अध्यक्ष के पास ले जाएं। इसे करने के और भी तरीके हैं, लेकिन उसे कठोर लोक सुरक्षा अधिनियम पीएसए के तहत हिरासत में रखना, जहाँ वह कम से कम छह महीने तक जमानत के लिए पात्र नहीं है, निश्चित रूप से अत्यधिक है।
इससे पहले उमर अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा था-
"मेहराज मलिक को पीएसए के तहत हिरासत में रखने का कोई औचित्य नहीं है। वह "जन सुरक्षा" के लिए कोई खतरा नहीं हैं और उन्हें हिरासत में रखने के लिए इस बदनाम कानून का इस्तेमाल करना गलत है। अगर एक निर्वाचित सरकार एक निर्वाचित प्रतिनिधि के खिलाफ अपनी शक्तियों का इस तरह इस्तेमाल कर सकती है, तो कोई कैसे उम्मीद कर सकता है कि जम्मू-कश्मीर के लोग लोकतंत्र में विश्वास बनाए रखेंगे।"
जैसा कि आप जानते हैं कि जम्मू कश्मार के आप विधायक मेराज मलिक को जन सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ़्तार किया गया था। इसे सत्ता का दुरुपयोग माना जा रहा है क्योंकि यह एक कठोर क़ानून है, यानी गिरफ़्तारी बहुत ज़्यादा है, और विधायक कम से कम छह महीने तक ज़मानत के हक़दार नहीं हैं। उमर अब्दुल्ला ने विधायक के आचरण से जुड़ी शिकायतों के समाधान के लिए दूसरे तरीक़े सुझाए हैं, जैसे कि शिकायत विधानसभा अध्यक्ष के पास ले जाना।
इससे पहले आप सांसद संजय सिंह ने कहा था कि मोदी और अमित शाह के प्रशासन ने Mehraj Malik के ख़िलाफ़ मनोहर कहानियाँ लिखीं हैं। मेहराज मलिक पर 18 FIR का ज़िक्र है, जो 11 साल में जनता के मुद्दों को उठाने पर हैं। इसमें से 7-8 मामले तो ऐसे हैं जिसमें Police ने मामले दर्ज़ किए लेकिन कार्रवाई नहीं की, और अब ये PSA लगा रहे हैं। मैंने इस मामले की जानकारी अरविंद केजरीवाल जी को दी तो केजरीवाल जी ने कहा कि मेहराज मलिक के हक की लड़ाई सड़क, संसद और सुप्रीम कोर्ट तक लड़नी है।


