अभिषेक श्रीवास्तव

नई दिल्ली। क्या अब सुब्रमण्यम स्वामी नहीं बल्कि प्रोफेसर चंद्रकला पड़िया जेएनयू की कुलपति बनेंगी ?

बनारस से जब कोई ख़बर आती है तो समझ में नहीं आता कि उसे सच मानें या अफ़वाह। दिक्‍कत ये है कि जब से बनारस में प्रधानजी का खूंटा गड़ा है, हर ख़बर में सच की बू आने लगी है। सो साझा नहीं करने का लोभ संवरण भी नहीं हो पाता।

ताज़ा ख़बर ये है कि काशी हिंदू विश्‍वविद्यालय के राजनीतिशास्‍त्र विभाग में बरसों तक शिक्षक रहीं प्रोफेसर चंद्रकला पड़िया जेएनयू की कुलपति बनने जा रही हैं। इस ख़बर का वैसे कोई ठोस आधार नहीं है, सिवाय इसके कि आज के इंडियन एक्‍सप्रेस के मुताबिक 30 दिसंबर को होने वाले कुलपति पद के 15 उम्‍मीदवारों के साक्षात्‍कार में पड़िया का नाम भी है।

इसके अलावा बनारस वाले एक और ठोस आधार यह गिनवा रहे हैं कि वाइस चांसलर की तलाश के लिए बनी सर्च कम सेलेक्‍शन कमेटी के अध्‍यक्ष धीरेंद्र पाल सिंह हैं जो बीएचयू के कुलपति भी रह चुके हैं।

वैसे, बीएचयू से ताल्‍लुक रखने वाले लोग अच्‍छे से जानते हैं कि एनडीए के पहले कार्यकाल में शिक्षा मंत्री रहे मुरली मनोहर जोशी के कृपापात्रों में प्रो. दुर्ग सिंह चौहान और चंद्रकला पड़िया भी थे।

यह देखना दिलचस्‍प होगा कि पुराने रिश्‍ते आज के दौर में कैसा गुल खिलाते हैं। इतना तो तय लग रहा है कि यह गुल जेएनयू वाला लाल नहीं, केसरिया होगा।

वैसे, एक बात और है जिसकी ओर कुछ लोग इशारा कर रहे हैं। बीएचयू के राजनीतिशास्‍त्र विभाग के डीन के.के. मिश्रा प्रधान सेवक के चुनाव प्रचार के मुख्‍य प्रभारियों में रहने के बावजूद अब तक किसी प्रत्‍यक्ष लाभ से वंचित रहे हैं। पड़िया के जेएनयू का वीसी बनने से प्रत्‍यक्ष नहीं तो अप्रत्‍यक्ष ही सही, कुछ तो नाम होगा।

अगली खबर के लिए 30 तारीख का इंतज़ार करें, जब तीन-चार आखिरी नाम ईरानी मैडम के पास भेजे जाएंगे। हमें पूरा भरोसा है कि मैडम स्‍त्रीवादी हैं और स्त्रियों के हक़ में पड़िया मैडम के नाम पर अंतिम मुहर लगा देंगी।

Web Title: So, not Subramanian Swamy but Professor Chandrakala Padia will become the Vice Chancellor of JNU?