BRICS सम्मेलन 2025: गुटेरेस का संदेश- "AI को विनाश से बचाकर विकास का ज़रिया बनाएं"
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने BRICS सम्मेलन में AI, शान्ति और वैश्विक आर्थिक सुधारों पर निर्णायक कार्रवाई का आह्वान किया; बहुपक्षीय संस्थानों में बदलाव की ज़रूरत बताई।

BRICS सम्मेलन 2025: वैश्विक बदलाव की पुकार
- एंटोनियो गुटेरेस ने क्यों कहा – “AI को शान्ति का औज़ार बनाएं”?
- क्या है “भविष्य के लिए समझौता” और इसका वैश्विक असर
- वैश्विक संस्थाओं में सुधार की ज़रूरत क्यों?
- युद्ध, संघर्ष और शान्ति: संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर ज़ोर
- विकासशील देशों के लिए AI शासन में भागीदारी की मांग
बहुपक्षवाद संकट में, सहयोग ही समाधान: महासचिव
BRICS देशों की भूमिका: वैश्विक नेतृत्व के लिए तैयार?
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने BRICS सम्मेलन में AI, शान्ति और वैश्विक आर्थिक सुधारों पर निर्णायक कार्रवाई का आह्वान किया; बहुपक्षीय संस्थानों में बदलाव की ज़रूरत बताई। पढ़ें संयुक्त राष्ट्र समाचार की खबर
‘BRICS’ सम्मेलन: ‘एआई, शान्ति और सहयोग के लिए निर्णायक कार्रवाई का समय’
7 जुलाई 2025 शान्ति और सुरक्षा
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), आर्थिक सुधारों और शान्ति स्थापना पर वैश्विक कार्रवाई का आहवान किया है. उन्होंने ब्राज़ील के रियो डी जनेरियो शहर में आयोजित 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में, विश्व नेताओं से, इस निर्णायक क्षण का लाभ उठाकर 21वीं सदी के लिए बहुपक्षीय संस्थाओं को पुनर्गठित करने का आग्रह भी किया.
विश्व की पाँच बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के ‘ब्रिक्स’ (BRICS) समूह में ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ़्रीका हैं, जिन्होंने इसे 2010 में स्थापित किया था.
लगभग 40 फ़ीसदी वैश्विक आबादी इस समूह में शामिल देशों में बसती है और ये सभी देश, वृहद जी20 समूह का भी हिस्सा हैं.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने, इस सम्मेलन के दौरान, ‘बहुपक्षवाद, आर्थिक-वित्तीय मामलों और कृत्रिम बुद्धिमत्ता को सुदृढ़ बनाना’ विषय पर आयोजित एक सत्र में चेतावनी दी कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) हमारे समाजों एवं अर्थव्यवस्थाओं को तेज़ी से बदल रही है.
यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने कहा, “अब असली कसौटी यह है कि हम इसके जोखिमों को न्यूनतम रखते हुए, इसका अधिकतम लाभ किस तरह उठा सकते हैं.”
उन्होंने विशेष रूप से सैन्य उद्देश्यों के लिए AI के इस्तेमाल पर गहरी चिन्ता जताई, “शान्ति की आवश्यकता आज पहले से कहीं अधिक है. ऐसे में हम AI को विनाश का औज़ार नहीं बनने दे सकते.”
उन्होंने वैश्विक AI शासन में विकासशील देशों की सक्रिय भागेदारी की वकालत करते हुए कहा, “AI केवल कुछ देशों का क्लब नहीं बन सकता. इसे सबके लिए काम करना होगा - विशेषकर उन देशों के लिए जिनकी आवाज़ अक्सर अनसुनी रह जाती है.”
उन्होंने सदस्य देशों से "भविष्य के लिए समझौते" (Pact for the Future) का समर्थन करने की अपील की - जिसमें एक स्वतंत्र वैज्ञानिक पैनल, वैश्विक संवाद और AI के लिए नवाचार-आधारित वित्तीय तंत्र की स्थापना का प्रस्ताव है.
महासचिव ने जल्द ही एक रिपोर्ट प्रकाशित करने की घोषणा की, जिसमें विकासशील देशों में AI क्षमताओं के निर्माण के लिए एक नवाचार-आधारित, स्वैच्छिक वित्तपोषण तंत्र का प्रस्ताव शामिल होगा.
उन्होंने BRICS देशों से इस पहल को सक्रिय रूप से समर्थन देने का आग्रह किया.
‘शान्ति की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक’
महासचिव ने, विश्वभर में बढ़ते संघर्षों की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए, विभिन्न क्षेत्रों में शान्ति स्थापना के प्रयासों के प्रति, संयुक्त राष्ट्र की अटूट प्रतिबद्धता दोहराई.
उन्होंने मध्य पूर्व की स्थिति के सन्दर्भ में ग़ाज़ा में “तत्काल और स्थाई युद्धविराम”, बन्धकों की बिना शर्त रिहाई, मानवीय सहायता की अबाध आपूर्ति, और पश्चिमी तट पर जारी जबरन क़ब्ज़े व हिंसा की समाप्ति की पुरज़ोर मांग की.
यूक्रेन को लेकर उन्होंने न्यायसंगत और स्थाई शान्ति की आवश्यकता पर बल दिया, जबकि सूडान, काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC), सोमालिया, म्याँमार, और साहेल क्षेत्र में हथियारबंद संघर्षों को समाप्त करने का आहवान किया.
महासचिव ने कहा, “आज, शान्ति की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है.”
संस्थागत सुधारों का आहवान
महासचिव ने स्पष्ट किया कि वर्तमान अन्तरराष्ट्रीय व्यवस्था अब 21वीं सदी की आवश्यकताओं और ज़मीनी सच्चाइयों के अनुरूप नहीं है.
उन्होंने कहा, “हम एक बहुध्रुवीय युग में प्रवेश कर चुके हैं - जहाँ शक्ति-सन्तुलन तेज़ी से बदल रहा है.” ऐसे परिदृश्य में, केवल वही वैश्विक संस्थाएँ प्रासंगिक होंगी जो इस युग की वास्तविकताओं को प्रतिबम्बित करती हों.”
यूएन प्रमुख ने, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय ढाँचे की आलोचना करते हुए कहा कि "इन संस्थाओं की रूपरेखा उस युग में बनी थी, जो अब बीत चुका है - एक ऐसा दौर, जिसकी शक्ति संरचनाएँ वर्तमान वैश्विक वास्तविकताओं से मेल नहीं खातीं."
उन्होंने, सेविया में हाल ही में आयोजित ‘विकास के लिए वित्तपोषण सम्मेलन’ का हवाला देते हुए, तीन प्रमुख सुधारों की पेशकश की:
- वैश्विक आर्थिक शासन में विकासशील देशों की पूर्ण और सशक्त भागेदारी
- ऋण पुनर्गठन के लिए एक निष्पक्ष, पारदर्शी और प्रभावी वैश्विक तंत्र
- बहुपक्षीय विकास बैंकों की ऋण-वितरण क्षमता को तीन गुना बढ़ाना - विशेषकर रियायती वित्त और स्थानीय मुद्राओं में.
महासचिव ने कहा, “ये सुधार, डिजिटल खाई को पाटने व एआई को समावेशी विकास व सतत प्रगति का इंजन बनाने के लिए बेहद आवश्यक हैं.”
एकता का सन्देश
महासचिव ने, सम्बोधन के अन्त में दुनिया को एकजुटता की याद दिलाते हुए कहा, “आज जब बहुपक्षवाद संकट में है, हमें यह याद दिलाने की ज़रूरत है कि सहयोग ही मानवता का सबसे बड़ा नवाचार है. लेकिन सहयोग का आधार है विश्वास, और विश्वास तभी बनता है जब सभी देश अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का सम्मान करें.”
उन्होंने कहा, “आइए इस ऐतिहासिक क्षण को पहचानें और ऐसे संस्थागत बदलाव करें, जिससे बहुपक्षीय संस्थाएँ हर व्यक्ति, हर स्थान के लिए प्रभावी ढंग से काम कर सकें.”



