तेजस पूनियां हिन्दी सिनेमा‑लेखन और फिल्म‑आलोचना में परंपरागत पत्रकारिता के मानदंडों का उदाहरण हैं – फैक्टप्रूफ, समालोचनात्मक दृष्टिकोण, साहित्यिक रचनात्मकता, और शोध‑आधारित विश्लेषण से √मिश्रित लेखन। उनकी कलम में लोक‑मनोरंजन और सामाजिक बोध का सुन्दर संतुलन दिखता है।