संस्कारों का यही अंतर है केजरीवाल और योगेंद्र यादव में

अभिषेक श्रीवास्तव

आज दिन में स्वराज पार्टी की नेशनल कौंसिल की मीटिंग होना तय थी। श्री अनुपम मिश्र के निधन के कारण आखिरी वक़्त पर मीटिंग टाल दी गई और अनुपम जी की अंत्येष्टि में योगेंद्र यादव, प्रो. आनंद कुमार आदि तमाम लोग मौजूद रहे।

कहते हैं कि संगठन व्यक्ति से बड़ा होता है।

एक व्यक्ति, जो संगठन से जुड़ा हुआ भी नहीं था, उसके निधन पर व्यक्ति का अचानक संगठन से अहम और बड़ा हो जाना दरअसल ऐसा ही होना चाहिए।

योगेंद्र यादव की पार्टी राजनीतिक रूप से चाहे जैसी हो, उसकी चाहे जैसी आलोचनाएं बनती हों, लेकिन उसमें बुनियादी संस्कार है। उसे आदमी और उसके काम की अहमियत का पता है।

समझ में आता है कि आम आदमी पार्टी को इन्हें पचाने में क्यों और कैसी दिक्कत आयी होगी।

अच्छा ही है कि ये लोग उनके साथ अब नहीं हैं। उच्श्रृंखलों से दूर रह कर गरिमा तो बची रहेगी, पार्टी का क्या है वो तो बनती-बिगड़ती रहती है।

Web Title: This is the difference in values ​​between Kejriwal and Yogendra Yadav