क्रिकेट जबरन फंसाये हुए था? राष्ट्रवादी भी नहीं है? ये तो धोखा है
क्रिकेट जबरन फंसाये हुए था? राष्ट्रवादी भी नहीं है? ये तो धोखा है

अभिषेक श्रीवास्तव (Abhishek Shrivastava), जनपक्षधर, यायावरी प्रवृत्ति के वरिष्ठ पत्रकार हैं। उनकी शिक्षा दीक्षा आईआईएमसी में हुई है
अभिषेक श्रीवास्तव
पंड़िया ने तिहरा छक्का मारा तो हम सोचे कि पान जमा लिया जाए। गली में घुप्प सन्नाटा था। सड़क पर जैन साहब तनाव में धुआं उड़ा रहे थे। पान के ठीहे पर पहुंचते ही चचा ने सूचना दी- आगे वाली गली में मुसलमान पटाखा छोड़ रहे हैं पाकिस्तान की खुशी में। जैन साहब ने पुष्टि करते हुए कहा- बेच दिया सालों ने देश को! तब तक सड़क पार से ठाकुर साहब हिलते हुए मुस्कुराए और करीब आए- क्या सर?
मैंने सांत्वना दी- तीस ओवर तक 200 पार हो गया तो मैच फंस जाएगा, बशर्ते विकेट बचा रहे। वे बोले- "किरकेट को बंद कर देना चाहिए इस देस से। देखिये, चैना ई सब झमेला में नहीं पड़ता तो केतना बिकास कर रहा है। मोदी जी को बिकास करना है तो ई खेला पर बैंड लगा देना चाहिए।"
जैन साहब ने पूरी गंभीरता से हस्तक्षेप किया- बॉस, सट्टा किस पर लगा है? मैंने कहा मुझे नहीं पता। वे पलट कर फ़ोन में लग गए।
तब तक तेज़ी से एक कुत्ता आकर ठाकुर साहब का रास्ता काट गया। बेचारगी में मुस्कुराते हुए बोले- आज त कुत्ता सब भी भौंकेगा हमरा ऊपर। कोहलिया ने नष्ट कर दिया बॉस! मैं पान लेकर घर पहुंचा तो नौ विकेट गिर चुके थे। दसवां विकेट गिरते ही Gokul भाई ने खबर दी कि भारत हॉकी में जीत गया है। हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल है, बहुत दिन बाद उन्होंने याद दिलाया। यानी क्रिकेट जबरन फंसाये हुए था? राष्ट्रवादी भी नहीं है? ये तो धोखा है। सब बोलिए- हॉकी ज़िंदाबाद! राष्ट्रवाद ज़िंदाबाद!
Web Title: Was cricket forcibly implicated? Is he not even a nationalist? This is a lie


