शर्म की बात नहींमासिक धर्म, एक प्राकृतिक प्रक्रिया है – जानिए 'विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस' क्यों जरूरी है
विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस (World Menstrual Hygiene Day in Hindi ) पर विशेष रिपोर्ट मासिक धर्म पर बात करना जरूरी क्यों है? विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस (28 मई) पर जानिए मासिक धर्म स्वच्छता से जुड़ी भ्रांतियाँ, भारत की स्थिति, सरकारी योजनाएं और समाज में बदलाव की जरूरत। पढ़ें पूरी रिपोर्ट। विश्व मासिक धर्म...

world menstrual hygiene day in hindi 2025
विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस (World Menstrual Hygiene Day in Hindi ) पर विशेष रिपोर्ट
- विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस क्या है?
- 28 मई को ही क्यों मनाया जाता है Menstrual Hygiene Day?
- 2025 की थीम: "मासिक धर्म के अनुकूल विश्व"
- भारत में मासिक धर्म स्वच्छता की वर्तमान स्थिति
- सरकारी योजनाएं और सामाजिक प्रयास
- समाज में बदलाव की आवश्यकता और जागरूकता का महत्व
मासिक धर्म पर बात करना जरूरी क्यों है?
विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस (28 मई) पर जानिए मासिक धर्म स्वच्छता से जुड़ी भ्रांतियाँ, भारत की स्थिति, सरकारी योजनाएं और समाज में बदलाव की जरूरत। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।
विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस का परिचय, उद्देश्य, थीम व महत्व
प्रत्येक वर्ष 28 मई को विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस (World Menstrual Hygiene Day) मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य है – मासिक धर्म से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना, स्वास्थ्य और स्वच्छता के महत्व को समझाना तथा इस विषय पर समाज में खुलकर बातचीत को प्रोत्साहित करना।
World Menstrual Hygiene Day पहली बार कब मनाया गया
इस दिन को पहली बार 2014 में मनाया गया था। इसकी शुरुआत जर्मनी की एक गैर-सरकारी संस्था 'WASH United' ने की थी। 28 मई का चुनाव प्रतीकात्मक रूप से किया गया – महिलाओं का मासिक चक्र औसतन 28 दिन का होता है और मासिक धर्म लगभग 5 दिन चलता है, इसलिए 28/5 की तारीख को चुना गया।
विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस 2025 की थीम (World Menstrual Hygiene Day 2025 Theme)
इस वर्ष की थीम है: "Period Friendly World" (मासिक धर्म के अनुकूल विश्व)
इसका उद्देश्य है एक ऐसा वातावरण बनाना जहां महिलाएं और किशोरियाँ बिना शर्म, संकोच और भेदभाव के अपने मासिक धर्म को झेल सकें।
भारत में मासिक धर्म स्वच्छता की स्थिति
भारत जैसे विकासशील देश में मासिक धर्म अब भी एक वर्जित विषय माना जाता है। एक सर्वे के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 36% महिलाएं ही स्वच्छ सैनिटरी नैपकिन का उपयोग करती हैं। शेष महिलाएं अब भी कपड़ा, राख, रेत आदि जैसे अस्वच्छ साधनों का उपयोग करती हैं, जिससे संक्रमण और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ती हैं।
कुछ प्रमुख समस्याएं:
- जागरूकता की कमी
- आर्थिक संसाधनों की उपलब्धता नहीं
- स्कूलों में शौचालय की अनुपस्थिति
- सामाजिक व धार्मिक वर्जनाएं
- सरकारी और सामाजिक पहलें
सरकार और कई गैर-सरकारी संगठनों ने इस दिशा में प्रयास किए हैं। ‘सुखद जीवन’ योजना, ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के अंतर्गत स्कूलों में सैनिटरी नैपकिन वितरण, तथा पंचायत स्तर पर जागरूकता शिविर लगाए जा रहे हैं।
कुछ प्रमुख पहलों में शामिल हैं:
- जन औषधि केंद्रों पर कम दाम में सैनिटरी नैपकिन की उपलब्धता
- Menstrual Hygiene Scheme के तहत किशोरियों के लिए मुफ्त पैड वितरण
- NGO की पहलें – जैसे "Goonj", "Menstrupedia", और "WaterAid India" ने ग्रामीण भारत में बड़ा बदलाव लाया है।
समाज में बदलाव की आवश्यकता
मासिक धर्म कोई बीमारी नहीं है, न ही यह कोई अपवित्र क्रिया है। यह स्त्री शरीर की एक जैविक प्रक्रिया है, जिससे संतानोत्पत्ति संभव होती है। लेकिन आज भी बेटियों को इस विषय पर खुलकर बात करने की अनुमति नहीं मिलती, जिससे वे कई बार मानसिक दबाव में रहती हैं।
समाज, स्कूल, परिवार और मीडिया की भूमिका बेहद अहम है।
माता-पिता, विशेषकर मां को चाहिए कि वे बेटियों से इस विषय पर शुरू से ही खुलकर बात करें।
कांग्रेस ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर कहा
"मासिक धर्म स्वच्छता दिवस पर, हम शहरों से लेकर गांवों तक हर महिला के स्वच्छता, जागरूकता और सम्मान के अधिकार की पुष्टि करते हैं।
महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए यूपीए की योजनाओं ने एक मजबूत नींव रखी। अब, आइए हम सभी महिलाओं के लिए सम्मान, बेहतर स्वास्थ्य सेवा और सशक्तिकरण सुनिश्चित करने के लिए इस पर काम करें।"
निष्कर्ष
विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस हम सबको याद दिलाता है कि इस विषय पर चुप्पी समाधान का रास्ता नहीं है। जब तक हम मासिक धर्म को सामाजिक बातचीत का हिस्सा नहीं बनाएंगे, तब तक आधी आबादी के लिए समानता और गरिमा की बात अधूरी रहेगी।
आइए, इस 28 मई को संकल्प लें कि –
“न मासिक धर्म पर शर्म, न हिचक – यह है स्वास्थ्य और सशक्तिकरण का प्रतीक।”