अडानी अंबानी जितना भरे टैक्स उतना ही भरें प्रजा/अंधेर नगरी चौपट राजा, टका सेर भाजी टका सेर खाजा
अडानी अंबानी जितना भरे टैक्स उतना ही भरें प्रजा/अंधेर नगरी चौपट राजा, टका सेर भाजी टका सेर खाजा
गांधी के हत्यारे का तो मंदिर बन गया। अंबेडकर के हत्यारे कितने हैं, संविधान के हत्यारे कितने हैं, गिना नहीं किसी ने, अनगिनत ही होवै शायद।
अडानी अंबानी जितना भरे टैक्स उतना ही भरें प्रजा/अंधेर नगरी चौपट राजा, टका सेर भाजी टका सेर खाजा
वर्धा महात्मा गांधी हिंदी विश्वविद्यालय के छात्र, हमारे युवा मित्र मजदूर संजीव झा ने आज सुबह , सुबह हमें बाबा नागार्जुन की ये पंक्तियां टैग की हैंः
बेचेंगे हम सेवाग्राम
सस्ता है गांधी का नाम
रघुपति राघव राजा राम
लोगे मोल लोगे मोल??......
हरहाल टैक्स छूट कारपोरेट और विदेशी पूंजी के लिए अनंत हरिकथा है और राजराज के तहत हमारे लिए घासफूस गाजरमूली भी है कि मसलन अगले हफ्ते पेश होने वाले बजट में सरकार टैक्स बचाने के कुछ और तरीके टैक्सपेयर्स के हाथों में दे सकती है। सूत्रों के मुताबिक सरकार सेक्शन 80सी के अलावा एक अलग सेक्शन का प्रावधान कर सकती है। साथ में टैक्स स्लैब में भी फेरबल की संभावना है।
अडानी अंबानी जितना भरे टैक्स उतना ही भरें प्रजा
अंधेर नगरी चौपट राजा, टका सेर भाजी टका सेर खाजा
मुश्किल यह है कि गुरुजी की नसीहत मानकर इस मृत्यु उपत्यका से नसीहत पाने की कोई सूरत नहीं है और अंधेर नगरी में फांसी का फंदा तैयार है, माफिक गला चाहिए और इस देश के नागरिकों का गला सुर बेसुर अब एको साइज का है।
सूट जो करोड़ टकिया नीलाम मा खरीद लिज्यो तो शायद बचने की कोई राह निकल जाई।
बजट समय है तो रघुकूल रीति मुताबिक आईपीएल चालू आहे।
संडे को अंडे खाना सेहत के मुताबिक है या नहीं, आयुर्वेद मुताबिक सोच समझ लें, लेकिन किरकेट सर्कस आस्ट्रेलियाई भारतीय पिच पर चालू आहे।
चालू आहे क्रिकेट सीजन बजट वसंतबहार साथे।
बाकी वाम दक्षिण गांधीवादी समाजवादी अंबेडकरी सबै टका सेर भाजी टका सेर खाजा।
आंदोलन जुलूस धरना निषेध राष्ट्रव्यापी हड़ताल दिवाली होली ईद क्रिसमस सबै चालू आहे और मुक्तो बाजारों चाली आहे।
देस बेचो चालू आहे।
संसद लोकतंत्र चालू आहे।
कि अबाध विदेश पूंजी का जो वेग आवेग है, वहींत विकास दर असल जो बुलरन मा तुरत फुरत जलेबी बाई बनी आइटम डांस करिहैं मलंग मलंग।
मेंहदी लगाकर दुल्हन बइठलन वानी, साजन बइठल वाशिंगटन।
उहां से किया टेलीफून कि रिटेल खोल दो।
खुल गया सिम सिम।
अलीबाबा चालीस चोर डोली उठावै खातिर तैयार बा।
हुक्म उदुली की कोई सूरत नइखे, खुदरा कारोबारियों के गले की नाप मुताबिक फंदा तैयार हो गइलन।
रेलवे के निजीकरण वास्ते विशेषज्ञ सालह घनघोर है कि इस बार रेल बजट से कई उम्मीदें हैं। ज्यादा से ज्यादा रूट का मॉडर्नाइजेशन और इलेक्ट्रीफिकेशन होना चाहिए और नई ट्रेन शुरू करने की बजाए टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन पर जोर दिया जाना चाहिए।
देश मा कानून का राज होई तब ना कानून संविधान पादै हो।
हम तुम ससुरा कौन खेत की मूली के पेंटिंग करके पार्टी जो परिवर्तन खातिरै बनाइलन दिदिया हमार, उ अब कटघरा मा वानी जइसल जेल जाई रहे अपना ललुआ वइसन जेल तैयार बा दिदिया खातिर।
पण जो मोदी बाबा ह, कानून तोड़ताड़ पूरा देश गुजरात बनाइल, धकाधक फैशन उलट पुलट कर दिहिस।
हर घड़ी नई उड़ान, थ्री डी भाखण, इस पर तुर्रा हर घड़ी फिलिम की हिरोइल सगरी मरमर जाई कि इतना ड्रेस चेंज करै बारंबार एकदम सीन मुताबिक, लोकेशन मुताबिक।
कौन सिलता है उनका सूट।
कौन खर्च करता है उनकी उड़ान पर।
कौन पे करता है उनका मीडिया ब्लिट्ज।
कैसे पूंजी पर सवार है उनकी केसरिया सुनामी।
उसकी मगर कोई सीबीआई जांच न होई।
तू किस खेत की मूली बै, चैतू।
रिलायंस, एस्सार वगैरह तेल मंत्रालय की जासूसी काहे खातिर करें कुछ समझ में ना आवै, तेल मंत्रालय तो दशकों से रिलायंस हवाले हैं। कमसकम रिलायंस को जासूसी की जरूरत न हवैके चाहि...
कि गले का फंदा कितना जोर से कसा जा रहा है, अहसासो ही नहीं होगा।
गांधी हत्यारे की तो मंदिर बन गया। अंबेडकर के हत्यारे कितने हैं, संविधान के हत्यारे कितने हैं, गिना नहीं किसी ने अनगिनत ही होवै शायद।
पांचवां शिड्युल, छठां शिड्युल और पेसा के बावजूद आदिवासी कयामत जी रहे हैं। पर्यावरण हरी झंडी हो गयी बेदखली खातिर अटूट सलवा जुड़ुम खातिर।
रक्षा गठबंधन अब परमाणु है। रक्षा सौदे पर कमीशन सफेद धन है।
स्विसो बैंक के एकाउंट से कारपोरेट फंडिगं पर्दाफाश। राजनीति में नब्वे फीसद काला धन, सन्नाटा पसरा देश मा।
किसका का उखाड़ लिया जनता जनार्दन ने।
नाम वास्ते कानून बदल रिया है।
अपने आनंद तेलतुंबड़े कहते हैं कि राज्यतंत्र जो अखंड सैन्य तंत्र है, उसके मध्य बाबा साहेब किनारे हैं और संविधान का कोमा सेमीक्लोन फुलस्टाप भी बदले बिना जनसंहारी नीतियों को अमल में लाकर मनुस्मृति शासन चालू आहे।
लोकतंत्र का फरेब और जनादेश का तिलिस्म बुझावै खातिर संसद है, सरकार है।
बाकी जौन राज्यतंत्र सो हिंदुत्व कारपोरेट राजतंत्र है, जो है वो है वह जेतना केसरिया उतना ही कारपोरेट।
जितना इंडियन उससे कहीं ज्यादा अमेरिकी।
जौन केसरिया झंडा है, उसमें चेहरा अंकल सैम है।
अबहुं जो बजट आयी रही उ समता समरसता और सामाजिक न्याय के साथोसाथ हिंदुत्व की, धर्म अधर्म और आस्था की पराकाष्ठा होई कि बै चैतू तू जो है वहींच है अंबानी अडानी डाउ कैनमिकल्स मनसैंटो तमाम आयुध बेचो कंपनी सगरी आउर जो अलीबाबा और चालीस चोर देश को लूटै, सब बराबर। जइसन सब्सिडी बिन सब्सिडी गैस एकच।
जइसन दुनिया मे तेल घटल बढ़ल, तेल पेट्रोल एकच भाव है बाकी मामूली घटत बढ़त है। जइसन हम रुपै में कारोबार करै तो का देश अंबानी के डालर में भुगतान करै और उसी डालरे भाव शून्य मंहगाई दर पर अनाज सब्जी दवा फल तेल दूध चिकित्सा शिक्षा परिवहन, घरभाड़ा बिजली बिल वगैर वगैरह सेनसेक्स हो जाये।
उछाला ही उछाला।
विकास दर यहींच।
विकास गाथा यहींच कि तेरा जो विकास वहींच विकास अडानी का अंबानी का डाउ कैमिकल्स और अलीबाबा का विकास वहींच।
मतबल यह हुआ कि बजट मा टैक्स में समाजवाद आई।
समाजवाद एइसन कि जइसन अंधेर नगरी चौपट राजा, टका सेर भाजी टका सेर खाजा
जो भिखारी बाड़न, वो भी जो टैक्स भरै, वहींच टैक्स अडानी अंबनी खातिरे तय हुई रहा।
मतबल कि अंबानी अडानी का विकास होय तो आटोमैटिक देश हीरक राजा का देश भयो कि आटोमैटिको सगरे बायोमैट्रिक आधार निराधार नागरिक नागरिका तमामो विकसित कमल कमल।
चुंई-चुंई के निकले गंगा की धार दही दूध मलाई चापै हो।
अपना हाड़ मांस कबाबै कबाब हो।
फिन बइठकै विश्वकप जिताय खातिर बैरीटोन साथै उचित संगत दियल चाहि ताली पिटब के नईकी टीवी नईकी व बीवी की लिव इन साथे मस्त कलंदर जिंदड़ी हो।
उसदिन अपने डाक्टर शांतनु घोष कह रहे थे कि मधुमेह वरदान है। वरना कोई बिस्तर में गिरे बिना कभी डाक्टर के दरवज्जे धरना ना देवै।
मर खपकर साल दो साल में मधुमेह मरीज को चेकअप कराना होता है।
चेकअप ना करावै, तो भी पहिला दफा मर्ज मालूम पड़ने पर जो दवा मिलती है, उसमें दिल से लेकर दांत तक का इलाज का बंदोबस्त रहता है।
डाक्टर दिखाओ चाहे न दिखाओ, जो स्वस्थ मनुष्य चेक अप का झमेले में फंसता नहीं कहीं, उसके मुकाबले मधुमेह मरीज अकस्मात मरता नहीं है।
फिर उनने कहा कि मधुमेह मरीज होने की एक और सुविधा भारी है कि दिल का दौरा पड़े तो दर्द का अहसास भी न होगा। सीधे स्वर्ग वास।
मनसैंटो रेडियो एक्टिव मुक्तबाजारे कौन नहीं है मधुमेह मरीज सर्वे अलग चाहिए।
पलाश विश्वास


