अदालतें भी भगवा रंग में रंग चुकी हैं ?
अदालतें भी भगवा रंग में रंग चुकी हैं ?

देहरादून में सीएए-एनआरसी के विरोध में बैठक करने पर गिरफ़्तार नौभास कार्यकर्ताओं को रिहा करो!
सीएए-एनआरसी के विरोध में देशभर में हो रहे विरोध से बौखलाई भाजपा की सरकारें आन्दोलन का दमन करने और विरोध में उठने वाली हर आवाज़ का गला घोंटने पर इस क़दर आमादा हैं कि क़ानून-संविधान-मानवाधिकार सबको बेशर्मी के साथ जूते की नोक पर रखकर मनमाने फ़ैसले किये जा रहे हैं।
शाहीन बाग़ में गोली चलाने वाले कपिल गुर्जर को ज़मानत (Kapil Gurjar, who fired in Shaheen Bagh, got bail) मिल जा रही है मगर कर्नाटक के एक स्कूल में सीएए-एनआरसी पर महज़ नाटक खेलने के कारण देशद्रोह के आरोप में हफ़्तों से बन्द 21 लोगों को हाईकोर्ट से मिली ज़मानत भी सुप्रीम कोर्ट खारिज कर दे रहा है।
लखनऊ में जिन सामाजिक कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने फ़र्ज़ी मुक़दमे लगाये थे, अब योगी सरकार ने न्याय, मानवाधिकार और सभ्यता के सामान्य उसूलों को भी तार-तार करते हुए उनके नाम-पते सहित होर्डिंग शहर में लगवा दिये और अदालत की फटकार के बाद भी मुँहजोरी पर आमादा है। उत्तराखंड की त्रिवेंद्र रावत सरकार भी इसी नक़्शे-क़दम पर चल रही है।
राजधानी देहरादून में सीएए-एनआरसी के बारे में एक नागरिक के घर के भीतर मीटिंग कर रहे जिन दो युवा कार्यकर्ताओं को दो मार्च को पुलिस ने “शान्ति भंग” की आशंका में गिरफ़्तार किया था उन्हें किसी न किसी बहाने जेल में रखने के लिए क़ानून को औंधे मुँह खड़ा कर दिया गया है। पहले तो मजिस्ट्रेट ने उनकी ज़मानत के लिए ऐसी शर्तें लगा दीं जिन्हें पूरा करना लगभग असम्भव था, कम से कम आज के माहौल में!
धारा 151 के मामलों में आम तौर पर निजी मुचलके पर ही ज़मानत हो जाती है, लेकिन इन दो नौजवानों के लिए सिटी मजिस्ट्रेट ने शर्त लगा दी कि दो राजपत्रित अधिकारी (प्रवर्ग ख के) ज़मानती हों और एक-एक लाख के दो बॉण्ड भी दिये जायें।
अव्वल किसी भी क़ानून या नज़ीर के तहत ऐसी शर्त नहीं लगायी जा सकती, दूसरे कोई राजपत्रित अधिकारी क्यों किसी की ज़मानत लेगा! इस वाहियात और निश्चय ही राजनीतिक दबाव में दिये आदेश के विरुद्ध नौजवान भारत सभा की ओर से पिछले शुक्रवार को नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। वहाँ का अनुभव एक बार फिर यह बताने के लिए काफ़ी था कि अदालतें किस कदर भगवा रंग में रंग चुकी हैं।
हालाँकि अब इसमें हैरानी की कोई बात नहीं है, मगर वहाँ पर एक जज ने अपने चैम्बर में वकीलों को फटकार लगाते हुए सीएए-एनआरसी का विरोध करने वालों के बारे जिस तरह की भाषा में टिप्पणियाँ कीं उसे “शॉकिंग” ही कहा जा सकता है। उन्होंने कुछ बेवजह के तकनीकी नुक़्ते बताकर याचिका की फ़ाइल वापस कर दी और यह भी जता दिया कि उनकी अदालत से इस मामले में उम्मीद रखना व्यर्थ है।
बहरहाल, नौजवान भारत सभा के दोनों साथियों, अपूर्व और अंगद को रिहा करवाने की क़ानूनी लड़ाई तो चलती रहेगी, मगर यह साफ़ है कि इस राजनीतिक हमले का मुक़ाबला राजनीतिक तौर पर भी करना होगा।
इस गिरफ़्तारी के ज़रिए भाजपा सरकार सीएए-एनआरसी के विरोध में आन्दोलनरत सभी जनसंगठनों और कार्यकर्ताओं को यह मैसेज देना चाहती है कि आज इनको जेल में डाला है, कल तुम्हारी भी बारी आ सकती है। उन्हें लगता है कि मुसलमानों को तो उन्होंने पहले ही काफ़ी आतंकित कर रखा है, अब इन दो नौजवानों के ज़रिए वे यह भी दिखाना चाहते हैं कि सीएए-एनआरसी के विरोध में आवाज़ उठाने वाले “हिन्दुओं” को भी नहीं बख्शा जायेगा।
इस आन्दोलन को केवल मुसलमानों का विरोध साबित करने और उन्हें और अधिक अलग-थलग करने की उनकी कुटिल चेष्टा का यह भी एक अंग है।
देहरादून और उत्तराखंड के जनसंगठन, राजनीतिक पार्टियाँ और ऐक्टिविस्ट इस घटिया साज़िश को समझ भी रहे हैं और इस पर क्षोभ व्यक्त करते हुए इस मसले पर एकजुट विरोध की तैयारी भी कर रहे हैं। भाजपा सरकार की हरचन्द कोशिशों के बावजूद यह आन्दोलन और व्यापक शक्ल अख़्तियार करेगा।
हम सभी इंसाफ़पसन्द नागरिकों और जनसंगठनों से जुड़े लोगों से भी अपील करते हैं कि राज्य सरकार पर दबाव बनाने के लिए ईमेल, पत्र, फैक्स या फ़ोन से इस मसले पर अपना विरोध दर्ज करायें और गिरफ़्तार कार्यकर्ताओं को रिहा करने की माँग करें।
नीचे हमने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री, राज्यपाल, मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक तथा राज्य और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के पते, फोन-फैक्स और ईमेल दिये हैं। हम जानते हैं कि भाजपा सरकारें जनता की आवाज़ के प्रति अधिकाधिक असहिष्णु और अन्धी-बहरी होती जा रही हैं, लेकिन इस नाते हमें आवाज़ उठाने से हताश होने के बजाय हर माध्यम से और भी पुरज़ोर ढंग से आवाज़ बुलन्द करनी चाहिए, बार-बार दस्तक देनी चाहिए, हर मसले पर इतना शोर मचाना चाहिए कि या तो ये सुनने पर मजबूर हो जायें या लोगों के सामने बेपर्दा हो जायें।
फोन-फैक्स, पते और ईमेल :
Trivendra Singh Rawat, CM
Chief Minister Secretariat
4 Subash Road, Uttarakhand Secretariat, Fourth Floor New Building, Dehradun, 248001
Ph: 0135-2650433, 2655177, Fax-2712827,
Email : [email protected]
Smt. Baby Rani Maurya, Governor
Rajbhavan Uttarakhand, New Cantt Road, Dehradun -248003
Ph: 0135-2757403, 2757400, Email: [email protected]
Utpal Kumar Singh, Chief Secretary, Uttarakhand
Email: [email protected]
Anil Raturi, DGP, Uttarakhand Police
12, Subhash Road, Dehradun
Email: [email protected], Ph: 0135-2712911 / 2712231 / Fax:-0135-2712080
Justice Mr. Vijai Kumar Bist, Chairperson
Uttarakhand State Human Rights Commission
6, Brhammawala, Sahastradhara Road, Dehradun
Telephone: 0135-2608444, Fax: 0135-2608720, Email: [email protected]
Justice HL Dattu, Chairperson, National Human Rights Commission
Shri Jaideep Govind, IAS, Secretary General Chief Executive Officer of the Commission
011-24663211, 24663212, Email: [email protected]
कविता कृष्णपल्लवी (Kavita Krishnapallavi)


