समाजवादी पुरोधा स्व. रामसेवक यादव के जन्मदिवस 2 जुलाई पर विशेष
अरविन्द विद्रोही
तारीखों का अपना महत्व अलग ही होता है। पुरखों, शख्सियतों को प्रति दिन स्मरण करना, उनके आदर्शों-संकल्पों का स्मरण करना स्वयं अपने चारित्रिक-मानसिक विकास के लिए अत्यंत कारगर होता है। परन्तु पुरखों-शख्सियतों के जन्मदिवस व निर्वाण दिवस को विशेष यादगार दिवस के रूप में मनाना एक अच्छी सोच- सच्चे अनुयायी के प्रत्यक्ष परिलक्षित होने वाले गुणों में से एक होता है। आज २ जुलाई है, आज ही के दिन बाराबंकी के एक गाँव में रामसेवक यादव का जन्म हुआ था।
स्व. रामसेवक यादव का नाम बाराबंकी के अतिरिक्त जनसाधारण, नई समाजवादी पीढ़ी के लोगों के लिए अनजाना सा हो गया था लेकिन अभी संपन्न हुए आम लोकसभा चुनाव के दौरान सपा के तत्कालीन ज़िला अध्यक्ष-बाराबंकी द्वारा स्व रामसेवक यादव के संदर्भ में की गई अनावश्यक-अनर्गल टिप्पणी के कारण बाराबंकी के समाजवादियों ने विरोध का स्वर बुलंद किया जिससे युवा समाजवादियों को समाजवादी पुरोधा रामसेवक यादव के व्यक्तितव के बारे में जानकारी मिली।
सवाल लाजिमी था नई पीढ़ी के सम्मुख कि आखिर रामसेवक यादव थे कौन ? रामसेवक यादव ही वह शख्स थे जिन्होंने युवक मुलायम सिंह यादव की प्रतिभा को पहचान कर समाजवादी युवजन सभा की जिम्मेदारी सौंपी थी और राजनीति में आगे बढ़ाया था।
ग्राम ताला मजरे रुक्मुद्दीनपुर पोस्ट थलवारा (वर्तमान में पोस्ट रुकमुद्दीनपुर ) परगना व थाना सुबेहा हैदरगढ़ जनपद बाराबंकी के एक संपन्न कृषक परिवार में २ जुलाई, १९२६ को हुआ था। पिता श्री रामगुलाम यादव को तब किंचित भी आभास नहीं था कि उनका यह वरिष्ठ पुत्र देश की राजनीति में अपना- अपने जनपद का नाम रौशन करेगा। दो अनुजों क्रमशः प्रदीप कुमार यादव और डॉ. श्याम सिंह यादव तथा तीन बहनों क्रमशः रामावती, शांतिदेवी व कृष्णा के सर्व प्रिय भाई रामसेवक यादव की प्राथमिक शिक्षा कक्षा 4 तक की ग्राम ताला में ही हुई। मिडिल 5-6 की शिक्षा अपने एक करीबी रिश्तेदार जो कि मटियारी-लखनऊ में रहते थे के घर पर रह्कर ग्रहण करी। कक्षा 7 की शिक्षा के लिए बाराबंकी के सिटी वर्नाक्युलर मिडिल स्कूल में दाखिला लिया। सिटी वर्नाक्युलर मिडिल स्कूल से कक्षा 8 की परीक्षा में सफल होने के पश्चात् हाईस्कूल की शिक्षा ग्रहण करने के लिए स्थानीय राजकीय हाईस्कूल में रामसेवक यादव ने दाखिला लिया। इंटरमीडियट की शिक्षा रामसेवक यादव ने कान्यकुब्ज इंटर कॉलेज- लखनऊ से पूरी करी। उच्च शिक्षा स्नातक व विधि स्नातक की उपाधि लखनऊ विश्व विद्यालय से ग्रहण करके रामसेवक यादव ने बाराबंकी जनपद में वकालत करना प्रारम्भ किया।
आजादी के पश्चात् 1952 के चुनावों में कांग्रेस व नेहरू के नाम का डंका बज रहा था, वहीँ दूसरी तरफ आजादी के पश्चात् देश में बुराई की जननी कांग्रेस व नेहरू को मानने वाले समाजवादी पुरोधा डॉ. राममनोहर लोहिया सोशलिस्ट पार्टी के माध्यम से देश के ग्रामीण जनता के हितकारी विचार व कार्यक्रम देने में जुटे थे। बाराबंकी लोकसभा सीट पर कांग्रेस के दमदार प्रत्याशी जगन्नाथ बख्श सिंह के मुकाबिल सोशलिस्ट पार्टी ने रामसेवक यादव को अपना प्रत्याशी बनाया। 1952 का यह चुनाव रामसेवक यादव हार गये थे लेकिन सामाजिक-राजनैतिक सक्रियता व प्रभाव निरंतर बढ़ता गया।
बाराबंकी जनपद में 1955-56 में अलग-अलग घटनाओं में कांग्रेस के विधायक भगवती प्रसाद शुक्ला और सोशलिस्ट पार्टी के विधायक लल्ला जी की हत्या हो गई। सोशलिस्ट पार्टी के विधायक लल्ला जी की हत्या अपने मित्र सियाराम से मित्रता निभाने के परिणाम स्वरुप हुई थी। लल्ला जी की हत्या के प्रतिकार स्वरूप रामसेवक यादव ने जनता को जगाने का काम शुरू कर दिया था और जालिमों-हत्यारों के इलाकों में जाकर सोशलिस्ट पार्टी की बैठकों-सभाओं का आयोजन किया। सोशलिस्ट पार्टी के विधायक स्व. लल्ला यादव ज़ी की श्रद्धांजलि सभा- बड्डूपुर में समाजवादी पुरोधा डॉ. राममनोहर लोहिया ने कहा था कि - लल्ला जी की शहादत ने यह साबित कर दिया है कि खाली एक माँ क़े पेट से पैदा होने वाले ही दो सगे भाई नहीं होते बल्कि अलग-अलग माँ के पेट से पैदा होने वाले भी सगे भाई हो सकते हैं। सोशलिस्ट पार्टी के नेता रामसेवक यादव द्वरा लल्ला -सियाराम की हत्या के विरोध में खड़े किये गए जनांदोलन व मजबूत अदालती पैरवी के चलते ही मुख्य अभियुक्त भोला सिंह सहित 26 लोगों को दोहरे हत्याकांड के इस मामले में सजा हुई थी।
1956 के दौरान हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा उप चुनाव में रामसेवक यादव रामनगर विधानसभा से विजयी हुये। 1957 के आम चुनावों में सोशलिस्ट पार्टी को बाराबंकी में भारी सफ़लता मिली। 1957-62, 1962-67, 1967-71 तीन बार रामसेवक यादव लोक़सभा के सदस्य निर्वाचित हुए। उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य रुधौली से 1974 में निर्वाचित हुए। उपभोक्ता विभाग और अध्यक्ष लोकलेखा समिति भी रहे। आपकी मृत्यु सिरोसिस ऑफ़ लीवर बीमारी के कारण हुई।
रामसेवक यादव मन से गरीबों के दोस्त व वंचितों के साथी थे। अपने गुणों के कारण ही वे डॉ. लोहिया के प्रिय थे। पार्टी की जिम्मेदारी के साथ-साथ डॉ. लोहिया ने रामसेवक यादव को लोकसभा में पार्टी संसदीय दल का नेता भी बनाया था। स्व. रामसेवक यादव के बाल्य-काल से मित्र रहे वयोवृद्ध समाजवादी नेता अनंत राम जायसवाल (पूर्व मंत्री -पूर्व साँसद ) की नजर में रामसेवक यादव के अंदर आम जनता को जोड़ने और उनके लिए लड़ने की असीम ताकत थी, वे सही मायनों में गाँव-गरीब के नायक थे। स्व. रामसेवक यादव के वंशजों में उनके राजनैतिक उत्तराधिकारी अरविन्द कुमार यादव ( पूर्व विधान परिषद सदस्य ) के अनुसार - डॉ. लोहिया,रामसेवक यादव के पश्चात् अब समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी आन्दोलन-संघर्ष को नूतन आयाम दिए हैं।
आज जरूरत है कि समाजवादी युवा स्व. रामसेवक यादव सरीखे समाजवादी आंदोलन की आधार शिलाओं को स्मरण करें और उनके विचारों-संघर्षों के अनुपालन करें।
अरविन्द विद्रोही। लेखक स्वतंत्र पत्रकार व सामाजिक-राजनैतिक कार्यकर्ता हैं।