प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अभागे नेताओं में से एक हैं। वे जिस लक्ष्य को हासिल करना चाहते हैं, भगवान की कृपा से ठीक उलटा होना शुरू हो जाता है। उन्होंने दावे किए दो करोड़ लोगों को सालाना रोजगार देने के (Claims of providing employment to 20 million people annually), लेकिन उलटा हो गया, दो करोड़ से अधिक लोगों के रोजगार छिन गए। इस साल पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य (The goal of a five trillion dollar economy) तय किया लेकिन समूची अर्थव्यवस्था मंदी की शिकार हो गयी। मनमोहन सरकार से अधिक गति से विकासदर हासिल रखने का लक्ष्य रखा लेकिन हुआ एकदम उलटा। लाखों कल-कारखाने बंद हो गए, विदेशी पूंजी निवेश लगातार घट रहा है, बैंकों से पूंजी गायब, रिजर्व बैंक के जमाधन से मांगकर सरकार चल रही है, सरकार अपने खर्चे भी जुगाड़ नहीं कर पा रही है।

मोदी ने कहा था अमीरों पर लगाम कसूँगा, लेकिन हुआ एकदम उलटा एक भी लुटेरे अमीर को आज तक गिरफ्तार नहीं कर पाए, उलटे उनके मुनाफों और बैंकलूट में इजाफा हुआ है।

असम में गए थे विदेशियों को बाहर निकालने, लेकिन अपने देशी लाखों लोगों को ही अ-भारतीय बना बैठे। इसी तरह जम्मू-कश्मीर में गए थे शांति के लिए लेकिन भयानक अशांति और जुल्मोसितम कर बैठे। यह एकदम भस्मासुर जैसी अवस्था है, जिस विषय और समस्या को हाथ लगाया उसके बहाने जनता को अपार कष्ट और वेदनाएं दीं।

मोदी ने वायदा किया था कि वे मीडिया को स्वतंत्रता देंगे लेकिन हुआ एकदम उलटा, अपने संगठन के सदस्यों से कहा सत्य बोलो, सत्य लिखो, लेकिन संगठन के सभी सदस्य रातों-रात झूठ बोलने लगे, असत्य प्रचार करने लगे।

उन्होंने अपने संगठन के सदस्यों से कहा हिंसा न करो, गऊ के नाम पर हिंसा न करो, लेकिन हुआ एकदम उलटा, संगठन के सदस्यों के हिंसाचार-लूट-खसोट में कई गुना इजाफा हो गया।

भगवान ! यह तो बताओ पीएम मोदी से इस कदर नाराज क्यों हो? जबकि बालाजी से लेकर पशुपतिनाथ तक देश-विदेश के हरेक मंदिर और पंडित-संत की वे पूजा करते हैं, दान देते हैं, फिर उनके हाथों में आपने अपयश क्यों दे दिया ?

जगदीश्वर चतुर्वेदी