सब्सिडी, अनुदान, नकद प्रोत्साहन आएंगे इनकम टैक्स के दायरे में
पिछले हफ्ते लोकसभा में पारित वित्त विधेयक, 2015 में इनकम टैक्स कानून के तहत इनकम का दायरा बढ़ाने का प्रस्ताव है। विधेयक में संशोधन कर इसके लिए एक अलग उपबंध शामिल किया गया है, जिसके अनुसार केंद्र, राज्य सरकार या किसी प्राधिकरण की ओर से दी जाने वाली सब्सिडी, अनुदान, नकद प्रोत्साहन और री-इम्बर्समेंट आदि को आय में जोड़ा जाएगा।
गौरतलब है कि ग्राहकों को साल में 12 रसोई गैस सिलिंडर खरीदने के लिए लगभग 200 रुपये प्रति सिलिंडर की सब्सिडी मिलती है। यह सब्सिडी बाजार मूल्य और 414 रुपये के सब्सिडीयुक्त एलपीजी सिलिंडर के दाम में अंतर के बराबर होती है।
हालांकि वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि लोगों को उनके बैंक खातों में मिलने वाली रसोई गैस सिलेंडर (एलपीजी) सबसिडी पर आयकर से छूट होगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कर विशेषज्ञों की ओर से वित्त विधेयक, 2015 में संशोधन पर कुछ आशंका जताए जाने के मद्देनजर यह स्पष्टीकरण दिया गया। इस में कर योग्य आय की परिभाषा का विस्तार करते हुए इसमें सबसिडी, अनुदान, नकद प्रोत्साहन व ड्यूटी ड्राबैक को शामिल किया गया है।
मंत्रालय ने बयान में कहा कि वित्त विधेयक, 2015 के प्रावधानों से एलपीजी और लोगों को मिलने वाले अन्य कल्याणकारी सबसिडी लाभ प्रभावित नहीं होंगे।
बयान में कहा गया है कि आमदनी की गणना व खुलासा मानदंड (आइसीडीएस) उन लोगों पर लागू होंगे जिनकी कर योग्य आय ‘कारोबार या पेशे के लाभ व प्राप्ति के तहत या अन्य स्रोतों से आती है और लेखे की मर्केंटाइल प्रणाली को अपनाया जाता है।
जाहिर है कि यह सफाई मीडिया में खबर लीक हो जाने के बाद डैमेज कंट्रोल की रस्म अदायगी है और यह कोई गारंटी नहीं है कि सरकार के सुधार अश्वमेध में आपकी जेबें बख्श दी जायें।
वैसे भी जेबकतरों में यह रिवाज नही है कि जेबकटी से पहले जिसकी जेबें साफ करनी है, उसे पूर्व कोई चेतावनी दी जाये।
खबरदार।

सिंहद्वार पर कयामत दे रही है दस्तक।

खबरदार।

जनता कह रही है- अबकी बार जेबकतरी .....
पलाश विश्वास