अमेजन जैसे समृद्ध जंगलों के विनाश से निश्चित रूप से बढ़ेगी ग्लोबल वॉर्मिंग की रफ्तार
अमेजन जैसे समृद्ध जंगलों के विनाश से निश्चित रूप से बढ़ेगी ग्लोबल वॉर्मिंग की रफ्तार

पेड़ व वनस्पतियां यानी कुदरती कार्बन सिंक दुनिया में उत्पन्न होने वाले प्रदूषण( वातावरण से कार्बन डाई ऑक्साइड) के एक तिहाई हिस्से को सोखते हैं। अगर आज जलवायु परिवर्तन की समस्या का हल निकालना इतना मुश्किल लग रहा है, तो सोचिये कि कुदरती तौर पर उपलब्ध होने वाले कार्बन सिंक के बगैर इससे निपटना कितना दूभर होगा।
ब्राजील का 60 प्रतिशत हिस्सा वर्षा वन जंगल या अमेज़न फारेस्ट से आच्छादित है। आजकल ब्राज़ील में अमेज़न के वर्षावन में आग की हज़ारों घटनाओं को लेकर पूरी दुनिया चिंतित है।
अमेजन के जंगलों (Amazon Forests) को 'लंग्स ऑफ द प्लेनेट' (Lungs of the planet) यानी कि 'दुनियां का फेफड़ा' कहते हैं और दुनिया भर की 20 फीसदी ऑक्सीजन अमेजन के जंगलों से मिलती है।
हरे-भरे जंगले में आग लगने से जंगल की कार्बन सोखने वाली उपजाऊ ज़मीन राख़ के ढेर में तब्दील होकर मरुस्थल में बदल रही है।
अंतरराष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन पैनल, (इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज- Intergovernmental Panel on Climate Change) (आईपीसीसी) ने अब जलवायु परिवर्तन एवं भूमि पर आधारित अपनी विशेष रिपोर्ट के जरिये कार्बन सोखने की जमीन की क्षमता को बढ़ाने से सम्बन्धित वादे और जोखिमों का अंदाजा लगाया है। यह एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है, क्योंकि वैज्ञानिक बिरादरी का मानना है कि वैश्विक तापमान में वृद्धि को डेढ़ डिग्री तक सीमित करने के लिये पर्यावरण से कार्बन को हटाने के साथ-साथ प्रदूषणकारी तत्वों के उत्सर्जन में कमी भी लानी होगी। कार्बन को भू-आधारित उपायों के जरिये हटाया जा सकता है, जैसे कि जमीन की कार्बन सोखने की क्षमता को बढ़ाना।
आज दुनिया भर में ज़मीन तेज़ी से बंजर हो रही है और मरुस्थल में बदल रही है। इस विनाशकारी बदलाव को रोकने के लिए इन दिनों ग्रेटर नोएडा, दिल्ली में मरुस्थलीकरण को रोकने की रणनीति बनाने के लिये संयुक्त राष्ट्र का सम्मेलन ( यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन-United Nations Convention to Combat Desertificatio,) शुरु हुआ है जिसकी अध्यक्षता भारत कर रहा है।
अमेजन जैसे समृद्ध जंगलों के विनाश से ग्लोबल वॉर्मिंग की रफ्तार निश्चित रूप से बढ़ेगी। अमेजन जैसा विशाल कार्बन सिंक नष्ट होगा, तो ग्लोबल वार्मिंग तेजी से बढ़ सकती है।
डॉ. सीमा जावेद
(लेखिका वरिष्ठ पत्रकार व पर्यावरणविद् हैं।)
Destruction of rich forests like Amazon will definitely increase global warming


