अमेरिका ने पैदा किया ISIS, बेमतलब हिंदुस्तान में 12 राज्यों में अलर्ट जारी, क्योंकि लौट के NRI घर को आये
अमेरिका ने पैदा किया ISIS, बेमतलब हिंदुस्तान में 12 राज्यों में अलर्ट जारी, क्योंकि लौट के NRI घर को आये
Israel Joining ISIS
अब पुतिन के सबूत भी सामने हैं तो हम क्यों अमेरिका के युद्ध में शामिल हैं, सरकार से पूछ लें महामहिम! अमेरिका ने पैदा किया ISIS, इजराइल का खुल्ला समर्थन और चालीस देश मददगार हम बेमतलब इस जंग का आयात करने लगे हिंदुस्तान में और बारह राज्यों में अलर्ट जारी, क्योंकि लौटके NRI घर को आये पुतिन बोले, आतंक के खात्मे के लिए इस्लामिक स्टेट के अर्थतंत्र की तबाही तत्काल
लौटके NRI FDI Baba घर को आये तो घर की तनिक सुधि भी लें
ISIS financed from 40 countries, incl G20 members – Putin (FULL SPEECH)
पलाश विश्वास
आज के प्रवचन में हमने इस्लामिक स्टेट को फंडिंग और मदद देने के बारे में सबूत वीडियो क्लीपिंग से जारी किये हैं और इसी दरम्यान जी 20 देशों में धमाका करते हुए रूस के राष्ट्रपति ने जी 20 के नेताओं के सामने सबूत पेश कर दिये कि कमसमक एक नहीं दो नहीं, बल्कि चालीस देश इस्लामिक देश के मददगार हैं और उनमें जी 20 के देश भी शामिल हैं। इसी बीच इस्लामिक स्टेट के खिलाफ जंग छेडने वाले अमेरिका ने ही इसे जन्म दिया और इसे हथियार देकर आगे बढ़ाया।
Ben Swann नाम के यूट्यूब चैनल द्वारा एक वीडियो जारी किया गया है, जिसमें बताया गया है कि कैसे इस्लामिक स्टेट एक छोटे से संगठन से आतंकियों का सबसे खौफनाक संगठन बन गया। इस वीडियो को देखकर आप भी चौंक जाएंगे। फरवरी 2015 में पोस्ट किया गया यह वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। आप भी देखिए कैसे बना और पनपा इस्लामिक स्टेट-
Truth in Media: Origin of ISIS
उत्तर भारत में छठ पर्व है तो तमिलनाडु में लगभग जलप्रलय है। भयानक आपदा है। वहां पेरियार का आंदोलन सिनेमा में निष्णात है लेकिन सिनेमा का कोई रोबोटिक चमत्कार आपदा में फंसे लोगों के लिए किसी तरह की राहत नहीं है।
मृतकों की संख्या बढ़ती जा रही है और भारत सरकार क्या मदद कर पा रही है, हम नहीं जानते।
सरकार को विदेश दौरों से फुरसत हो तभी न देश की सुधि लें।
वैसे खबर यह है उनके बारे में कि वे खूब बोले और झूम-झूमकर बोले बिना संसदीय अनुमति के भारत को भी अमेरिका के जंग में शामिल कर दिया। जाहिर है कि इस्लामिक स्टेट के खिलाफ हर देश से तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।
अमेरिका के सत्तर नागरिक पेरिस में मारे गये हैं और वे जो बोल रहे हैं, मुंबई धमाकों के बाद भारत के हक में ऐसा बोले भी हों तो क्या कार्रवाई की हथियारों, और परमाणु चूल्हे भारत को तमाने के अलावा बतावें। तो जाहिरे है कि अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने एक बार फिर कहा है कि इस्लामिक स्टेट का खात्मा करना होगा।
उस इस्लामिक स्टेट को खत्म करने के लिए दहाड़ रहे हैं ओबामा बाबू जिसे उनने पैदा किया है और इजराइल ने पाला पोसा है। साथ ही अमेरिका और फ्रांस ने इसी के चलते खुफिया जानकारियां साझा करने का समझौता भी किया।
बिरंची बाबा का करिश्मा है कि आ बैल मुझे मार का हांका लगाते हुए वे कह आये है कि भारत भी आईएस के खिलाफ फ्रांस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने को कहा है। तो प्रांस नागरिक अधिकार निलंबित कर रहा है और इसीलिए भारत में भी संतन के पांव धरते ही जोर तैयारी है।
हमें मालूम नहीं कि कल देर रात लौटे एफडीआई बाबा को पुतिन ने क्या कहा समझाया होगा जैसा वे बाकी विश्व नेताओं को समझा रहे हैं और अंध भक्त के लिए तो वे ही इस वक्त एकच विश्व नेता हुए ठैरे। इसमें कोई शक की गुंजाइश भी नहीं है। खाल या जीभ की खैर मनायें जो हैं। ऐसी छठ पूजा भी हो रही होगी। लखनऊ में का?
इस बीच इस्लामिक स्टेट के खतरे को सबसे पहले समझने वाले और उसके खात्मे का महाअभियान चलाने वाले रूस के राष्ट्रपति ने दुनिया के नेताओं को एक और सही, एक और नेक सलाह दी है। इस्लामिक स्टेट के खात्मे के लिए उसकी फंडिंग पर लगाम लगाने की जरूरत पर जोर देते हुए राष्ट्रपति पुतिन ने कहा है कि दुनिया के करीब चालीस देश ऐसे हैं जहां से इस खूंखार आतंकी संगठन को आर्थिक सहायता मिल रही है। आईएस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए राष्ट्रपति पुतिन ने कहा है कि इस आतंकी संगठन को मदद देने में जी-20 ग्रुप के देश भी शामिल हैं।
रूसी मीडिया स्पूतनिक ने इस खुलासे के साथ भारतीयरक्षा विशेषज्ञों की राय भी जगजाहिर कर दी है। उम्मीद ही कर सकते हैं कि हमारे राजनेता, राजनयिक और आम लोग भी यह सबकुछ पढ़ जान रहे होंगे। बजरंगी जो हर दूसरे तीसरे को इस्लामिक स्टेट से जुड़ा बताते हुआ हिंदुत्व जिहाद को अंजाम दे रहे हैं, वे इस पर गौर करें तो इस मुल्क की सेहत के लिए सबसे बेहतर है।
भारतीय रक्षा विशेषज्ञ रिटायर्ड कर्नल दानवीर सिंह रूस के राष्ट्रपति की इस बात को बेहद सही मानते हुए कहते हैं,
“उन्होंने एक महत्वपूर्ण सवाल उठाया है और सवाल के साथ उन्होंने एक तरह से बयान भी दिया है कि इस्लामिक स्टेट (आई एस) के पीछे काफी लोगों का समर्थन है। मूलत: उनका बयान सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, और इनके सहयोगी राष्ट्र जिसमें अमेरिका भी है, की तरफ इशारा करता है। राष्ट्रपति पुतिन ने कहा है कि तेल व्यापार (ऑयल ट्रेड) से इसको आर्थिक मदद मिलती है। ऑयल ट्रेड बिना टर्की की मदद से फल-फूल नहीं सकता। टर्की नाटो का सदस्य देश है और नाटो का नेता अमेरिका है। तो कहीं न कहीं इस मामले में अमेरिका और पश्चिमी देशों (वेस्टर्न वर्ल्ड) की तरफ उंगली उठती है। वैसे फ्रांस भी कोई दूध का धुला नहीं। फ्रांस भी नाटो का सदस्य है और इसके भी निहित स्वार्थ (वेस्टेड इंटरेस्ट) हैं सीरिया के अंदर। जो कहीं न कहीं आई एस को संरक्षण भी देते रहे हैं किसी न किसी रुप में। तो ये इशारा बहुत सही, बहुत सीधा है पुतिन साहब। यह आत्मचिंतन का विषय भी है कई लोगों के लिए। “
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि यही नहीं, जिन देशों से पैसा पहुंच रहा है, उस पर पुतिन ने खुफिया जानकारियां भी साझा कीं। पुतिन ने साथ ही कहा कि आईएस तेल का गैरकानूनी कारोबार करता है। इसे भी खत्म करने की जरूरत है।
बहरहाल अपने देश में तो तमिलनाडु में आम जनजीवन अस्त व्यस्त है और अगले अड़तालीस घंटे में फिर भारी वर्षा की चेतावनी है।
आवाजाही के सारे साधन बंद हैं और जलबंदी लोग भाग भी नहीं सकते। वैसे सारा देश अब डूब है।
बाकी विकास की हरिकथा अनंत है मुद्रास्फीति दर शून्य से नीचे और कारपोरेट राजगुरु कह रहे हैं कि जनता दाल खाना बंद करें कयोंकि आम जनता दालरोटी को भी मोहताज हैं।
बाबा अबकी दफा जब जहर की पुड़िया भी बिस्कुट वगैरह की तरह बेचेंगे तो शायद जनता को इस विकास दर से निजात मिलेगी। विकास का आलम यह कि जब क्रुड तेल १०७ रूपये बैरल था तो पेट्रोल ७१ रूपये लीटर था। अब ४२ रूपये बैरल है तो ६२ रूपये लीटर है। जनता के पैसे को कौन लूट रहा है?
इसी बीच स्पेन के सबसे प्रतिष्ठित अखबार ‘लॉ रेजां’ ने कनाडा स्थित भारतीय मूल के एक सिख को पेरिस अटैक में शामिल आतंकी बता दिया। हालांकि, बाद में अखबार को जैसे ही इस गलती का पता चला तो उसने माफी मांग ली।
हिंदुस्तान की सरजमीं पर भी सारा देश अब मणिपुर बनने जा रहा है।
फ्रांस में संविधान संशोधन करके नागरिक हकहकूक निलंबित करके पूर्वोत्तर भारत की तरह कहीं भी बिना वारंट छापे और बिना वारंट गिरफ्तारी की तैयारी है तो यूरोप के देशों में रह रहे हिंदुस्तानियों की गत माई नेम इज खान से बेहतर नहीं होने वाली है तो हिंदुस्तान की सरजमीं पर भी सारा देश अब मणिपुर बनने जा रहा है।
संतन के पांव स्वभूमि पर पड़ते ही जो गृहमंत्रालय भारत में कल तक इस्लामिक स्टेट के वजूद से इंकार कर रहा था, उसने एक मुश्त बारह राज्यों में इस्लामिक स्टेट की गतिविधियों और खतरे के बारे में राज्य सरकारों को अलर्ट कर दिया। अब जाकर कहीं अमेरिका के जुध में शामिल होने का संकल्प कर स्वदेश लौटे बिरंची बाबा की शान में गृह मंत्री राजनाथ सिंह के भी बोल सुहाने सुहाने हैं और उनने फरमाया है कि आईएसआईएस का विश्व को खतरा है और यह एक वैश्विक चुनौती है। सारे देशों को इसके खिलाफ लड़ने के लिए एक साथ आना चाहिए।
गौर जरूर करें कि उनने कह दिया है कि केंद्र जल्द ही देश में आंतरिक सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर चर्चा के लिए राज्यों के मुख्यमंत्रियों की एक बैठक बुला रहा है। फिर वही थीम सांग, दुनिया भर में असहिष्णुता की बढ़ती घटनाओं के बारे में मीडिया के एक प्रश्न का जवाब देते हुए गृह मंत्री ने कहा, भारत में कोई असहिष्णुता नहीं है। सिर्फ बाकी धार्मिक लोगों की तरह यह नहीं बोले कि जो असहिष्णुता की बात कर रहे हैं, वे दरअसल राष्ट्रद्रोही है या उन्हें तुरंत पाकिस्तान बेज दिया जाना चाहिए। गनीमत है।
अरब वसंत के जरिये जो तहलका पहले ही मचा हुआ है और जो जिहादी मंजर है, उसके मद्देनजर फ्रांस के नक्शेकदम पर जब सारे नागरिक अधिकार निलंबित होंगे और बिना वारंट छापे और गिरफ्तारियों का सिलसिला चलेगा तो पता नहीं, क्या क्या होने वाला है।
मजा इस पर यह है कि आप जनसुनवाई या कानून के राज की गैरमौजूदगी में नागरिक और मानवाधिकार के हनन के खिलाफ चूं तक नहीं कर पायेंगे। क्योंकि किसी भी तरह का विरोध मसलन पुरस्कार सम्मान लौटाना इत्यादि भी अब राष्ट्र की अवधारणा के विरुद्ध है, सहिष्णुता और बहुलता बहाल ऱुकने की बार-बार गुहार लगाकर फेल राष्ट्रपति ने नसीहत दी है कि हरगिज पुरस्कार सम्मान न लौटायें तो मंत्री कह रहे हैं कि सारे विशिष्टजन या तो राजनीति में शामिल हैं या राजनीति के पैसे डकारे हुए हैं।
समांतर सिनेमा के सबसे बेहतरीन निर्देशक श्याम बेनेगल भी सत्ता की भाषा बोलने लगो हैं और उनने कहा है कि अवार्ड लौटाना अब देश में महामारी का रूप ले लिया है। बजरंगियों के सुर में सुर मिलाते हुए उनके भी अनुपम बोल हैं कि अवॉर्ड देश द्वारा दिया जाता है, न कि सरकार इसे देती है। ऐसे में अवॉर्ड लौटाना समस्या का समाधान नहीं है।
वैसे शाहरुख खान ने मुंह खोला तो नतीजा देख रहे हैं कि छापे पड़ रहे हैं। अब वे यह तो पिर नहीं कह सकते कि माई नेम इज खान!
बाकी फिल्मकारों की हालत अब बोलने की भी नहीं है। इस नजारा में डिजिटल देश की बायोमैट्रिक नागरिकता का हाल क्या होना है, यह तो कोई वैदिकी देव देवी की किपा पर निर्भर है।


