अरबपति कॉरपोरेट कम्पनी ने पर्यावरण प्रहरी पर किया 1000 करोड़ का मुकदमा
अरबपति कॉरपोरेट कम्पनी ने पर्यावरण प्रहरी पर किया 1000 करोड़ का मुकदमा
ग्रीनपीस ने एस्सार के मुकदमे का दिया जवाब
ग्रीनपीस ने कम्पनी द्वारा महान जंगल (मध्यप्रदेश) में किये जा रहे कथित कानूनी उल्लंघन के खिलाफ किया था एस्सार मुख्यालय पर प्रदर्शन
27 जनवरी। एस्सार द्वारा 1000 करोड़ के मानहानि दावे के खिलाफ ग्रीनपीस इंडिया कानूनी उपायों का सहारा लेगी। एस्सार ने मुम्बई उच्च न्यायालयमें ग्रीनपीस इंडिया और महान संघर्ष समिति के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज किया है। महान संघर्ष समिति महान जंगल पर निर्भर गाँव वालों का एक संगठन है जो अपने जंगल को बचाने के लिए प्रयासरत हैं।
22 जनवरी को ग्रीनपीस के 14 कार्यकर्ताओं ने कम्पनी के महालक्ष्मी (मुम्बई) स्थित मुख्यालय पर वी किल फॉरेस्ट लिखे बैनर को लहराया था। महान संघर्ष समिति तथा मुम्बई के नौजवानों ने मिलकर मुख्यालय के दरवाजे पर शांतिपूर्ण धरना दिया था तथा मांग की थी कि सिंगरौली मध्यप्रदेश में स्थित धनी जैव विविधता वाले महान जंगल को कोयला खदान के रुप में बदलने से रोका जाय।
ग्रीनपीस इंडिया के कार्यकारी निदेशक समित एच ने कहा कि, "यह एक तरीके से सीधे-सीधे डराने वाली चालें हैं। एस्सार हमारी वार्षिक आय से कई गुणा ज्यादा रकम की मानहानि मुकदमा हमपर दायर करना चाह रहा है जबकि हमारी आमदनी व्यक्तिगत समर्थकों से आती है। अंतिम सप्ताह हमारे एस्सार मुख्यालय के सामने प्रदर्शन का एकमात्र उद्देश्य एस्सार द्वारा धनी जैव विविधता वाले महान जंगल में अपने प्रस्तावित कोयला खदान से किये जाने वाले विनाश की तरफ लोगों का ध्यान आकृष्ट करना था। हम लोग विश्वास करते हैं कि यह मामला व्यापक जनहित का है"।
एस्सार द्वारा प्रस्तावित कोयला खदान को रद्द करने के साथ ही ग्रीनपीस इंडिया ने प्रधानमंत्री से पर्यावरण की कीमत पर स्पीडी क्लियरेंस दे रहे वन व पर्यावरण मंत्री वीरप्पा मोइली के इस्तीफे की भी माँग की।
व्यक्तिगत चंदे पर आधारित एक एनजीओ तथा गाँव वालों के संगठन महान संघर्ष समिति जिसके सदस्य महान जंगल पर अपनी जीविका के लिये निर्भर हैं, से 1,000 करोड़ की अजीबोगरीब राशि माँगने के अलावा एस्सार ने ग्रीनपीस को सोशल तथा पारम्परिक मीडिया तथा अपने परिसर से दूर रखने की भी माँग की है। समित एच ने यह भी कहा कि “हम लोग एस्सार द्वारा लगाये जा रहे आरोपों से डरे नहीं हैं। हम अपनी लड़ाई का बचाव अभिव्यक्ति की आजादी में दिये गये प्रावधान ‘फेयर कमेंट’ के तहत करेंगे जो प्रेस को लोगों के हित में बयान देने की आजादी देता है”।
.आगे समित ने बताया कि यह नैतिक रूप से गलत है कि एक अरबपति कम्पनी अपने अधिकारों के लिए शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करने वालों से बेतुका रकम माँग रही है।
इस मानहानि के अलावा मुम्बई पुलिस ने 67 ग्रीनपीस तथा महान संघर्ष समिति के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था, जो एस्सार मुख्यालय पर प्रदर्शन में शामिल थे। सभी प्रदर्शनकारियों को सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट की अदालत से जमानत मिल गयी थी।
ग्रीनपीस की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि वह पर्यावरण को बचाने के लिये प्रतिबद्ध है तथा वह आगे भी निजी कम्पनियों और सरकार के द्वारा पर्यावरण तथा समुदायों के अधिकारों के उल्लंघन को बेनकाब करता रहेगा।


