अरे ! अभी से प्रकृति का तांडव ?
अरे ! अभी से प्रकृति का तांडव ?
महेश जोशी
इस बार पहाड़ में प्रकृति का एक नया रूप देखने को मिल रहा है। इस साल जंगलों में धधकती आग के बदले ओलावृष्टि व विनाशकारी आँधी- तूफान की खबरें प्रमुख हैं। वैसे अप्रेल-मई में ओलावृष्टि या अंधड़ असामान्य नहीं हैं। यह ‘चल वसन्त’ कहलाता है। लेकिन गर्मी बढ़ने के साथ ऐसी घटनायें कम होती चली जाती हैं। इस बार आधा जून बीत जाने के बाद भी ऐसा लगातार हो रहा है और गर्मी का अनुभव तक नहीं हो पा रहा है। लोक आशंकित हैं कि कहीं यह आगामी मानसून की कीमत पर तो नहीं हो रहा है ? कहीं चौमास में सूखा तो नहीं पड़ने जा रहा है ? इन घटनाओं की एक और विशेषता यह है कि सम्पूर्ण हिमालय में एक साथ न होकर अलग-अलग समय में वर्षा, ओलावृष्टि और अंधड़ का वेग देखने को मिल रहा है। यह जलवायु में आ रहे खतरनाक बदलाव की ओर संकेत है। प्रशासन के स्तर पर इन प्राकृतिक प्रकोपों से निपटने की तैयारियाँ दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही हैं।
पिछले दिनों हुए विनाश में कई जानें गईं व कई घायल हुए। सैकड़ों हरे-वृक्ष टूट गये, कई मकान घ्वस्त हो गये, टीन शैड व झुग्गी-झोपडि़याँ उड़ या नष्ट हो गई। रबी की फसल के साथ ही शाक-भाजी व फल-फूलों को भी नुकसान पहुँचा। जमीन दरकने-धँसने व मलवे से पट जाने से लोगों को अपने घर छोड़ने पड़े। तराई-भाबर में कच्चे आवासों व टीन शैडों की छत उड़ने, जगह-जगह पेड़ों के टूटने से विद्युत आपूर्ति ठप होने, कीचड़ भरे नालों के उफनने से जनजीवन प्रभावित होने की खबरें हैं। आम व लीची के फलों को काफी नुकसान पहुँचा। 25 मई की रात हल्द्वानी में तेज आँधी-तूफान के साथ हुई बारिश से रामपुर रोड पर टांडा जंगल में कई हरे पेड़ धराशायी हो गये। बरेली रोड व नैनीताल हाईवे पर पेड़ों के टूट कर हाई टेंशन लाईन पर गिरने से विद्युत आपूर्ति ठप हो गई। जगह-जगह नाले उफनने लगे और सारा कीचड़ सड़कों पर फैल गया। रामनगर, कालाढूँगी, कोटाबाग, लालकुआ, गौलापार आदि क्षेत्रों में फलों व खेती को नुकसान पहुँचा। रामनगर में विशालकाय पेड़ों के हाईवे पर गिरने से आवाजाही ठप हो गई। गदरपुर में मुख्य मार्ग पर ओलों की सफेद चादर बिछ गई। कई दुकानों के टिन शेड, होर्डिंग आदि उखड़ कर तहस-नहस हो गये।
26 मई की रात तेज अंधड़ से काशीपुर में बिजली के सीमेंट वाले 200 तथा स्टील के 80 पोल टूट गये। विद्युत सप्लाई ठप हो गई। इससे विद्युत विभाग को 50 लाख से अधिक का नुकसान हुआ। अकेले सिद्धार्थ डुपलैक्स बोर्ड को 35 लाख की क्षति होने की खबर है। जसपुर में मकान ढहे और आम की फसल बरबाद हो गई। रामनगर में काशीपुर-बुवाखाल राजमार्ग पर जगह-जगह पेड़ गिरने व मलवा आ जाने से यातायात अवरुद्ध हो गया। अंधड़ से गिरी टहनियों की चपेट में आने से कई लोग घायल हुए। दिनेशपुर के राधाकांतपुर, श्रीरामपुर, उदयनगर, चन्दन नगर में झोपडि़यों व कच्चे मकानों को नुकसान पहुँचा। 29 मई के अंधड़ से बाजपुर के अतिरिक्त बरहैनी, फौजी कॉलोनी, केलाखेड़ा में अनेक विद्युत पोल गिरे और 20 गाँवों की विद्युत आपूर्ति ठप हो गई। धान की फसल को नुकसान पहुँचा।
28 मई की रात ओखलकांडा ब्लॉक में सिमलकन्या गाँव के भेटीडियारखोली तोक में आधे घंटे की मूसलाधार बारिश से अढ़ाई एकड़ उपजाऊ जमीन और दर्जनों फलदार वृक्ष बह गये। अनेक मकानों में दरारें आ गईं। तोक के निचले हिस्से में बह रही लधियागाड़ का जल स्तर अचानक बड़ जाने से आसपास की खेती को नुकसान पहुँचा। 2 जून की प्रातः तहसील कोस्या कुटौली के कूल चोपड़ा में बिजली गिरने से दो लोग घायल हो गये। दो जानवर भी मरे। बिनसर वन्यजीव विहार से लगे गाँवों-सुनोली के भनारीगैर, तिलधार, रेसाल, दलाड़, भेटूली, अयारपानी, गौनाप, कटघरा आदि में खेती व घरों को नुकसान पहुँचा। धौलादेवी में मकड़ाऊ, ध्याड़ी व बसौली बैंड के पास सड़क में मलबा आ जाने के कारण घंटों यातायात बाधित रहा। छनकाना गाँव में एक मकान ध्वस्त हो गया और एक बकरी दब गई। बचतोला गाँव में भी घरों में मलवा भरा। आरा व रज्यूड़ा की पेयजल लाईन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। उधर आरा सल्पड़ मोटर मार्ग क्षतिग्रस्त होने से उसका मलवा दन्या बाजार में घुस गया। जिला चम्पावत के बाराकोट के संतोला गाँव के प्रकाश तिवारी मकान ध्वस्त हो जाने से बेघर हो गये। पुनियाल में पूरन गिरी गोस्वामी का मकान ढहा। बाराकोट में बिजली गिरने से विद्युत ट्रांसफॉर्मर फुँक गया। नौमाना और बैंड़ाओड़ गाँव में मनेरगा के तहत किया गया कार्य तबाह हो गया। सिंगदा गाँव में पेयजल लाईन ध्वस्त होने व नौमाना में पानी के नोले में मलुवा भर जाने से पेयजल संकट बन गया। घाट से ऊपर मुख्य सड़क धँस गई। 19 मई की प्रातः आये अंधड़ में काली मंदिर, पुलिस चैकी, टनकपुर का टीन शेड उड़़ गया। कई दुकानों की छतें उड़ र्गइं और पेयजल लाईन टूट गई। पाटी विकासखंड के ग्राम परेवा में बिजली गिरने से पुजारी जगत गोस्वामी व खीमानन्द बिनवाल की मौत हो गई।
11 जून को बादल फटने से जौलजीवी-मुन्स्यारी मोटर मार्ग पर धारचूला के छोरीबगड़ में चार मकान ध्वस्त हो गये और सड़क रौखड़ हो गईं। कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग में सड़के धँसने, पहाड़ खिसकने व हिमपात होने से यात्री परेशान हैं। पंचाचूली बेस कैम्प में नव निर्मित भवन की छत उड़ गई। कुमाऊँ मंडल विकास निगम के उर्थिंग स्थित भवन व दुग्तू के खाद्यान्न गोदाम की छत उड़ गई। सुरजन सिंह के पर्यटक आवास गृह की दीवारें क्षतिग्रस्त हो गई। बिजली गिरने से जिला मुख्यालय के निकट बीसाबजेड़ गाँव के मोहन सिंह घोटा का मकान ध्वस्त हो गया। धारचूला-तवाघाट मार्ग आयेदिन बाधित हो रहा है। ओलावृष्टि से फसल व बागवानी को काफी नुकसान हुआ है। 27 मई की रात चैरपाल क्षेत्र में उफनते गाड़-गधेरों से चैरपाल, सुगड़ी व धनेला गाँवों में सैकड़ों नाली भूमि दरक गई और धान की रोपाई बरबाद को गई। कई घरों में मलवा भर गया। पाभैं और जाखनी उप्रेती में भी जमीन दरकने की सूचना है। हाई स्कूल भूलीगाँव के कम्प्यूटर कक्ष में मलवा घुसने से सारी सामग्री खराब हो गई। गंगोलीहाट-पिथौरागढ़ सड़क मार्ग पनार से लेकर भूलीगाँव तक जगह-जगह मलवे से पट गया। यहाँ मार्ग को चैड़ा करने के लिये किये जा रहे कटान के मलवे से भी दिक्कत बढ़ गई है। गंगोलीहाट से 15 किमी दूर क्वीनाड़ा (जरमाल गाँव) में पहाड़ी खिसकने से अनेक मकानों में मलवा भर गया। जरमालगाँव, भंडारीगाँव व कनारा में काफी कृषि भूमि तबाह हो गई।
बागेश्वर जिले में बोराचक-झारकोट गाँव को जोड़ने वाला झूला पुल बह गया। दो बैल बह गये। तीख, डौला, खाती, बाछम, आदि गाँवों में फसल चैपट हो गई। शम्भू नदी के अचानक उफान में आने से पैदल पुल व मवेशी बह गये। लाहुर घाटी तथा गोमती घाटी क्षेत्र में 28 मई को मलवा घरों व खेतों में घुस गया। नामिक, कीमू व गोगीना गाँवों का आपसी संपर्क टूट गया। तेज अंधड़ से चीराबगड़ तथा काभड़ी गाँव मकानों की छतें उड़ र्गइं। रामगंगा में पैदल पुल बह गया। अनर्सा के पास पेड़ गिरने से विद्युत आपूर्ति ठप हो गई। 11 जून को बाछम के भटन तोक स्थित स्कूल के दो कमरे ध्वस्त हो गये।
देहरादून में बिजली के दर्जनों पोल उखड़ गये। कई इलाकों में दो दिन तक बिजली गुल रही व कई इलाकों में पेयजल संकट हो गया। 21 मई की रात ऋषिकेश-बद्रीनाथ हाईवे पर बिरही के पास चट्टान टूट कर सड़क पर आने से पाँच सौ मीटर सड़क मलवे से भर गई और दोनों ओर सैकड़ों यात्री फँस गये। देवप्रयाग के पास डांडा गाँव में गब्बादास की 22 वर्षीय पुत्री लक्ष्मी की मौत हो गई। थलीसैण ब्लॉक के ढाईज्यूली पट्टी में ग्राम कुचेली निवासी 13 वर्षीय वीरेन्द्र सिंह बरसाती नाले में बह गया। शलैन गाँव में बिजली गिरने से दस वर्षीय सुमन की मौत हो गई। पौड़ी की कण्डारस्यूँ पट्टी में आवासीय भवनं और कृषि भूमि क्षतिग्रस्त हो गये। जशोधरपुर क्षेत्र में विद्युत ट्रांसफॅर्मर में आग लग गई। उत्तरकाशी में आँधी से गिरे पेड़ों की चपेट में आकर दर्जनभर लोग घायल हुए। उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 14 किमी. दूर संगम चट्टी में 1 जून की रात हुए भूस्खलन में असीगंगा लघु जल विद्युत परियोजना में कार्यरत दो मजदूर मलवे में दब कर मर गये। गंगोत्री-यमुनोत्री मार्ग बाधित होने से कई बार सेकड़ों यात्री फँसे रहे। तांबाखाणी में मलुवा आने से गंगोत्री राजमार्ग अवरुद्ध हो गया। टिहरी के घनशाली विकासखंड में 28 मई की रात बौरगाँव के ऊपर हुए भूस्खलन से 600 नाली कृषि भूमि तबाह हो गई। पाईप लाईन, 20 चैकडेम, व 50 मीटर सुरक्षा दीवार क्षतिग्रस्त हो गये। थाती-बूढ़ाकेदार के कोटी गाँव में गुनाली गधेरा उफनने से कई पशु मलवे में दब गये।
बीते वर्ष बरसात में उत्तराखंड में अभूतपूर्व तबाही हुई थी। 200 से अधिक लोगों ने तो जानें गँवाई। अब तक राष्ट्रीय राजमार्गों की तक मरम्मत नहीं हो पायी है। दूर-दराज का पुरसाहाल कौन है ? आपदा मद में आये पाँच सौ करोड़ से अधिक धनराशि का क्या हुआ, कोई नहीं जानता। ऐसे में नागरिकों को स्वयं ही आने वाली बरसात के लिये चाक-चौकस रहना होगा।
साभार - नैनीताल समाचार


