दिवाली पर युधिष्ठिर अवतार में नंगे बिरंची बाबा बिहार जनादेश के बाद जुए में देश भी हार गये!

संपूर्ण एफडीआई राज!
भारत विदेशी पूंजी के हवाले!

बिहारे नीतीशे कुमार जनादेश का बजरंगी जवाब!

द्रोपदी का चीरहरण और हम तमाशबीन आत्मध्वंशी कुरुवंश!


बिहार के जनमत से खोयी जनता की आस्था की परवाह नहीं बजरंगी फासिज्म को। परवाह है डांवाडोल सेनसेक्स और निफ्टी की और चालमचोल निवेशकों की अटल आस्था की। जिस मूडीज की रेटिंग को खारिज कर दिया, राजन की सलाह नहीं मानी, शौरी, नारायणमूर्ति, किरण मजुमदार की चेतावनी की परवाह नहीं की, बिहार में धूल चाटने के बाद मुक्तबाजारे के उम महा राजमार्ग पर सरेआम खड़े हैं नंगे बिरंची बाबा।

का पटाखा बाजे घना घना.पाकिस्तान मा न फट हो। फटल बाड़न ई हिंदुस्तानवां की सरजमीं मां। के बिहार का धमाका का गजबे तोड़ निकारे रहिस बिरंची बाबा के सरकार ने डिफेंस, ब्रॉडकास्टिंग, प्राइवेट बैंकिंग, एग्रीकल्चर, प्लांटेशन, माइनिंग, सिविल एविएशन, कंस्ट्रक्शन डेवलपमेंट, सिंगल ब्रांड रिटेल, कैश एंड कैरी होलसेल और मैन्युफैक्चरिंग समेत 15 सेक्टरों में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ा दी है। सरकार ने ड्यूटी फ्री शॉपिंग पर एफडीआई के नियमों में भी ढील दी है।

लज्जाय मुख ढेके जाये। बांग्ला में मुहावरा यह है। भोजपुरी में का होई, बतावा राउर, हम जानत नाहीं।

राष्ट्र को कोई चेहरा होता, तो वह शर्म का चेहरा होता।

यही है कटकटेला अंधियारे का तेजबत्तीवाला सौदागर, ख्वाब नहीं वह मुल्क और इसानियत का सौदा कर रहा खुल्लेआम और हम दीवाली के पटाखों की गूंज में वंदे मातरम भी कहना भूल रहे हैं।

जय हो। जय जय जय हो भारत भाग्यविधाता बिररंची बाबा।

बिहार में हार के बाद निवेशकों और मुक्त बाजार की आस्था खोकर भीतरघात और विद्रोह से डरे हुए देश के छप्पन इंच छाती के गामा पहलवाने ने मुक्त बाजार और विदेशी पूंजी के हवाले कर दिया देश और खबर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रिटेन यात्रा से ठीक पहले मोदी सरकार ने इंडस्ट्री को दिवाली का तोहफा दे दिया है।

आतिशबाजी खूब कीजिये कि सारा देश अब आगजनी के हवाले हैं और मंडल कमंडल कुरुक्षेत्र में हिंदू धरम का सत्यानाश है और भारतवर्ष का विनाश है कि फासिज्म की केसरिया सरकार ने एफडीआई नियमों को आसान करने का फैसला लिया है जिसमें एफडीआई प्रस्ताव की लिमिट को 3, 000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 5, 000 करोड़ रुपये कर दिया गया है। हरिकथा विकास अनंत।

बिहार का जनादेश काफी नहीं है बेलगाम अश्वमेधी सांढ़ों और घोड़ो को लगाम सकने के लिए।

जनादेश से बेपरवाह है नस्ली नरसंहार संस्कृति का झंडेवरदार फासिज्म का यह राजकाज।

राजनीतिक वर्ग है रंगबिरंगा शासक वर्ग मनुस्मति अनुशासन के विदेशी हितों से बंधा।

विदेशी पूंजी का गुलाम भारतीय उपनिवेश यह अब मुकम्मल गैस चैंबर है। यातना शिविर अनंत। चीखों पर भी सख्त पहरा है। लबों पर तलवारे चल रही हैं और जंजीरें गुलामी की चीख भी नहीं सकतीं।

आक्सीजन के सारे रास्ते बंद कर दिये गये हैं और धुंआ धुंआ आसमां है। फिजां कयामत है। जमीन पर दावानल है। नदियां खून से लबाबलब हैं जैसे तानाशाह खुदै खून से तरबतर व्हाइट हाउस के रंग रोगन मानसून के बावजूदसफिर धुलाने जा रहि हैं।

इसी धुलाई पर कुर्बानोकुर्बान हैं अंध भगत बिरादरी, खाप पंचायतें और तामाम अस्मिताएं, जातियों का सरदार सरदारिनें।

अमेरिका में ही तमामो नरसंहार की धुलाई का सबसे झख सफेद साबुन चिकिया मुफ्ते पोस्तो पोश्तो मिलेला। तो धकाधक पेलो ह सुधार क्रियाकर्म के परलोक सुधार जाये आउर हिंदुत्व को बने ग्लोबवा, ससुरे गैरहिंदू कोई न बच पावै। जयहो अमेरिका। जयजय।

इस नर्क से रिहाई के रास्ते हम बतावै रहे हैं अपने रोजाना परबचन मा। देख लीज्यों, मंकी बातों की तरह उतना बेमतब भी नइखे।
हम हवा हवाई नहीं हैं। जड़ों से गोबर पानी कीचड़ से सने बोल रहे हैं और हमउ कोई किसी नरसंहार के युध अपराधी नइखे जिन्हें बेइल पर रिहाई मिलल अमेरिकवा मा।

इनसे त ललुआ भौते भौते बैहतर, अमेरिका रिहाई वास्ते न जात रहे। मोक्ष चाहि त हस्तक्षेप बांचे रहो आउर हउ चाहि त गोता लगावैके चाहि बिरंची बाबा के खूनवा के समंदर मा।

उनके इस अधर्म अपकर्म धतकरम की तुलना यौनकर्म से भी नहीं कर सकते क्योंकि वे भी खून पसीने की कमाई खाते हैं, हराम के अंधियारे के अरबों अरबों कालाधन का खजाना नहीं है समाज से बहिष्कृत, पितृसत्ता के शिकार और उत्पीड़ितों का।

विडंबना है कि किसी के साथ भी सत्ता के लिए हमबिस्तर होने वालों के लटके झटके और बड़बोले वैचारिक नैतिक धार्मिक बोल वे ही हैं जो यौनकर्म के लक्षण हैं, राजकाज, राजनय और राजनीति के नहीं।

फिर इंद्रप्रस्थ में अर्श से फर्श पर गिरे नंगई के चक्रवर्ती महाराज बिरंची बाबा, टाइटैनिक महाराज और महाजिन्न एकमुश्त युधिष्ठिर मुद्दा में है और उन्हें सच के बदले झूठ पर झूठ की गोलंदाजी करने का हम हमने दिया है मजहबी सियासत के मुक्तबाजारी बजरंगी जुनून में विकास के करिश्माई डिजिटल इंडिया के झांसे में आकर।

फिर इंद्रप्रस्थ में दिवाली पर द्रोपदी का चीरहरण हुआ है और अबकी दफा कोई भगवान बचाने को, अधर्म का नाश करने अवतरित भी नहीं हुआ। वह द्रोपदी देश की स्वतंत्रता, देश की संप्रभुता, मनुष्यता और प्रकृति है समन्वित बहुलता, सहिष्णुता कि अब अनंत बेदखली आर्थिक विकास है और अर्थव्यवस्था एफडीआई है।

बिहार जनादेश की परवाह इतनी कि संस्थागत बजरंगी मुक्तबाजारी फासिज्म के राजकाज में हमारी दिवाली एफडीआई हो गयी। भारतीय मेहनतकशों और किसानों के साथ साथ रिटेल कारोबारियों, देश की सुरक्षा, सूचना और जनमत, माध्यम विधा, संस्कृति, स्वास्थ्य, परिवहन, आवास, परिवहन, उड़ान, बिजलीपानी, भोजन, राशन पानी, रेलवे, बैंकिंग, डाक तार, संचार, प्रतिरक्षा, रोटी और रोजगार, आजीविका, जल जंगल जमीन, नागरिकता, नागरिक और मानवाधिकार सब कुछ एक मुसशत् नीलाम कर दिया। नीलाम हो गये उद्योग धंधे। कल कारखाने, उत्पादन प्रणाली।

उसी बिहार में फेर नीतीशे कुमार जनादेश के बाद रेलवे ने बिहार के ही सारण जिले के मरहोवरा में डीजल लोकोमोटिव फैक्ट्री लगाने के लिए अमेरिकी कंपनी जीई ग्लोबल को चुन लिया है।

मरहोवरा प्रोजेक्ट फाइनेंशियल दिक्कतों से लटका था। अब टेंडर प्रोसेस के जरिए जीई को ये प्रोजेक्ट दिया गया है जिसमें 26 फीसदी हिस्सेदारी रेलवे की होगी। मरहोवरा में अगले 3 साल में उत्पादन शुरू हो जाएगा।

मुक्मल फूलझड़ी बहार होई के अब 5, 000 करोड़ रुपये तक के एफडीआई प्रस्तावों को एफआईपीबी की मंजूरी लेना जरूरी नहीं होगा। साथ ही जहां एफडीआई पहले से 100 फीसदी तक है वहां नियमों को और आसान किए जाएगा। मंजूरी की प्रक्रिया तेज की जाएगी और कुछ सेक्टरों में ऑटोमेटिक अप्रूवल का दायरा बढ़ाया जाएगा। सभी एफडीआई नियमों की एक किताब बनेगी।

बिल्डर माफिया सिंडिकेटो की वसंत बहार ह कि जलवायु बदलि गयो कि कड़ाके की सर्दी दूर भागे और सीमेंट के जगल में लू और शीत लहर भी एअर कंडीशन टाइल स्टाइल चाहि जैसन के धरतेरसवा मा पेलल रहिस। के सरकार ने कंस्ट्रक्शन सेक्टर में 5 साल के भीतर एफडीआई लाने की शर्त हटा ली गई है। स्ट्रक्शन सेक्टर में 5 साल के बाद भी एफडीआई लाना मुमकिन होगा। एनआरआई निवेश में भी एफडीआई नियम आसान कर दिए गए हैं। डिफेंस सेक्टर में ऑटोमैटिक रूट के जरिए 49 फीसदी के एफडीआई निवेश की छूट का ऐलान किया गया है।
सबसे तेज खबरिया चैनल जो हिले से जितावेक के खबारे बहुमत हासिलों के बाद चलावै रहि, उनर खातिर एफडीआी मोहत्सव है त अब चीखों नइखे बेमतलब के मजीछिया उजीठिया जाहि के पिछवाड़े पे लात लगाइके जबभी भगावै एफडीआई याद करना के ब्रॉडकास्टिंग सेक्टर के तहत गैर-खबरिया चैनल में ऑटोमैटिक रूट के जरिए 100 फीसदी एफडीआई निवेश की छूट का ऐलान किया गया है। वहीं ब्रॉडकास्ट सेक्टर में एफआईपीबी के जरिए 49 फीसदी एफडीआई निवेशक की छूट का ऐलान किया गया है। एफएम रेडियो और न्यूज चैनल में 49 फीसदी एफडीआई पर एफआईपीबी की मंजूरी जरूरी होगी। डीटीएच और केबल नेटवर्क में 100 फीसदी एफडीआई को मंजूरी दी गई है।

वंसतो बाहर हर सेक्टर मा ह। जनता के वास्ते का मिलल ना मिलल, बुझावेक ना चाहि। रबर और कॉफी सेक्टर में 100 फीसदी एफडीआई निवेश की छूट का ऐलान किया गया है। एयरलाइंस ग्राउंड हैंडलिंग में 100 फीसदी एफआईडी को मंजूरी दी गई है। रीजनल एयरलाइंस में 49 फीसदी एफडीआई को मंजूरी दी गई है। एनआरआई निवेश में भी एफडीआई नियम आसान किए गए हैं।

हम बार-बार कह रहे हैं कि यह हिंदुत्व नहीं है। हिंदुत्व किसी भी सूरत में राष्ट्रद्रोह नहीं हो सकता।

जननी जन्मभूमि के लिए बलिदान देना इस महादेश का धर्म और परंपरा है।

मिथकों के मिथ्या की बलात्कार सुनामी से मनुस्मृति बहाल करने वाले वैदिकी ज्ञान विज्ञान और इतिहास का हवाला देकर खुल्लमखुल्ला राष्ट्रद्रोह कर रहे हैं और हम जात पांत मजहब में बंटे हिंदुस्तानी मजहबी सियासत सियासती मजहब के मंडल कमंडल महाभारत में तमाशबीन कुरुवंश हैं या इस ओर या उस ओर, गृहयुद्ध घनघोर।

हिंदू धर्म का सर्वनाश है यह तो भारत वर्ष का सर्वात्मक विनाश है यह।

हम तिलिस्म में फंसे कंबंधों के सिवाय कुछ भी नहीं हैं।
न जान हैं। न हाथ पांव हैं। न चेहरा है। न कोई वजूद।
दिलोदिमाग हैं ही नहीं।

विवेक के स्वर हमारी समझ से बाहर है क्योकि हम थ्री जी फोर जी फाइव जी आनलाइन क्लोन और रोबोट है और बजरंगी फौजे हैं जो सिर्फ अपनी जात जानते हैं और जात की भाषा बोलते हैं।

हम इंसान होते तो इस कायनात की बरकतों, रहमतों और नियामतों को खत्म करने के इस आत्मघाती राजसूय अश्वमेध के सांढ़ों और घोड़ों की फौजों के खिलाफ देशभर में लामबंद होते। नको नको।

कभीकभार नींद से जागकर हम अंगड़ाई तब लेते हैं कुंभकर्ण की तरह जब हजारों लाखों ढोल नगाड़े हमें पुचकारते हुए उठाते हैं फिर एकबार जनादेश पैदा करने के लिए।

वोट देकर गर्भपात की तरह हम खलास। खबर भी नहीं होती कि वह जनादेश हमारे लिए जहर का प्याला कब और कैसे बन गया और हम सुकरात भी नहीं हैं। सो एफडीआई बहार आने दो के गाय बचाओ अरब वसंत झूठो बजरंगी नफरत तूफां का मतलब यहींच।

जातियों और मजहबी सियासत सियासती मजहब के मसीहा, सिपाहसालार, मनसबदार सूबेदार, तमाम राम से बने हनुमान और हिंदुत्व के इस नर्क के तमाम देव देवियां हमारी आस्था से पल छिन पल छिन बलात्कार कर रहे हैं और हम कुरुवंश की तरह द्रोपदी का चारहरण देख रहे हैं कि हमका भी हउ चाहि।
फिर इंद्रप्रस्थ में जब सारा देश दिवाली मना रहा है, जब गोरक्षा दंगाफसाद के आयातित अरब वसंत से निजात मिलने की खुशफहमी में पाकिस्तान में न सही, हिंदुस्तान की सरजमीं पर बिहार के प्रलयंकर जनादेश से बलात्कार सुनामी के अंत की गूंज में राकेट छू’ रहे हैं, आगजनी के बदले आतिशबाजी हो रही है, सहिष्णुता और बहुलता, परंपरा और विरासत के दिये जल रहे हैं तो फिजां पिर कयामत है।

इसी बीच सेनाओं के बुजुर्ग भी साहित्यकारों, कलाकारों, फिल्मकारों, इतिहासकारों, समाजशास्त्रियों, वैज्ञानिकों और अर्थशास्त्रियों की तर्ज पर फासिज्म के इस राजकाज के खिलाफ अपनी चीखें दर्ज कराने लगे हैं।

वे भी अपना अपना मेडल वापस करने लगे हैं।

अब देखना है कि हमारी सरहदों की रक्षा में सारा जीवन बलिदान करते रहने वालों के बजरंगी ब्रिगेड किस जुबान में राष्ट्रविरोधी और हिंदू विरोधी करार देकर पाकिस्तान जाने का फतवा जारी करते हैं।

हमने सुबह अंग्रेजी में लिखा-

Imported Arabian BEEF Spring to continue as the Mahabharat of Mandal kamandal continues.Hence I post the Beef History!

In the Vedas there are references to various kinds of sacrifice in which cows were killed and its flesh was eaten. This practise continued in the post-Vedic period, up to the pre-Mauryan period!

Subarna Rekha, Blasphemy against ideology by Ritwik Ghatak, the Golden Line and the Ati Dalit Bagdi Bou and death of Sita in a brothel!
Palash Biswas


पलाश विश्वास

2024 में भाजपा की हर तय | नीतीश कुमार | ब्रेकिंग न्यूज | बिहार की राजनीति | hastakshep